‘जामताड़ा’ बना रहे दून को बिगड़े विद्यार्थी

मिनी जामताड़ा बनती जा रहीं देहरादून की शांत घाटी,कई गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़े; बाहर से आये छात्र हो रहे शामिल
तेलंगाना राजस्थान बिहार और हरियाणा के बाद अब देहरादून भी साइबर ठगी का हाट स्पाट बन रहा है। यहां से जो गिरोह पकड़े गए हैं उनमें अधिकतर अन्य राज्यों से पढ़ने के लिए दून आने वाले छात्र हैं जो कि खर्चे पूरे करने के लिए इस काम में शामिल हो रहे हैं। अप्रैल में उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ ने साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया था।

जामताड़ा, भरतपुर और मेवात के बाद दून बन रहा साइबर ठगी का हाट स्पाट
मुख्य बिंदु
साइबर ठगी करने वाले कई गिरोह चढ़ चुके हैं एसटीएफ व पुलिस के हत्थे
अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में पढ़ने आये छात्र हो रहे हैं साइबर ठग गिरोह में शामिल

देहरादून 11 मई 2024.तेलंगाना, राजस्थान, बिहार और हरियाणा के बाद अब उत्तराखंड की राजधानी देहरादून भी साइबर ठगी का हाट स्पाट बनती जा रही है। साइबर ठगी से जुड़े कई गिरोह उत्तराखंड पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं।
गिरोह में अधिकतर अन्य राज्यों से पढ़ने के लिए दून आने वाले छात्र हैं, जो कि खर्चे पूरे करने के लिए इस काम में शामिल हो रहे हैं। पुलिस पहले अन्य राज्यों में साइबर ठगों को पकड़ने जाती थी, लेकिन अब राजधानी में चल रहे साइबर नेटवर्क को तोड़ने की भी चुनौती है।
पढ़ाई की आड़ में ठगी 
अप्रैल में उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया था, जो देशभर में पीएम मुद्रा लोन योजना के नाम पर ठगी कर रहा था। गिरोह में आंध्र प्रदेश व मध्य प्रदेश के युवक शामिल किए थे, जो प्रेमनगर क्षेत्र में पढ़ाई की आड़ में ठगी कर रहे थे।
इस मामले में एसटीएफ ने गिरोह के सरगना सहित तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार था। गिरफ्तार साइबर ठग अलग-अलग काल सेंटर से प्रशिक्षण लेकर आए थे और उन्होंने प्रेमनगर क्षेत्र में अपना काल सेंटर खोलकर साइबर ठगी करनी शुरू कर दी।

इसी महीने एसटीएफ ने एक ऐसे आरोपित को गिरफ्तार किया था, जिसने अपने घर पर ही टेलीफोन एक्सचेंज खोला था। वह अंतरराष्ट्रीय फोन काल को लोकल काल में डायवर्ट करता था। इसके लिए उसने बीएसएनएल से 500 नंबर लिए थे। इसी एक्सचेंज से कुछ समय पहले विदेश से आए एक काल को आरोपित ने उत्तर प्रदेश के बांदा कारागार के जेल अधीक्षक के नंबर पर डायवर्ट किया था। इसी काल से उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी।

काल सेंटर की आड़ में बढ़ रही साइबर ठगी
काल सेंटर की आड़ में साइबर ठगी की घटनाएं बढ़ रही हैं। बड़ी संख्या में युवक-युवतियां उत्तर प्रदेश व दिल्ली से काल सेंटर में काम करके आते हैं और इसके बाद साइबर ठगी में लग जाते हैं। वर्ष 2023 में भी एसटीएफ ने वसंत विहार, डालनवाला और आइटी पार्क में फर्जी काल सेंटरों का पर्दाफाश किया था। इनमें से जो आरोपित पुलिस की पकड़ से बच जाते हैं या जमानत लेते हैं, वह फिर से ठगी करने लगते हैं।

Dehradun Crime News Fake International Call Center Busted Two Operators Arrested

फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार, विदेशियों को लगा रहे थे चपत

एक टॉवर के एक तल पर पुलिस ने छापा मारा तो पता चला  कि यहां एक फर्जी कॉल सेंटर से विदेशियों को ठगा जा रहा है। पुलिस सेंटर पहुंची तो देखा कि टॉवर के इस तल के हॉल में यह कॉल सेंटर चलाया जा रहा है

देहरादून के पटेलनगर क्षेत्र में चल रहे इस फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर से दो संचालकों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने कॉल सेंटर के 15 कर्मचारियों को थाने लाकर पूछताछ की और उन्हें नोटिस देकर रिहा कर दिया। आरोपित खुद को माइक्रोसॉफ्ट का प्रतिनिधि दर्शाकर पहले विदेशी लोगों के कंप्यूटर में वायरस भेजते थे। इसके बाद इसे ठीक करने के नाम पर उनसे क्रिप्टो करेंसी व गिफ्ट कार्ड  से फीस वसूलते थे। इस तरह इन आरोपितों ने विदेशी नागरिकों से करोड़ों रुपये की ठगी की है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि एक गोपन सूचना के आधार पर श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल के पास रिद्धिम टॉवर के एक तल पर छापा मारा गया था। सूचना थी कि यहां एक फर्जी कॉल सेंटर चलाकर विदेशियों को ठगा जा रहा है। पुलिस पहुंची तो देखा कि टॉवर के इस तल पर अंदर हॉल में   युवक और युवतियां हेडफोन लगाकर विदेशों में बात कर रहे हैं। इन कर्मचारियों से पूछताछ हुई तो उन्होंने बताया कि वे यह सब काम विवेक और निकिता के कहे कर रहे हैं। ये दोनों अंदर ऑफिस में बैठे मिले।

पूछताछ में इन लोगों ने बताया कि वह खुद को माइक्रोसॉफ्ट ऑनलाइन सपोर्ट का प्रतिनिधि बताकर विदेशियों ।से बात करते हैं। उनके कंप्यूटर में पहले बग या वायरस भेजा जाता है।  उनका कंप्यूटर हैंग कर उनसे बात कर कंप्यूटर का रिमोट एक्सेस एप से एक्सेस लिया जाता है। इसके बाद वायरस को हटाकर कंप्यूटर को पहले जैसा किया जाता है। यें लोगों से गिफ्ट कार्ड और क्रिप्टो करेंसी से भुगतान लेते हैं।

अब तक आरोपितों ने करोड़ों रुपये की ठगी की है। कर्मचारियों को भी मोटा वेतन दिया जाता है। मामले में विवेक (निवासी सेक्टर 44, नोएडा उत्तर प्रदेश) और निकिता (निवासी विलेज सोनादा, दार्जलिंग पश्चिम बंगाल) को गिरफ्तार किया गया है। 15 कर्मचारियों को पूछताछ के बाद नोटिस देकर छोड़ा गया है। इनसे 14 लैपटॉप, सात मोबाइल मिले हैं।

नियोजक करते हैं विदेशी नंबरों से कॉल
आरोपितों से पूछताछ में पता चला कि इनके मालिक कुछ और युवक हैं। इन युवकों का न तो उन्हें वास्तविक नाम पता है और न ही मोबाइल नंबर। ये जब भी उनसे बात करते हैं तो इंटरनेट  नंबरों का प्रयोग करते हैं। आरोपितों से इनके नंबर जुटाए गए हैं। जल्द ही पुलिस उन आरोपितों तक भी पहुंच सकती है।

वर्तमान में साइबर ठगी की घटनाएं सभी जगह बढ़ रही हैं। अन्य राज्यों की तुलना में अभी उत्तराखंड में साइबर ठगी की घटनाएं कम हैं। साइबर ठग गिरोह संचालित करने की शिकायतें आ रही हैं। जब भी शिकायत मिलती हैं तो तत्काल कार्रवाई की जाती है। कई साइबर ठग गिरोह गिरफ्तार भी किये जा चुके हैं।

– आयुष अग्रवाल, एसएसपी, एसटीएफ

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