नैतिकता की एमरजेंसी:32 हजार के आक्सीजन कंसंट्रेशन राजस्थान ने खरीदें 50-50 हजार में
ये सरकार की इमरजेंसी खरीद है:जो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर केरल को 32 हजार रुपए में मिले, वो राजस्थान ने 50 हजार रुपए में खरीदे, नमक-मिर्च और LED बनाने वालों से सौदा
जयपुर 04 जुुलाई (आनंद चौधरी/जयकिशन शर्मा)राजस्थान में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीद में धांधली का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जो कंपनी केरल को 32 हजार रुपए में कंसंट्रेटर बेचने को तैयार है, वही राजस्थान को 50 हजार रुपए तक में बेच रही है। राज्य सरकार केरल की कीमतों का अध्ययन करती तो पैसे की बर्बादी नहीं होती। कंसंट्रेटर खरीद की मुख्य शर्त ये थी कि एक से 3 साल की गारंटी होनी चाहिए।
एक कंपनी ऐसी थी, जिसने 3 साल की गारंटी दी, लेकिन उसे नकार दिया। एक साल गारंटी देने वाली कंपनी से कई कंसंट्रेटर खरीद लिए। इस डील के कागज हमारे पास मौजूद हैं। इतना ही नहीं, साबुन, नमक-मिर्च और एलईडी बेचने वाली कंपनियों से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे गए। इनके पास तो मेडिकल उपकरण बनाने-बेचने-खरीदने का अनुभव नहीं था। इमरजेंसी के नाम पर इन्होंने चाइनीज कंसंट्रेटर खरीदकर सरकार को बेचे।
RMSC ने जिस कंपनी को 2019 में ब्लैक लिस्टेड किया था, उनसे भी कंसंट्रेटर खरीदे गए। कंसंट्रेटर खरीद में वित्तीय नियमों की भी अवहेलना हुई है। नियमों में किसी कंपनी को टैक्स का भुगतान सामान पहुंचने के बाद किया जाता है, लेकिन प्रदेश में कंसंट्रेटर बेचने वाली कंपनियों को 12% GST दर से भुगतान पहले कर दिया गया। केंद्र ने कंसंट्रेटर पर GST की दर घटाकर 5% कर दी थी इसके बावजूद 12% का भुगतान किया गया। कई कंपनियों के कंसंट्रेटर अभी तक नहीं पहुंचे।
स्वास्थ्यकर्मी बोले- कोविड मरीजों के काम के नहीं ये कंसंट्रेटर उठा ले जाओ
भास्कर ने स्वास्थ केन्द्रों पर कंसंट्रेटर का उपयोग करने वाले स्वास्थकर्मियों से बात की। वे बोले- ये बेकार हैं। मरीजों के लिए किसी काम का नहीं है। स्वास्थ्य केंद्रों को दिए 10% कंसंट्रेटर ऐसे हैं जिनकी बोली, बटन और मैनुअल की भाषा चाइनीज है। कोविड पेशेंट को ऐसे कंसंट्रेटर लगाने से उन्हें नुकसान ही होगा। ज्यादातर कंसंट्रेटर में प्योरिटी इंडिकेटर नहीं। जिनमें है, उनमें ऑक्सीजन प्योरिटी बहुत कम (30-50%) है।
पल्मोनोलॉजिस्ट डॉक्टर वीरेन्द्र सिंह व न्यूरो सर्जन नगेन्द्र शर्मा बताते हैं- मध्यम लक्षण वाले मरीज को कंसंट्रेटर लगाते हैं। ऑक्सीजन सिचुरेशन की प्योरिटी तय मानक (90%) से कम हो तो कार्बन डाईऑक्साइड बढ़ने लगती है। ब्रेनडेथ हार्ट और किडनी फेल्योर का डर रहता है।