पैगम्बर विवाद: पाक के 7100 एकाउंट से भड़काया गया भारत में दंगा
पैगंबर विवाद का पाकिस्तानी कनेक्शन:7000 ट्विटर अकाउंट्स से रची जुम्मे वाली हिंसा का षड्यंत्र, फेक न्यूज से मुसलमानों को भड़काया,पाक पत्रकार ने शेयर किया फर्जी वीडियो
कराची में नूपुर शर्मा की टिप्पणी के विरोध में जुटाई गई भीड़।
नई दिल्ली 14 जून। पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी के बाद भारत में हो रही हिंसा के पीछे पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों का हाथ है। सुनियोजित षड्यंत्र में देश में हिंसा भड़काई गई। इस काम में पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों के हजारों नान वेरिफाइड इंटरनेट मीडिया अकाउंट लगे थे। फर्जी खबरों पर नजर रखने और फैक्ट चेक करने वाले डिजिटल फारेंसिक्स रिसर्च एंड एनालिटिक्स सेंटर (DFRAC) की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
इंटरनेट पर ऐसे फैलाया गया झूठ
नान वेरिफाइड अकाउंट के जरिये इंग्लैंड के क्रिकेट खिलाड़ी मोइन अली का फर्जी स्क्रीनशाट चलाया गया, जिसमें दावा किया गया कि उन्होंने आईपीएल के बहिष्कार की अपील की है। लोगों को भड़काने को फर्जी तस्वीरें भी शेयर की गईं।
इस दौरान स्टाप इंसल्टिंग प्रोफेट मोहम्मद, बायकाट इंडियन प्रोडक्ट जैसे हैशटैग प्रयोग किए गए।
नफरत फैलाने वालों को मिला मौका
पाकिस्तानी मीडिया और इंटरनेट मीडिया के इस दुष्प्रचार का फायदा उठाकर खालिद बेदौं, मोइनुद्दीन इब्न नसरुल्ला और अली सोहराब जैसे नफरत फैलाने वालों को भी मौका मिल गया। इनमें से कुछ ने तो इस मामले में जम्मू-कश्मीर को भी शामिल करने की कोशिश की।
अब फिलीस्तीन से विरोध, अल अक्सा मस्जिद से कहा- पाकिस्तान हमला करे
पैगंबर पर टिप्पणियों का अब फिलीस्तीन से भी विरोध हो रहा है। यरुशलम की अल अक्सा मस्जिद पर 10 जून को हिंदू विरोधी रैली हुई । द मिडिल ईस्ट मीडिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (AEMRI) के अनुसार अल-अक्सा मस्जिद रैली में फिलीस्तीन के इस्लामिक स्कॉलर निधाल सियाम ने हिंदुओं के खिलाफ जिहाद शुरू करने का आव्हान किया।उन्होंने भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि उसके पास हिंदुओं को सबक सिखाने को सक्षम सेना है। हम अल अक्सा मस्जिद से मुस्लिम सेनाओं मिस्र, तुर्की, जॉर्डन से कहते हैं कि , तुम कहां हो? क्या यह सही समय नहीं है कि अपने देशों को आजाद कराएं? पाकिस्तान की हिंदुओं का मुकाबला करने में अन्य किसी की तुलना में अधिक जिम्मेदारी है। हिंदुओं के खिलाफ मुस्लिम देशों को एकजुट होने को कहते हुए सियाम ने कहा, सबसे पहले अमेरिका ने इराक और अफगानिस्तान पर हमला किया। इसके बाद स्वीडन ने मुस्लिम बच्चे अगवा किये। फ्रांस ने हमला किया। रूसियों ने कई बार हमला किया। फिर चीन ने अपराध किए।अब गौ पूजक हिंदुओं ने मस्जिदें नष्ट की। मुस्लिमों के कत्ल कर उनके गांव उजाड़ दिये। पाकिस्तानियों को हिंदुओं से लड़ने में अधिक बड़ी जिम्मेदारी निभानी है। हिंदू बिल्कुल तुम्हारी सीमा पर है, उन्होंने तुम्हारी जमीनें कब्जाई है और तुम्हारे लोगों को मार रहे हैं। हिंदुओं से मुकाबले को जंग के मैदान को खोलने का समय आ गया है।
जुमे की नमाज बाद हिंसा को लेकर फैक्ट चेक
आर्गनाइजेशन डिजिटल फारेंसिक्स रिसर्च एंड एनालिटिक्स सेंटर (DFRAC) ने बड़ा खुलासा किया है कि पैगबंर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी को लेकर हुई हिंसा का षड्यंत्र पाकिस्तान में रचा गया था।
पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार असद खराल ने 12 जून को शेयर किया था मॉब लिंचिंग का फेक वीडियो
पाकिस्तान के पत्रकार असद खराल ने भारत में धार्मिक हिंसा भड़काने को अपने ट्विटर अकाउंट से एक फेक वीडियो शेयर किया था। मॉब लिंचिंग के एक कथित वीडियो को शेयर कर खराल ने इसे हिंदु आतंकवाद का नाम दिया। खराल के इस ट्वीट को तीन हजार से ज्यादा बार रीट्वीट किया गया। खराल के शेयर करने के बाद ये वीडियो हिंदु आतंकवाद के नाम से जमकर वायरल हो गया।
क्या है इस वीडियो का सच
पाकिस्तान के पत्रकार ने जो वीडियो शेयर किया, वो 2 साल पुराना मध्यप्रदेश के धार की एक घटना का है। 5 फरवरी 2020 को धार में भीड़ ने 6 किसान मजदूरों को बच्चा चोरी के शक में लाठी-पत्थरों से पीटा था। यह खबर व्यापक रूप से प्रकाशित हुई थी ने। इसी वीडियो को झूठे दावे के साथ वायरल कर भारत में हिंसा भड़काई गई।
60 हजार से ज्यादा विदेशी अकाउंट से हुए भड़काऊ पोस्ट
DFRAC ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अलग-अलग देशों में 60 हजार से ज्यादा अकाउंट भारत में हिंसा भड़काने का काम कर रहे थे। इनमें 7 हजार से ज्यादा अकाउंट पाकिस्तान से चलाए जा रहे थे। सोशल मीडिया पर लगातार अलग-अलग हैशटैग, फेक वीडियो और भड़काऊ पोस्ट किए गए।
DFRAC ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पाकिस्तान के करीब 7 हजार से ज्यादा ट्विटर अकाउंट फेक न्यूज के सहारे भारत में मुसलमानों को भड़का कर दंगे की साजिश रच रहे थे।
आखिर कैसे पाकिस्तान ने सोशल मीडिया के जरिए पूरे भारत में हिंसा फैलाई?
पाकिस्तान कैसे सोशल मीडिया से फैला रहा है हिंसा?
सोशल मीडिया पर इस विवाद और हिंसा से जुड़े जो भी हैशटैग चल रहे हैं, उसमें कमेंट करने वाले ज्यादातर पाकिस्तानी यूजर्स हैैं जो भारतीय मुसलमानों को भड़काने में लगा है।
डिजिटल फोरेंसिक रिसर्च एंड एनालिटिक्स सेंटर यानी DFRAC ने अपनी नई रिपोर्ट में इसका खुलासा करते हुए 60 हजार से ज्यादा टि्वटर यूजर्स के नेचर ऑफ पोस्ट और कमेंट बिहेवियर की एनालिसिस की है।
एनालिसिस में पाया गया कि इन 60 हजार में से ज्यादातर यूजर्स के नॉन वेरिफाइड अकाउंट्स थे, जिन्होंने इस मामले से जुड़े ज्यादातर हैशटैग में कमेंट किए थे। इनमें से करीब 7,100 लोग पाकिस्तान के थे। पैगंबर विवाद से जुड़े हैशटैग को पाकिस्तान के टि्वटर अकाउंट्स से भी आगे बढ़ाया जा रहा है। वहीं 3,000 अकाउंट्स सऊदी अरब से थे। 2,500 अकाउंट्स भारत से, 1,400 मिस्र से और 1,000 से अधिक अमेरिका और कुवैत से थे।
DFRAC की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के ARY न्यूज समेत कई चैनलों ने भारत से जुड़ी गलत खबरें चलाई। ARY न्यूज ने चलाया कि ओमान के ग्रैंड मुफ्ती ने भारतीय प्रोडक्ट के बहिष्कार की घोषणा की है, जबकि मुफ्ती ने पैगंबर मोहम्मद पर टिप्पणी की आलोचना की थी और सभी मुसलमानों को इसके खिलाफ एकजुट होने को कहा था, लेकिन उनका ‘बॉयकॉट इंडिया’ ट्रेंड शुरू करने का ये दावा भ्रामक है।
इसके अलावा पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित ने BJP से निकाले गए नेता नवीन जिंदल को लेकर भी गलत दावा किया है। उन्होंने नवीन जिंदल को बिजनेसमैन जिंदल का भाई बताया है।
साथ ही ट्विटर पर इंग्लैंड के क्रिकेटर मोइन अली के नाम पर भी एक फेक स्क्रीनशॉट शेयर किया गया है। इसमें मोइन IPL के बहिष्कार की बात कर रहे हैं। ये स्क्रीनशॉट भी वायरल हो रहा है। इसमें सबसे ज्यादा यूज होने वाले हैशटैग में से कुछ #Stopinsulting_ProphetMuhammad, #boycottindianproduct हैं।
कैसे नफरत फैलाने वाले लोग मुस्लिमों को भड़काने में लगे?
ईरान और कतर जैसे देशों ने पैगंबर मोहम्मद पर की गई टिप्पणी पर भारत की कार्रवाई के बाद स्टेटमेंट जारी कर संतुष्टि जताई। इसके बावजूद कुछ लोग मुस्लिमों को भड़काने में लगे हैं। DFRAC की रिपोर्ट में ऐसे ही नफरत फैलाने वाले तत्वों का भी खुलासा किया गया है। इनमें प्रमुख नाम खालिद बेदौन, मोइनुद्दीन इब्र नसरुल्ला और अली सोहराब जैसे लोगों के हैं।
खालिद ने #BoycottIndianProduct के साथ पोस्ट करना शुरू किया। बीच-बीच में कश्मीर मुद्दे को भी इससे जोड़ता रहा। वहीं, मोइनुद्दीन इब्र नसरुल्ला ने भी कई सारे नफरती ट्वीट्स किए।
भारत में फैली हिंसा के लिए सोशल मीडिया कैसे जिम्मेदार है?
नूपुर शर्मा के बयान के बाद पूरे देश में होने वाली हिंसा के लिए सोशल मीडिया को जिम्मेदार माना जा रहा है। रांची, प्रयागराज और मुरादाबाद में 10 जून को ‘भारत बंद’ को लेकर एक ही तरह के मैसेज और हैशटैग सोशल मीडिया के जरिए फैलाए गए थे।
रांची में न सिर्फ फेसबुक और ट्विटर बल्कि वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए भी इस तरह के मैसेज तेजी से फैलाए गए। प्रयागराज में हिंसा फैलाने के लिए फेसबुक को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया।
यह बात खुद प्रयागराज के SSP अजय कुमार ने भी स्वीकार की है। घटना के बाद उन्होंने कहा, ‘सोशल मीडिया के जरिए सर्कुलेट हो रहे मैसेज की निगरानी की जा रही है। जिन लोगों ने भी माहौल बिगाड़ने की कोशिश की है, उनकी पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’
इससे पहले भी हिंसा फैलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल होता रहा है। ORF की रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया के जरिए हिंसा फैलाने का आंकड़ा 30% की दर से बढ़ा है। रिसर्च में यह भी पता चला है कि हिंसा फैलाने के लिए एक वर्ग की नाराजगी का फायदा उठाकर उसे सुनियोजित तरीके से हिंसा में बदला जा रहा है।
पहले भी पाकिस्तान भारत के खिलाफ रचता रहा है षड्यंत्र
इससे पहले भी भारत में इस तरह के प्रोपेगैंडा को फैलाने में पाकिस्तान का नाम सामने आता रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक ने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान इस बात का खुलासा किया था कि किस तरह से पाकिस्तानी लोग तब चुनाव को प्रभावित कर रहे थे। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसी ISI भी चुनाव के दौरान भारत में फेक न्यूज फैला रही थी। ऐसे करीब 687 इंस्टाग्राम पेज को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने हटाया था।
20 दिसंबर 2021 को सूचना प्रसारण मंत्रालय ने पाकिस्तान से कंट्रोल होने वाले 20 यूट्यूब और 2 वेबसाइट को इसी तरह हिंसा और फेक न्यूज फैलाने के आरोप में बंद कराया था। इंटेलिजेंस एजेंसी ने इन चैनलों और वेबसाइटों को फेक न्यूज फैलाने और भारत के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में पकड़ा था।
मंत्रालय ने इस बात की जानकारी दी थी कि 20 में से 15 यूट्यूब चैनल पाकिस्तान के ‘नया पाकिस्तान ग्रुप’ द्वारा ऑपरेट किए जा रहे थे। इन 20 चैनलों के कुल 35 लाख सब्सक्राइबर्स थे। जांच में अलग-अलग मौके पर भारत में हिंसा और फेक न्यूज फैलाने की बात सामने आई थी।