उत्तरांखड में पैसा चढ़ा कर भर्ती 20 दरोग़ा सात साल बाद निलंबित,दून में तैनात थे पांच
2015 में भर्ती 20 दरोगाओं पर गिरी गाज, निलंबित करने के आदेश जारी
Daroga Bharti 2015: वर्ष 2015 में 339 दारोगाओं की भर्ती हुई थी।
वर्ष 2015 में 339 दारोगाओं की भर्ती हुई थी। पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी जिला प्रभारियों को आदेश जारी कर 2015 में हुए 20 दरोगाओं को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
देहरादून 16 जनवरी: 2015 में हुई दारोगा भर्ती धपले में 20 दारोगाओं पर गाज गिरी है। पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी जिला प्रभारियों को आदेश जारी कर 2015 में हुए 20 दरोगाओं को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
रुपये देकर भर्ती हुए थे 20 दारोगा
प्राथमिक जांच में यह सामने आया है कि 20 दारोगा रुपये देकर भर्ती हुए थे। बता दें कि वर्ष 2015 में 339 दारोगाओं की भर्ती हुई थी। यूकेएसएसएससी की भर्ती घपले की जांच के बाद गिरफ्तार किए गए नकल माफिया से जब एसटीएफ ने पूछताछ की तो उस दौरान सामने आया की दारोगा भर्ती में भी नकल हुई थी।
मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में हुई थी भर्ती
करीब आठ वर्ष पूर्व वर्ष 2015 में हुई यह भर्ती तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में हुई थी। दारोगा के 339 पदों पर सीधी भर्ती की परीक्षा की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर को दी गई थी। उस दौरान भी भर्ती में घपले के आरोप लगे थे, लेकिन सरकार की ओर से जांच न कराने के कारण मामला दब गया।
गिरफ्तार हुआ था पंतनगर यूनिवर्सिटी का एक रिटायर्ड अधिकारी
यूकेएसएसएससी भर्ती परीक्षा की घपलेबाजी में पंतनगर यूनिवर्सिटी का एक रिटायर्ड अधिकारी भी गिरफ्तार हुआ था, जिसके तार नकल माफिया हाकम सिंह रावत के साथ जुड़े। जब गहनता से जांच की गई तो पता चला कि दोनों ने दारोगा भर्ती परीक्षा में भी गड़बड़ी करवाई गई थी।
दरोगा सीधी भर्ती धांधली मामले में बड़ी कार्रवाई हुई है। 8 अक्टूबर 2022 को विजिलेंस हल्द्वानी सेक्टर में मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था। मुकदमे में कुल 12 आरोपी हैं। एडीजी कानून व्यवस्था ने बताया कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मिली है। जिसके बाद 20 दरोगा को सस्पेंड किया गया है।
दरोगा भर्ती धांधली में विजिलेंस की रिपोर्ट पर प्रदेश के 20 दरोगाओं को निलंबित कर दिया गया है। ये दरोगा जांच पूरी होने तक निलंबित ही रहेंगे। प्रथम दृष्टया जांच में इन दरोगाओं के नकल करने की बात सामने आई है। हालांकि, मुकदमे में अभी किसी भी दरोगा को नामजद नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि यह सूची अभी और भी लंबी हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल मई में एसटीएफ ने स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक संबंधी जांच की थी। इस जांच में सिलसिलेवार कई भर्तियों में धांधली की बात सामने आई थी। इसमें 2015 में हुई सीधी दरोगा भर्ती में धांधली के सुबूत भी एसटीएफ को मिले थे। इनमें पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ के आधार पर एसटीएफ को 12 दरोगाओं के नाम पता चले थे। इस परीक्षा को पंतनगर विवि की ओर से कराया गया था। क्योंकि, मामला पुलिस से जुड़ा था तो इसकी जांच शासन के निर्देश पर विजिलेंस को सौंपी गई थी।
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प्राथमिक पड़ताल के बाद विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में आठ अक्तूबर 2022 को 12 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। मुकदमे में आरएमएस कंपनी के मालिक राजेश चौहान, पंतनगर विवि के अधिकारी, एक डीन को नामजद किया गया था। करीब चार माह की जांच के बाद विजिलेंस ने पुलिस मुख्यालय को 20 दरोगाओं के नाम सौंपे हैं। प्राथमिक जांच के आधार पर इन दरोगाओं पर नकल करने का आरोप है। जांच प्रभावित न हो इसके लिए इन सभी दरोगाओं को पुलिस मुख्यालय ने निलंबित करने के आदेश दिए। जिला पुलिस कप्तानों ने इन सभी को सोमवार देर शाम निलंबित कर दिया है।
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देहरादून के तीन चौकी इंचार्ज समेत पांच दरोगा शामिल
ओमवीर सिंह-देहरादून (चौकी इंचार्ज सभावाला)
प्रवेश रावत-देहरादून (चौकी इंचार्ज नालापानी)
राजनारायण व्यास-देहरादून
जैनेंद्र राणा-देहरादून (चौकी इंचार्ज खुड़बुड़ा)
निखिलेश सिंह बिष्ट-देहरादून
दीपक कौशिक-ऊधमसिंह नगर
अर्जुन सिंह -ऊधमसिंह नगर
बीना पपोला-ऊधमसिंह नगर
जगत सिंह शाही-ऊधमसिंह नगर
हरीश महर-ऊधमसिंह नगर
लोकेश-ऊधमसिंह नगर
संतोषी-ऊधमसिंह नगर
नीरज चौहान-नैनीताल
आरती पौखरियाल-नैनीताल (एलआईयू)
प्रेमा कोरमा-नैनीताल
भावना बिष्ट-नैनीताल
पुष्पेंद्र- पौड़ी गढ़वाल
गगन मैठानी-चमोली
ते
जकुमार-चंपावत
मोहित सिंह रौथाण-प्लाटून कमांडर एसडीआरएफ
वर्ष 2015-16 दरोगा सीधी भर्ती में अनियमितता होने की जांच विजिलेंस कर रही है। अभी तक की जांच में संदिग्ध पाए गए 20 दरोगाओं को जांच पूरी होने तक निलंबित करने के लिए जिला पुलिस कप्तानों को निर्देशित किया गया था। इसके क्रम में ये सभी निलंबित कर दिए गए हैं।
-वी मुरुगेशन, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर एवं पुलिस प्रवक्ता