फोन फॉर्मेट,वीडियो डिलीट..5दिन पुलिस कस्टडी में यूं गए विभव कुमार
Swati Maliwal Assault Case What Delhi Court Said About Bibhav Kumar 5 Day Police Custody
वीडियो फुटेज डिलीट है,फोन फॉर्मेट हुआ है,ये आरोपित के बारे में बहुत कुछ बता रहा’, कोर्ट ने विभव पर और क्या क्या कहा
आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल केस में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने आरोपित विभव कुमार को लेकर कई टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि वीडियो फुटेज डिलीट है,फोन फॉर्मेट हुआ है। ये आरोपित के बारे में बहुत कुछ बता रहा है। कोर्ट ने विभव से पूछताछ को 5 दिन की पुलिस कस्टडी को मंजूरी दे दी।
मुख्य बिंदु
1-कोर्ट ने माना- मौजूदा मामले में पुलिस हिरासत की जरूरत
2-अदालत ने पेन ड्राइव से डिलीट फुटेज का भी लिया संज्ञान
3-कोर्ट ने विभव को पत्नी और वकील से मिलने की अनुमति दी
नई दिल्ली 19 मई 2024: दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट आम आदमी पार्टी की नेता एवं राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी विभव कुमार की पांच दिन की पुलिस हिरासत को मंजूरी दी। इसके साथ ही अदालत ने विभव कुमार को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणियां भी कीं। कोर्ट ने कहा शनिवार देर रात पौने एक बजे जारी अपने आदेश में कहा कि दोनों पक्षों के तर्कों पर विचार करने के बाद मुझे लगता है कि मामले में पुलिस हिरासत की आवश्यकता है। हिरासत देते अदालत ने मामले के उन तथ्यों पर गौर किया जो आरोपित के बारे में बहुत कुछ बताते हैं। इसमें यह तथ्य भी शामिल था कि वीडियो फुटेज उसके पेनड्राइव से डिलीट कर दिया गया था।
किसी भी तरह की यातना नहीं
सुनवाई में,अदालत ने कहा कि यह तथ्य कि जांच को जेई से जांच अधिकारी को उपलब्ध कराई गई पेनड्राइव में वीडियो फुटेज नहीं मिला था। साथ ही आरोपित की का मोबाइल फोन फॉर्मेट किया मिला,बहुत कुछ बताता है। कोर्ट ने यह भी माना कि कुमार के खिलाफ यह पहला आपराधिक मामला नहीं है। पुलिस कस्टडी स्वीकारने के साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि विभव कुमार हर दिन शाम 6 बजे से 7 बजे के बीच आधे घंटे को अपने वकीलों से मिल सकेंगें। उन्हें अपनी पत्नी से रोज आधा-आधा घंटा मिलने की भी अनुमति है। अदालत ने हर 24 घंटे में कुमार की मेडिकल जांच कराने का निर्देश दिया। साथ ही कहा कि जांच एजेंसी आरोपित को ‘किसी भी तरह की यातना’ नहीं देगी। इसके साथ ही आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराने की कुमार की अर्जी भी स्वीकार हुई।
बेशक, मामला शुरुआती चरण में है। प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों की पुष्टि मजिस्ट्रेट के शपथ पत्र में अंकित उनके (मालीवाल के) कथन में की गई है। इसके अलावा, पीड़िता या शिकायतकर्ता की मेडिकल जांच में भी इसकी पुष्टि हुई है। मैं संवैधानिक अदालतों के इस विचार से अवगत हूं कि मामले की सच्चाई तक पहुंचने को जांच एजेंसी को जांच पूरी करने का अवसर दिया जाना चाहिए, लेकिन साथ ही आरोपित के अधिकार भी संरक्षित किये जाने चाहिए।
गौरव गोयल, मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट
मामले की सुनवाई में एडिशन पब्लिक प्रोसिक्यूटर अतुल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आईओ के नोटिस के बावजूद घटना का डीवीआर फुटेज उपलब्ध नहीं कराया गया। जेई रैंक के एक अधिकारी ने सीसीटीवी फुटेज एक पेनड्राइव पर उपलब्ध कराया है,लेकिन जब दोबारा इसकी जांच की गई,तो प्रासंगिक समय का वीडियो फुटेज खाली था। एपीपी ने आगे कहा कि चूंकि विभव कुमार के पास अंदर तक पहुंच थी, इसलिए संभावना है कि छेड़छाड़ का पता लगाना होगा। अदालत ने जांच अधिकारी से कुमार को औपचारिक रूप से हिरासत में लेने को कहा। आरोप है कि केजरीवाल के निजी सहायक विभव कुमार ने 13 मई को मुख्यमंत्री आवास में मालीवाल से मारपीट की थी।