रेलवे बेचने के राहुल के दावे PIB FACT CHECK ने बताये झूठ

राहुल गांधी के दावों पर PIB का Fact Check, लगा दी झूठ की मुहर

नई दिल्ली 13 नवंबर। मोदी सरकार पर कई सरकारी कंपनियों का निजीकरण का आरोप लगते रहा है। इसी में से एक है भारतीय रेलने। विपक्ष हमेशा से मोदी सरकार पर रेलवे के निजीकरण का आरोप लगाते हुए हल्ला बोल रहा है। इसी को लेकर अब पीआईबी ने राहुल गांधी के ट्वीट को फर्जी करार दिया है।

कांग्रेस (congress) सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने भारतीय रेलवे (Indian Railways) को लेकर एक ट्वीट किया था। इस ट्वीट में राहुल गांधी ने रेलवे के निजीकरण को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला था। जिस पर पीआईबी ने फैक्ट चेक करते हुआ राहुल गांधी पर हमला बोला है।

क्या बोले राहुल?

राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा- “12 लाख लोगों को रोजगार, 2.5 करोड़ देशवासियों की रोज सेवा – देश को जोड़ती है भारतीय रेल। प्रधानमंत्री जी, रेलवे देश की सम्पत्ति है, इसे निजीकरण नहीं, सशक्तिकरण की ज़रूरत है। बेचो मत!”

पीआईबी ने क्या कहा?

पीआईबी ने इस ट्वीट के स्क्रीन शॉट पर ‘फर्जी’ का मुहर लगाते हुए कहा- “एक ट्वीट में फर्जी दावा किया जा रहा है कि भारतीय रेलवे की 151 ट्रेनों, रेलवे संपत्ति, स्टेशनों और अस्पतालों का निजीकरण कर दिया गया है। ये दावे पूर्णतः फर्जी एवं तथ्यहीन हैं। भारतीय रेलवे अपनी किसी संपत्ति का निजीकरण नहीं कर रहा।”

क्या है मामला?

राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर है और अभी ये समय में यह यात्रा महाराष्ट्र में चल रही है। इसी यात्रा को दौरान रेलवे के कुछ कर्मचारी राहुल गांधी से मिलने के लिए आए थे। जहां उन्होंने राहुल गांधी को बताया कि भारतीय रेलवे- स्टेशनों, अस्पतालों, ट्रेनों और अन्य संपत्तियों का निजीकरण कर रहा है।

इसी को लेकर राहुल गांधी ने केंद्र पर निशाना साधा था। जिसपर अब पीआईबी ने फैक्ट चेक करते हुए इसे फर्जी करार दिया है। अभी तक इस फर्जी वाले दावे कांग्रेस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

क्या रेलवे का होने जा रहा निजीकरण? पूरी हो गई है सभी तैयारी! रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कर दिया साफ

Indian Railways/IRCTC Update: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने बुधवार को यह साफ किया कि रेलवे के निजीकरण (Privatization) का कोई सवाल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बारे में कही गई सारी बातें ‘काल्पनिक’ हैं. रेल मंत्री ने कहा कि सरकार की दृष्टि में ‘रणनीतिक क्षेत्र’ के रूप में रेलवे की सामाजिक जवाबदेही है, जिसे वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर ध्यान देते हुए पूरा किया जा रहा है. रेल मंत्री ने यह भी कहा कि भर्ती को लेकर छात्रों के साथ ‘गलतफहमी’ को रेलवे ने सहानुभूतिपूर्ण ढंग से सुलझा लिया है. उन्होंने कहा, ‘भर्ती पर कोई रोक नहीं है….1.14 लाख रिक्तियों को लेकर भर्ती प्रक्रिया जारी है.’ ‘वर्ष 2022-23 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा’ का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा, ‘रेलवे के निजीकरण का कोई प्रश्न ही नहीं है. इस बारे में कही गई बातें काल्पनिक हैं.’

उन्होंने कहा कि रेलवे का निजीकरण नहीं हो सकता है, क्योंकि पटरियां रेलवे की हैं, इंजन रेलवे के हैं, स्टेशन और बिजली के तार रेलवे के हैं. इसके अलावा डिब्बे और सिग्नल प्रणाली भी रेलवे की ही हैं. वैष्णव ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती पीयूष गोयल भी पहले स्पष्ट कर चुके हैं कि रेलवे का ढांचा जटिल है और इसका निजीकरण नहीं होगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मालगाड़ियों का भी निजीकरण नहीं किया जा रहा है.

रेल मंत्री ने कहा, सरकार की दृष्टि में ‘रणनीतिक क्षेत्र’ के रूप में रेलवे की सामाजिक जवाबदेही है. इसका अब तक पालन किया गया और आगे भी किया जायेगा. इसे वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर ध्यान देते हुए पूरा किया जा रहा है.’ गौरतलब है कि इस विषय पर चर्चा के दौरान कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार पर रेलवे के ‘निजीकरण’ की ओर कदम बढ़ाने और सिर्फ मुनाफा कमाने पर ध्यान देने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को लोकसभा में कहा था कि सरकार की ओर से रेल आधुनिकीकरण की बात करना सिर्फ ‘दुष्प्रचार’ है.

रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे की सामाजिक जवाबदेही पर ध्यान दें तब स्पष्ट होगा कि हम 60 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रहे हैं. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ‘वर्ष 2022-23 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों’ को मंजूरी प्रदान कर दी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मुम्बई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम चल रहा है तथा गुजरात खंड में 99.7 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण हो गया है, 750 से अधिक खम्भे बन चुके हैं तथा नर्मदा एवं तापी नदियों पर पुलों का निर्माण हो रहा है. उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना पर कार्य 8 किलोमीटर प्रति महीने की दर से आगे बढ़ रहा है और इसे बढ़ाकर 10 किलोमीटर प्रति महीने किया जायेगा.

वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) का जीवन रेल से जुड़ा रहा है, वह रेल को बहुत अच्छी तरह समझते हैं. उन्होंने कहा कि आज रेलवे किस मोड़ पर है, यह जानने के लिए हमें पीछे जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले जैसी नीतिगत पंगुता थी, उसका प्रभाव रेलवे पर भी था. रेल मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले रेलवे में निवेश की कमी एवं नजरिये की दिशाहीनता थी, साथ ही प्रौद्योगिकी में बदलाव नहीं हो पा रहा था, कर्मचारियों में विभागीय प्रतिस्पर्धा थी और इसके कारण रेलवे लगातार बाजार में हिस्सेदारी खोता जा रहा था.

मोदी सरकार के कदमों का उल्लेख करते हुए रेल मंत्री ने कहा, ‘हमारी सरकार बनने के बाद सबसे पहले सफाई पर ध्यान दिया गया. इसके बाद जमीनी कार्यालयों के स्तर पर अधिकारियों को शक्तियां दी गईं. आज ज्यादातर निविदाएं फील्ड अधिकारी तय करते हैं, वे रेलवे बोर्ड के पास नहीं आती.’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने रेलवे को नयी दिशा दी. बहुत बड़े पैमाने पर परिवर्तन हुआ है. सांसद खुद कहते हैं कि ये परिवर्तन दिखता है.’ पश्चिम बंगाल में रेलवे की परियोजनाओं के संबंध में रेल मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के सहयोग के अभाव में पश्चिम बंगाल में 18 रेल परियोजनाएं लंबित हैं.

रेल मंत्री ने रेलवे को पटरी पर लाने के लिये सरकार द्वारा उठाये गए अनेक कदमों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि रेलवे के समक्ष औसत वार्षिक पूंजी निवेश एक बड़ी समस्या रही थी और यह वर्ष 2009-14 के 45,980 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2014-19 में 99,511 करोड़ रुपये दर्ज किया गया. रेल मंत्री ने कहा कि वर्ष 2022-23 के दौरान रिकार्ड 2.45 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. उन्होंने रेलवे के विद्युतीकरण, दोहरीकरण, आमान परिवर्तन सहित अन्य आधुनिकीकरण के कार्यों का उल्लेख किया. वैष्णव ने कहा कि सुनिश्चित रेल सुरक्षा हमारा संकल्प है और इस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

फैक्ट चेक: अडाणी को नहीं बेचा गया है भारतीय रेलवे, ग्रुप ने सिर्फ कुछ ट्रेनों में दिया है विज्ञापन

फिल्म अभिनेत्री और कांग्रेस नेता नगमा ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने भारतीय रेलवे अडानी ग्रुप को बेच दिया है. उन्होंने एक ट्रेन का वीडियो शेयर किया है, जिसमें सामने की ओर वडोदरा लिखा है तो ट्रेन के दोनों तरफ फॉर्चून ब्रांड के आटे का विज्ञापन नजर आ रहा है।
फिल्म अभिनेत्री और कांग्रेस नेता नगमा ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने भारतीय रेलवे अडानी ग्रुप को बेच दिया है. उन्होंने एक ट्रेन का वीडियो शेयर किया है, जिसमें सामने की ओर वडोदरा लिखा है तो ट्रेन के दोनों तरफ फॉर्चून ब्रांड के आटे का विज्ञापन नजर आ रहा है. साथ ही, एक जगह ‘अडाणी विलमार’ का पोस्टर भी लगा है.

इस वीडियो को शेयर करते हुए अभिनेत्री ने अंग्रेजी में कैप्शन लिखा है जिसका हिंदी अनुवाद है, “अडाणी की ट्रेनें तैयार हो रही हैं!”

एक्टर दर्शन औलख ने भी वायरल वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, “देखो अडाणी दी ट्रेन दा इंजन विद फॉर्चून आटा दी ऐड नाल. भारत की जनता के साथ एक बड़ा खेल खेला जा रहा है. इस मोदी ने इंडिया को बेड़ागर्क कर दिया है!”

इस पोस्टका आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि भारतीय रेलवे अडाणी समूह को बेच देने की बात गलत है. कुछ महीनों पहले भारतीय रेलवे की एक योजना के तहत अडाणी समूह ने कुछ ट्रेनों में अपने उत्पादों का विज्ञापन दिया था. ऐसी ही एक ट्रेन का वीडियो अब गलत दावे के साथ पेश किया जा रहा है.

एक फेसबुक यूजर ने वायरल वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “अडानी रेलवे…अच्छे दिन आ गए… पर किसके ???”

एक ट्विटर यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “जिस रेल इंजन पर इंडियन रेलवे लिखा जाना चाहिए था उस जगह पर फेकू के दोस्त अडाणी का नाम लिखा जा रहा है.”

क्या है सच्चाई

वडोदरा में पश्चिमी रेलवे ने किराए के अतिरिक्त कमाई (नॉन फेयर रेवेन्यू) करने वाली सरकारी योजना के तहत दस ट्रेनों में विज्ञापन देने के लिए टेंडर जारी किए थे. ये टेंडर अडाणी समूह को मिले थे और तभी फरवरी में समूह की कंपनी ‘अडाणी विलमार’ के फॉर्चून आटे का विज्ञापन वडोदरा की ट्रेन पर पेंट किया गया था.

पश्चिमी रेलवे के फेसबुक पेज पर 1 फरवरी को विज्ञापन की पेंटिंग वाली ट्रेन के उद्घाटन समारोह की जानकारी दी गई थी. साथ ही, ये बताया गया था कि इससे रेलवे को 1 करोड़ पांच लाख रुपये का राजस्व मिलेगा.

Opening up avenues under Non Fare Revenue, WR has got the branding of its 10 Electric Locomotives done at Electric Loco…

Posted by Western Railway on Saturday, 1 February 2020
भारतीय रेलवे की वेबसाइट पर भी 3 फरवरी को इस संबंध में एक प्रेस रिलीज जारी की गई थी.

‘मिंट’ और ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ जैसी न्यूज वेबसाइट्स में भी इससे संबंधित खबरें छपी थीं.

‘कनेक्ट गुजरात’ नाम की एक स्थानीय वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे के डीआरएम देवेंद्र कुमार ने बताया, “इलेक्ट्रिक ट्रेनों पर विज्ञापन करने का टेंडर अडाणी समूह को 5 साल के लिए दिया गया है.”

हमें ‘द न्यूज टाइम्स’ नाम के गुजराती यूट्यूब चैनल पर एक रिपोर्ट मिली जिसमें फॉर्चून आटे के साथ ही अमूल के विज्ञापन वाली ट्रेन भी नजर आ रही है. इस वीडियो में रेलवे के एक अधिकारी बता रहे हैं, “इन ट्रेनों को हर तीन साल में पेंट किया जाता है, जिस पर करीब आठ लाख रुपये का खर्च आता है. ऐसे में विज्ञापन से हुई आय की मदद से इन पैसों की बचत हो जाती है.”

इसी वीडियो में अडाणी समूह के प्रतिनिधि कह रहे हैं, “हमने ट्रेन में विज्ञापन इसलिए दिया क्योंकि हमारे सभी उत्पाद, जैसे आटा, सोया बड़ी, रिफाइंड तेल आदि आम लोगों की जरूरत के सामान हैं और ट्रेन यातायात का एक ऐसा माध्यम है जिसमें आम लोग यात्रा करते हैं.”

देश की अलग-अलग कंपनियां समय-समय पर ट्रेनों में विज्ञापन देती रही हैं. ‘रेलजोन’ नामक वेरिफाइड यूट्यूब चैनल के इस वीडियो में भारतीय ट्रेनों पर दिए गए अलग-अलग ब्रांड्स के विज्ञापन देखे जा सकते हैं.

इससे पहले सितंबर में अडाणी समूह की कंटेनर ट्रेन से जुड़ा एक भ्रामक दावा वायरल हुआ था. उस वक्त ‘इंडिया टुडे ग्रुप’ ने इसकी सच्चाई बताई थी.

एसएमहोक्स स्लेयर वेबसाइट भी इस दावे की सच्चाई का खुलासा कर चुकी है.

ये बात साफ है कि अडाणी समूह को भारतीय रेल बेच दिए जाने की बात में कोई दम नहीं है. अडाणी समूह ने फरवरी में वडोदरा की ट्रेनों में अपना विज्ञापन दिया था. ऐसी ही एक ट्रेन के वीडियो के जरिये अब भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है.

फैक्ट चेक

दावा
सरकार ने भारतीय रेलवे अडाणी ग्रुप को बेच दिया है.

निष्कर्ष
अडाणी ग्रुप को भारतीय रेलवे नहीं बेचा गया है. ग्रुप ने फरवरी में वडोदरा की कुछ ट्रेनों में अपने उत्पादों का विज्ञापन दिया था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *