पोक्सो: मौ. उनैस को 87 वर्ष कैद,4.60 लाख₹ अर्थदंड
केरल का मौहम्मद उनैस करता रहा 16 साल की लड़की से 2 साल तक रेप, न्यूड फोटो वायरल करने की दी धमकी: कोर्ट ने सुनाई 87 साल की सजा, ₹460000 का जुर्माना भी ठोंका
तिरुवनंतपुरम 05 जनवरी 2025। केरल के मलप्पुरम में कोर्ट ने एक नाबालिग लड़की से 2 साल तक बलात्कार करने वाले उनैस (29 वर्ष, पुत्र हुसैन) को 87 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उस पर ₹4.6 लाख का जुर्माना भी ठोंका है। जुर्माने का यह पैसा नाबालिग पीड़िता को दिया जाएगा। उनैस अगर पैसा नहीं जमा करता है, तो उसकी सजा भी बढ़ जाएगी।
कोर्ट ने यह सजा उसे POCSO समेत बाकी अपराधों के लिए सुनाई है। उनैस ने पीड़िता के घर में 2020 से 2022 के बीच कई बार जबरदस्ती घुसकर उसका रेप किया। पीड़िता को डरा धमका कर उसकी नग्न तस्वीरें भी ले ली और उन्हें वायरल करने की धमकियाँ देता रहा।
घटना का पता चलने के बाद पीड़िता के परिजनों ने पुलिस को यह सूचना दी जिसके बाद उनैस पकड़ा गया।
POCSO मामला: 130 साल सजा पाने वाले आरोपित को 110 साल के कठोर कारावास की सजा
जिस आरोपित को 10 साल के बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में 130 साल के कठोर कारावास और 8.75 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई गई थी, उसे एक और 11 साल की बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में 110 साल के कठोर कारावास और 7.75 लाख के जुर्माने की सजा सुनाई गई। चावक्कड़ फास्ट-ट्रैक विशेष अदालत के न्यायाधीश अन्यास तायिल ने ओरुमनयूर के नाना मंगडी घर के सजीव (52 वर्ष) को दोषी ठहराया और सजा सुनाई। 8.75 लाख का जुर्माना नहीं देने पर कोर्ट को 35 महीने की अतिरिक्त सजा काटनी होगी और अगर दूसरे मामले में 7.75 लाख का जुर्माना नहीं चुकाया तो 31 महीने की अतिरिक्त सजा भी काटनी होगी अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को बच्चों को पर्याप्त कानूनी मुआवजा देने और यदि आरोपित से जुर्माना वसूला जाता है, तो जुर्माना राशि बच्चों को देने का आदेश दिया। घटना अप्रैल 2023 में हुई थी.
बच्ची को यह कहकर घर की छत पर ले जाकर प्रताड़ित किया गया कि वे उन्हें बढ़ावा देंगें। प्रताड़ना के कई महीनों बाद 10 साल के बच्चे की मां ने अपनी सहेली से पूछा कि आरोपित ने इस बच्चे से भी कुकर्म किया है. शौजात के बयान दर्ज करने और बच्चे के बयान पेश करने के आधार पर एस.आई. वी.एम. शाजू ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर प्रारंभिक जांच की। एस.आई सेसिल क्रिश्चियन राज ने जांच जारी रखी और SHO विपिन के वेणुगोपाल ने जांच पूरी कर आरोप पत्र प्रस्तुत किया। अभियोजन पक्ष से विशेष लोक अभियोजक सीजू मुमटत, एडवोकेट. सी निशा भी मौजूद रहीं। सीपीओ सिंधु और प्रसीता ने अदालती कार्यवाही के समन्वय में अभियोजन पक्ष की सहायता की।
केरल में पांच साल की बच्ची से बलात्कार के जुर्म में उसके पिता और मामा को 84 साल की कैद
सरकारी वकील ने बताया कि कैद की सजा के अलावा विशेष अदालत ने उन पर तीन-तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और निर्देश दिया कि जुर्माना राशि पीड़िता को दी जाए.
केरल में पांच साल की बच्ची से बलात्कार के जुर्म में उसके पिता और मामा को 84 साल की कैदविशेष अदालत ने उन पर तीन-तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. (प्रतीकात्मक)
इडुक्की (केरल) :
केरल में एक विशेष पोक्सो अदालत ने पांच साल की एक बच्ची से बार-बार बलात्कार करने के जुर्म में बृहस्पतिवार को उसके पिता और मामा को कुल 84 साल की कैद की सजा सुनाई. देवीकुलम पोक्सो त्वरित अदालत के न्यायाधीश रविचंद्र सी आर ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (पोक्सो), भारतीय दंड संहिता और किशोर न्याय अधिनियम में दोनों मुजरिमों को कुल 84 साल की कैद की सजा सुनाई.
विशेष सरकारी वकील समजू के दास ने बताया कि हालांकि उन्हें 20 साल ही सलाखों के पीछे रहना होगा क्योंकि यह उनकी विभिन्न सजा में सबसे अधिक है. दास के अनुसार अदालत ने उन्हें कैद की अलग-अलग सजाएं एक साथ काटने की अनुमति दी.
सरकारी वकील ने बताया कि कैद की सजा के अलावा विशेष अदालत ने उन पर तीन-तीन लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया और निर्देश दिया कि जुर्माना राशि पीड़िता को दी जाए.
उन्होंने कहा कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भी पीड़िता को मुआवजा देने का अदालत द्वारा निर्देश दिया गया.
दास ने कहा कि पीड़िता से उसके पिता और मामा ने 2021 में उसके घर में बार-बार बलात्कार किया और बलात्कार की अंतिम घटना 24 दिसंबर, 2021 को हुई जब लड़की मां ने उसके साथ यह वारदात होते हुए देख लिया.
वकील के अनुसार लड़की की मां ने बाल कल्याण समिति से इसकी शिकायत की जिसने पुलिस को इसकी सूचना दें।
कुछ लोग अपने प्रतिद्वंद्वियों से बदला लेने को POCSO Act का दुरुपयोग कर रहे हैं: केरल हाईकोर्ट
– : 2024-12-04 07:29 GMT
केरल हाईकोर्ट ने पाया कि कुछ लोग अपने प्रतिद्वंद्वियों से बदला लेने को POCSO Act के प्रावधानों का दुरुपयोग कर रहे हैं।
इस प्रकार न्यायालय ने कहा कि न्यायालयों को अनाज को भूसे से अलग करके विश्लेषण करना चाहिए कि क्या आरोप POCSO Act में अभियोजन के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनाते हैं या नहीं।
जस्टिस ए. बदरुद्दीन ने कहा कि न्यायालय CrPC की धारा 482 या BNSS की धारा 528 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करके गलत इरादों से दायर झूठे और तुच्छ मुकदमों को रद्द करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करेगा।
“यह स्पष्ट है कि POCSO Act बच्चों को किसी भी तरह के यौन शोषण से बचाने को विधायिका ने बहुत कठोर प्रकृति के विस्तृत दंड प्रावधानों के साथ अधिनियमित किया है। आजकल, POCSO Act के प्रावधानों का दुरुपयोग कुछ लोग बदला लेने और अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ मजबूत मामला बनाने को कर रहे है, ताकि गुप्त उद्देश्य प्राप्त किये जा सके। जब मामले के तथ्यों की जांच की जाती है अगर यह पता चलता है कि आरोप गुप्त उद्देश्यों से लगाए गए हैं और यह विवेक के लिए पचने योग्य नहीं हैं तो अदालतें CrPC की धारा 482 या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 528 में अपनी शक्ति का प्रयोग करके झूठे और तुच्छ मुकदमों को शुरू में ही निरस्त कर देंगी।”
मामले के तथ्यों में शिकायतकर्ता-पत्नी ने पति पर उस समय उसके साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया, जब वह उनकी शादी से पहले नाबालिग थी। आरोपी पर IPC की धारा 354डी, 450 और 376(2)(एन) तथा POCSO Act की धारा 6 सहपठित 5(1) में दंडनीय अपराध करने का आरोप है। उसने फाइनल रिपोर्ट और कार्यवाही रद्द करने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
यह आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता और शिकायतकर्ता ने 2017 में कानूनी रूप से विवाह किया लेकिन वे 2015 से प्रेम संबंध में थे, जब शिकायतकर्ता अभी भी नाबालिग थी। यह आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता के साथ बार-बार यौन संबंध बनाए जब वह नाबालिग थी। आईपीसी तथा पोक्सो अधिनियम में अपराध किए।
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि शिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता ने 2017 में कानूनी रूप से विवाह किया था। विवाह से पहले कोई यौन संबंध नहीं था, जैसा कि आरोप लगाया गया। यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ता ने शुरू में पुलिस थाने में भरण-पोषण से इनकार करने का मामला दर्ज कराया और किशोरावस्था के दौरान यौन उत्पीड़न का कोई आरोप नहीं था।
यह तर्क दिया गया कि शिकायतकर्ता ने अपने विवाह में मतभेद के बाद झूठा मामला दर्ज कराया, जिसका उद्देश्य POCSO Act के प्रावधानों का दुरुपयोग करके याचिकाकर्ता के खिलाफ बदला लेना था।
कोर्ट ने कहा कि 2015 में कथित रूप से हुए यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करने में देरी के लिए कोई पर्याप्त स्पष्टीकरण नहीं था। इसने नोट किया कि FIR केवल 2020 में दर्ज की गई थी जबकि पक्षों ने 2017 में कानूनी रूप से विवाह किया।
कोर्ट ने कहा कि यहां याचिकाकर्ता की पत्नी वास्तविक शिकायतकर्ता है। उसने वर्ष 2015 और 2016 में उनके बीच सहवास के बारे में तीन साल और एक महीने बाद शिकायत दर्ज कराई, जब वैवाहिक संबंध खराब हो गए और वे प्रतिद्वंद्वी बन गए। प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि पत्नी द्वारा पति के खिलाफ POCSO Act और IPC के दंडात्मक प्रावधानों का दुरुपयोग करके विवाह के बहुत बाद में लगाए गए सभी आरोप गलत मंशा से लगाए गए।
कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया निराधार थे। इस प्रकार इसने याचिकाकर्ता के खिलाफ फाइनल रिपोर्ट और सभी कार्यवाही रद्द की।
केस टाइटल: XXX बनाम केरल राज्य
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Kerala High Court Kerala HC Section 482 POCSO Act Misuse False litigations Minor