मोरी मंदिर में दलित विवाद में राजनीति,सच क्या है?
उत्तराखंड: मंदिर में घुसने पर दलित युवक की ‘पिटाई’ से बढ़ा तनाव, क्या है पूरा मामला – ग्राउंड रिपोर्ट
राजेश डोबरियाल
घायल आयुष कुमार
देहरादून 20 जनवरी। चमोली के जोशीमठ में घर और ज़मीन दरक रही है तो उत्तरकाशी के सुदूर इलाके मोरी में सामाजिक सौहार्द बिगड़ने का एक मामला सुर्ख़ियों में है.
10 दिन पहले यहां के एक मंदिर में प्रवेश करने पर एक दलित युवक को बुरी तरह पीटा गया और जलाने का प्रयास किया गया.
युवक का इलाज देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज में चल रहा है और डॉक्टरों के अनुसार, अब वे ख़तरे से बाहर हैं. हालांकि दलित युवक सदमे में हैं.
पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है।
उधर मोरी में दलित समुदाय अब मंदिरों में प्रवेश के अधिकार को लेकर आंदोलन की तैयारी कर रहा है।
सालरा गांव स्थित कौंल का मंदिर
पूरा मामला क्या है
मोरी ब्लॉक के सालरा गांव में नौ जनवरी की रात के घटनाक्रम की तीन कहानियां हैं. एक पिटने वाले दलित पक्ष की, एक पीटने वाले सवर्ण पक्ष की और तीसरी प्रशासन की.
सबसे पहले उन तथ्यों पर नज़र डाल लेते हैं जो तीनों में एक जैसे हैं.
सालरा गांव में कौंल का मंदिर है जो आस-पास के क़रीब 15 गांवों की आस्था का केंद्र है.
सालरा के पड़ोसी बैनोल गांव के रहने वाले 22 साल के एक दलित युवक आयुष नौ जनवरी की रात क़रीब आठ बजे मंदिर में गए. आरोप ये है कि वहां उन्होंने मौजूदा संदूक और अन्य सामग्रियों को नुक़सान पहुंचाया.
इसके बाद वहां उनके साथ बैनोल गांव के कुछ सवर्णों ने कई घंटे तक मारपीट की और उन्हें जलाने का प्रयास किया. इससे आयुष बुरी तरह घायल हो गए.
सालरा, बैनोल और आसपास के दलित मंदिरों में प्रवेश नहीं करते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि सदियों से ऐसा ही चला आ रहा है।
दून अस्पताल में आयुष के साथ मौजूद उसके बड़े भाई विनेश कुमार के अनुसार, नौ तारीख़ की रात क़रीब आठ बजे आयुष मंदिर में गए थे और ध्यान लगाकर बैठे थे. यह पता चलने पर बैनोल गांव के कुछ सवर्ण वहां पहुंचे और उनकी बुरी तरह से पिटाई कर दी.
विनेश के अनुसार, पिटाई करने वालों ने शराब पी हुई थी. बुरी तरह से घायल आयुष सुबह किसी तरह मंदिर से निकले.
सालरा गांव के पूर्व प्रधान और सवर्ण किताब सिंह इस कहानी का दूसरा वर्ज़न सुनाते हैं. वे कहते हैं, “आयुष रात को अपने गांव में दलित समाज के ही कुछ लोगों के साथ थे कि अचानक वह मंदिर में जाने की बात कहने लगे. उनके साथ मौजूद लोगों ने उन्हें रोकना चाहा, लेकिन वे नंगे पांव ही दौड़ पड़े और चौकीदार के रोकते-रोकते मंदिर में घुस गए.”
किताब सिंह ने बताया, “मंदिर में घुसने के बाद आयुष ने वहां रखे संदूक, शंख आदि फेंकने शुरू कर दिये. उन्होंने चौकीदार को मारा, जो भागकर बाहर गया और शोर मचाकर लोगों को बुलाया. इसके बाद आयुष गर्भगृह में घुसे.”
वे कहते हैं, “गर्भगृह में घुसने की अनुमति मंदिर के 12 पुजारियों में से भी सिर्फ़ तीन को ही है. इन्हें भी साल के केवल तीन पर्वों के दौरान ही गर्भगृह में प्रवेश करने की इजाज़त है.”
मंदिर के चौकीदार के हवाले से किताब सिंह कहते हैं, “गर्भगृह में घुसने के बाद आयुष ‘सदियों से अनवरत जल रहे पवित्र हवनकुंड’ पर बैठे और अपने हाथ-पैर से जलती लकड़ियों को फेंकने लगे. इसी वजह से ही वे थोड़ा जल भी गए. इसके बाद वे बाहर आए तो बैनोल गांव के गुस्साए कुछ लोगों ने उनकी पिटाई कर दी.”
विपेंद्र सिंह, ग्राम प्रधान बैनोल
पुलिस की कार्रवाई
बैनोल गांव के सवर्ण प्रधान विपेंद्र सिंह भी किताब सिंह की बात की पुष्टि करते हैं. वे कहते हैं, “लोगों को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि आयुष ने मंदिर में घुसकर तोड़फोड़ की थी और गर्भगृह में घुस गए थे जिसमें घुसने की अनुमति सिर्फ़ तीन पुजारियों को है वो भी साल भर में केवल तीन दिन ही.”
विपेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि उस दिन गांव में किसी के घर में पार्टी थी और उसमें संभवतः कुछ लोगों ने शराब पी थी. जब रात को पता चला कि मंदिर में घुसकर किसी ने तोड़फोड़ कर दी है तो ये लोग मंदिर की तरफ़ दौड़े और तैश में आकर आयुष की पिटाई कर दी.
उत्तरकाशी के सीओ (ऑपरेशन्स) प्रशांत कुमार इस मामले की जांच कर रहे हैं. वे कहते हैं, “मौके का मुआयना करने पर उन्हें मंदिर में तोड़फोड़ किए जाने के साक्ष्य मिले हैं.”
वे यह भी कहते हैं, “इस मामले में शिकायत मिलते ही उन्होंने नामज़द पांचों लोगों को गिरफ़्तार कर लिया, जो अभी न्यायिक हिरासत में हैं.”
विपेंद्र सिंह कहते हैं, “वह आयुष के पिता अत्तर लाल को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि जिन्होंने आयुष को मारा, वो तो अब जेल में हैं. उन पर क़ानून के अनुसार कार्रवाई होगी, अब वे मामले को आगे न बढ़ाएं और गांव के सौहार्द को फिर से बनाए रखने में सहयोग करें.”
स्थानीय विधायक भी दोनों पक्षों में समझौता करवाने की कोशिश में जुटे हैं
फ़ाइल फ़ोटोः आयुष कुमार अपनी पत्नी के साथ
उस रात क्या हुआ था
आयुष कुमार नैटवाड़ मोरी जलविद्युत परियोजना में काम करते हैं.
उनके बड़े भाई विनेश पीआरडी (प्रांतीय रक्षा दल) में काम करते हैं. वे कहते हैं कि उन्हें साल में तीन महीने ही काम मिलता है और आयुष की कमाई से ही उनका घर चलता है.
उन्होंने बताया कि बैनोल गांव के 48 परिवारों में से सात दलितों के और 41 सवर्णों के हैं.
स्थानीय पत्रकार शैलेंद्र गोदियाल के अनुसार, ”मोरी क्षेत्र में दलितों की आबादी क़रीब 17-18 प्रतिशत है. उनके मुताबिक गांव का दलित समुदाय आर्थिक तौर पर कमज़ोर है इसलिए आमतौर पर वह सवर्णों के साथ मेल रखकर चलता है. बरसों से जो रूढ़ियां चली आ रही हैं उन्हें दोनों पक्ष बनाये हुए हैं.”
इस बातचीत के दौरान बार-बार एक सवाल उठ रहा था कि जब दलितों के मंदिर में प्रवेश न करने की रूढ़ि चली आ रही है, तो अचानक रात को आठ बजे आयुष मंदिर में क्यों गए?
इस पर गांव के एक अन्य दलित युवक प्रकाश ने बीबीसी से कहा, “तब आयुष के ऊपर जैसे देवता आ गए थे.”
वे कहते हैं, “गांव में इस तरह की रूढ़िवादी धारणा आम है. वह किसी के काबू में ही नहीं आ रहे थे और मंदिर की ओर नंगे पैर इतनी तेज़ी से भागे कि जब तक मैं जूते पहनकर उन तक पहुंचा, वे मंदिर के अंदर घुस चुके थे.”
आयुष के भाई विनेश भी यही कहते हैं. पुलिस ने इस बारे में ऑन रिकॉर्ड कुछ नहीं कहा.
सवर्णों ने दिया दंड?
विनेश कहते हैं, “देवता ले गए होंगे, तभी तो वे गए होंगे. वरना क्यों जाते?”
लेकिन यह बात गांव के सवर्ण समाज को समझ नहीं आई. विनेश के अनुसार, “आयुष की पिटाई किए जाने के अगले ही दिन गांव वालों ने आयुष के परिजनों को मंदिर को अपवित्र करने के लिए दंड स्वरूप सवा लाख रुपये और एक बकरा देने का आदेश सुना दिया.”
“इसके अलावा उन्हें मंदिर के शुद्धिकरण का ख़र्च देने और देवता के केदारनाथ स्नान (जो 12 साल में एक बार होता है) का खर्च, 20 लाख रुपये, देने का भी आदेश दिया.”
विनेश कहते हैं कि उन्होंने कहा भी कि वह इतने पैसे कहां से लाएंगे, लेकिन सवर्ण लोग नहीं माने.
इसके बाद उनके परिवार ने आयुष की पिटाई करने वाले सवर्णों के ख़िलाफ़ केस दर्ज करवा दिया.
मोरी में करणी सेना का प्रदर्शन
मामले में राजनीति
मामला चर्चा में आने के बाद राजनीति भी ख़ूब हो रही है. भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनजीत सिंह नौटियाल गत शनिवार बैनोल गांव पहुंचे और प्रशासन की मौजूदगी में ही कह दिया कि “जिस मंदिर में दलितों को प्रवेश करने से रोका जा रहा है उस पर वह बुल्डोज़र चलवा देंगे.”
स्थानीय लोगों ने तो इसका विरोध किया ही करणी सेना भी इस मामले में कूद गई है. गत सोमवार को करणी सेना के नेता शक्ति सिंह के नेतृत्व में मोरी बाज़ार में एक विरोध जुलूस निकाल नौटियाल की गिरफ़्तारी की मांग की गई.
पुलिस ने नौटियाल के ख़िलाफ़ धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया है.
एक रिश्तेदार और सुरक्षा को तैनात पुलिसकर्मी के साथ दून अस्पताल में भर्ती आयुष के वॉर्ड के बाहर मौजूद आयुष के भाई विनेश कुमार
इस विवाद के तूल पकड़ने के बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की सदस्य अंजूबाला और पूर्व भाजपा सांसद तरुण विजय भी बैनोल पहुंचकर पीड़ित परिवार से मिले. इसके बाद वह देहरादून में आयुष से भी मिले.
पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रशांत कुमार कहते हैं कि स्थिति अब नियंत्रण में है और दोनों पक्षों में बातचीत चल रही है.
अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष मुकेश कुमार ने कहा कि उन्होंने उत्तरकाशी के एसपी और डीएम को निर्देश दिया है कि जिन मंदिरों में दलितों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा उन्हें चिन्हित करें. उन्हें समझाएं और न मानें तो उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किए जाएं.
दलितों के ख़िलाफ़ अपराध
2011 की जनगणना के अनुसार,उत्तराखंड में अनुसूचित जाति की आबादी 18,92,516 थी.उत्तराखंड अनुसूचित जाति आयोग की सचिव कविता टम्टा ने बताया कि इस साल (वित्त वर्ष 2022-23) अब तक 472 शिकायतें आयोग को मिली हैं जिनमें से 180 का निस्तारण कर दिया गया है.
साल 2021-22 में आयोग को कुल 640 शिकायतें मिली थीं जिनमें से 409 का निस्तारण किया गया था. इसी तरह साल 2020-21 में आयोग को कुल 509 शिकायतें मिली थीं जिनमें से 300 को निपटा लिया गया था.
विनेश चाहते हैं कि आयुष को पीटने वालों के ख़िलाफ़ धारा 307 (जान से मारने की कोशिश) का मामला दर्ज किया जाए.
लेकिन इस मामले की जांच कर रहे पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रशांत कुमार ने बताया कि “धारा 307 डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर दर्ज होती है. चूंकि आयुष का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें कोई गंभीर चोट नहीं है, इसलिए इस धारा में मामला दर्ज नहीं हो सकता.”
दून अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर यूसुफ़ रिज़वी
दून अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर यूसुफ़ रिज़वी भी इस बात की पुष्टि करते हैं.वे बताते हैं,”आयुष के सभी टेस्ट कर लिए गए हैं.उनके शरीर पर कोई गंभीर चोट नहीं मिली है.उनका साइको एनालिसिस भी किया गया और मनोचिकि- त्सकों का कहना है कि वह धीरे-धीरे सदमे से उबर जाएंगे.”
डॉक्टर रिज़वी कहते हैं, “आयुष के शरीर पर जलने के जो निशान हैं उनकी संभावित वजह क्या हो सकती है, यह मेडिकल बोर्ड ही सुनिश्चित कर सकता है और ज़रूरत महसूस हुई तो वे इसका गठन करेंगे.”
डॉक्टर रिज़वी ने बताया कि एक हफ़्ते बाद आयुष को डिस्चार्ज किया जा सकता है.
अपने छोटे बेटे के साथ दिन-रात मौजूद मां और भाई भी यही चाहते हैं कि वह जल्द से जल्द घर लौटें।