जीएसडीपी में डेरी और पशुपालन हिस्सा 3 से बढ़ाकर करें 5%: धामी
*पशुपालन एवं डेरी विकास की योजनायें बनें जीएसडीपी में वृद्धि के आधार*
*योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में नवाचार पर दिया जाए ध्यान-मुख्यमंत्री*
देहरादून 31 जुलाई 2024 । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सचिवालय में पशुपालन, डेरी विकास, मत्स्य पालन और गन्ना विकास विभाग की समीक्षा की। बैठक में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि पशुपालन और डेरी विकास के क्षेत्र में 03 वर्षों में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में योगदान 03 प्रतिशत से बढ़ाकर 05 प्रतिशत करने की दिशा में कार्य किये जाएं। इसके लिए उन्होंने स्थानीय उत्पादों को तेजी से बढ़ावा देने पर भी बल दिया। उन्होंने पशुपालन और डेरी विकास के क्षेत्र में जीएसडीपी में वृद्धि को आवश्यक संसाधनों का पूरा एक्शन प्लान तैयार कर प्रस्तुत करने के साथ प्रत्येक जनपद में एक-एक मॉडल पशु चिकित्सालय बनाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिये योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के साथ नवाचार की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य किया जाए, जिससे स्थानीय स्तर पर लोगों की आजीविका में वृद्धि हो और पलायन भी रूके। डेरी विकास तथा पशुपालन के क्षेत्र में राज्य की आर्थिकी में सुधार को अन्य प्रदेशों से आयातित दूध व दुग्ध उत्पादों, पोलट्री उत्पादों की निर्भरता कम की जाए। उन्होंने संतोष व्यक्त किया कि गोट वैली, कुक्कुट वैली और ब्रायलर फार्म की स्थापना राज्य में पशुपालकों की आय बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुई है। इन योजनाओं को और तेजी से बढ़ावा दिया जाए।
मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिए कि राज्य में डेरी विकास को दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के साथ ही विभिन्न दुग्ध उत्पादों को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से कार्य किया जाए। दुग्ध उत्पादन से लाभकारी आय के लिए इनपुट प्रोडक्सन एवं डिलीवरी सिस्टम सुदृढ़ बनाया जाए। एफ.पी.ओ के माध्यम से किसानों को उन्नत किस्म के चारा बीज उपलब्ध कराने और हरा एवं सूखा चारा उत्पादन को प्रोत्साहित किये जाने के साथ राज्य में अधिक से अधिक दुग्ध उत्पादक सेवा केन्द्र स्थापित किये जाने के भी निर्देश मुख्यमंत्री ने दिये।
*राज्य में मछली की खपत के अनुरूप हो उत्पादन- मुख्यमंत्री*
मत्स्य विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि पर्वतीय क्षेत्रों में ट्राउट फिश का उत्पादन तेजी से बढ़ाया जाए। इनकी बिक्री के भी उचित प्रबंध किये जाएं। यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का मत्स्य पालकों को अधिक से अधिक लाभ मिले। राज्य में मत्स्य पालन को और तेजी से बढ़ावा देने को विभाग लक्ष्य तय करे, लक्ष्यों को फोकस करते हुए समयबद्धता से आगे कार्य किये जाएं। राज्य में मछली की खपत के अनुरूप उत्पादन की दिशा में भी तेजी से प्रयास किये जाएं। मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना से भी अधिक से अधिक मत्स्य पालक जोडे जाए। उन्होंने कहा कि तालाब निर्माण से मत्स्य पालन प्रोत्साहित किया जा सकता है, वहीं जल संरक्षण की दिशा में भी यह सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने कहा कि कलस्टर बनाकर तालाबों का निर्माण किया जाए और उनहे मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाए।
*गन्ना मिलों के आधुनिकीकरण, दक्षता और क्षमता में वृद्धि की दिषा में किये जाए कार्य-मुख्यमंत्री*
गन्ना विकास विभाग की समीक्षा में मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिये कि गन्ना मिलें घाटे से उबारी जाए। गन्ना मिल दक्षता, आधुनिकीकरण और क्षमता में वृद्धि की दिशा में कार्य किये जाएं। उन्होंने राज्य में गन्ना बीज बदलाव,जीपीएस से गन्ना सर्वेक्षण के साथ प्रदेश में जैविक गन्ना उत्पादन प्रोत्साहन के लक्ष्य जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश देते हुए कहा कि किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान समय पर सुनिश्चित किया जाए।
कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने बताया कि पशु स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण को वृहद् स्तर पर पशुओं का टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। मोबाईल वैटिनरी यूनिट से पशुपालकों के द्वार पर पशुचिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। मुख्यमंत्री राज्य पशुधन मिशन में इस वर्ष डेरी विकास में 3385 दुधारू पशुओं के क्रय के लिए 611 परिवारों को दुग्ध व्यवसाय से जोड़ने तथा 4943 पशुपालकों को बकरी व कुक्कुट पालन का लक्ष्य रखा है। पर्वतीय क्षेत्रों में साइलेज, चारा फीड ब्लाक की सुगमता से उपलब्ध होने के कारण महिलाओं का बोझ कम किया गया है। पशुपालन संबधित कार्यों में महिलाओं की भागीदारी 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 03 वर्षों में दुग्ध उपार्जन, संतुलित पशु आहार एवं साईलेज विक्रय में वृद्धि हुई है। गोट वैली से राज्य में डेढ़ साल में 3027 पशुपालकों को लाभ मिला है, जिसमें 37 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। राज्य में कुक्कुट की 2622 ईकाई स्थापित हैं इस वर्ष 01 हजार और ईकाई स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव रमेश कुमार सुधांशु, सचिव डॉक्टर बी.वी.आर. सी. पुरूषोत्तम, विशेष सचिव डॉक्टर पराग मधुकर धकाते, अपर सचिव विजय जोगदंडे, नियोजन विभाग से श्री मनोज पंत और संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।