सनातनी बन लव जिहाद कानून से बचने की आरिफ की कोशिश हाईकोर्ट में बेकार, उल्टे आधार कार्ड फोर्जरी में फंसा
सनातनी बन लव जिहाद कानून से बचने की आरिफ की कोशिश इलाहाबाद हाईकोर्ट में बेकार,आधार कार्ड फोर्जरी में भी फंसा
प्रयागराज 17 अक्टूबर 2024.इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में व्यक्ति (आरिफ हुसैन उर्फ सोनू सिंह) को राहत देने से इनकार किया। उक्त व्यक्ति पर हिंदू महिला (इंफॉर्मेंट) को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने, अपना असली नाम और धर्म छिपाकर उसके साथ बलात्कार करने और उसके बाद उसे अपने साथ शादी करने के लिए मजबूर करने का आरोप है।
आरोपी का कहना है कि उसने 15 साल पहले सनातन धर्म अपना लिया था। 2009 में आर्य समाज मंदिर में पीड़िता से शादी की थी लेकिन जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने कहा कि 2009 में कथित तौर पर इस्लाम से सनातन धर्म अपनाने के बाद उसने 2012 में आरिफ हुसैन के नाम से खुद को इस्लाम का अनुयायी बताते हुए आधार के लिए आवेदन किया था।
“यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 ने न तो अपने रिश्ते में और न ही उक्त विवाह के बाद भी खुद को ईमानदारी से संचालित नहीं किया।”
न्यायालय ने कहा कि उसने SC/ST Act और BNS की विभिन्न धाराओं के तहत उसके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने से इनकार किया, जिसमें धारा 70 (1), 318 (4) और 115 (2) शामिल हैं।
यह इंफॉर्मेंट-पत्नी का मामला था कि आरोपी ने खुद को गलत नाम से पहचान कर शुरू में उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया। उसके साथ बलात्कार किया और उसके बाद उसे उससे शादी करने के लिए मजबूर किया।
FIR में पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि उसने उसे अपने दो भाइयों (सह-आरोपी) के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया।
FIR को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता नंबर 1 (पति-आरोपी) ने हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें उसके वकील ने दावा किया कि उसने अपना धर्म इस्लाम से सनातन में परिवर्तित कर लिया है। इस दावे का समर्थन करने के लिए लखनऊ के आर्य समाज मंदिर द्वारा जारी धर्मांतरण और विवाह प्रमाण पत्र भी दायर किए गए।
कोर्ट ने दोनों प्रमाण पत्रों को ‘संदिग्ध’ पाया, क्योंकि उसने पाया कि दोनों में एक ही सीरियल नंबर था। विवाह प्रमाण पत्र में पक्षों की उम्र का उल्लेख नहीं किया गया और धर्मांतरण प्रमाण पत्र में शब्द भी अनुचित थे।
न्यायालय ने यह भी कहा कि 2009 में इस्लाम से सनातन धर्म अपनाने के उसके दावे के बावजूद याचिका में 2012 में जारी आधार कार्ड की कॉपी शामिल थी, जो आरिफ हुसैन के नाम पर थी।
जब खंडपीठ ने वकील से पूछा कि याचिकाकर्ता नंबर 1 जो 2009 में पहले ही इस्लाम से सनातन धर्म अपना चुका था, ने 2012 में आरिफ हुसैन के रूप में आधार के लिए आवेदन क्यों किया खुद को इस्लाम का अनुयायी बताते हुए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया जा सका।
इसे देखते हुए और मामले के अजीबोगरीब तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए न्यायालय ने इस स्तर पर FIR में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जब पूरी जांच लंबित थी। इसलिए रिट याचिका खारिज कर दी गई।
न्यायालय ने पुलिस को इस तथ्य की जांच करने की स्वतंत्रता दी कि क्या याचिकाकर्ता नंबर 1 ने भी वर्ष 2012 में गलत/अधूरी जानकारी के आधार पर आरिफ हुसैन के नाम से अपना आधार कार्ड बनवाने का अपराध किया, जबकि वह वर्ष 2009 में ही इस्लाम से सनातन धर्म अपना चुका था।
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सनातन धर्म अपना लिया तो नाम आरिफ क्यों? हाई कोर्ट ने पूछा सवाल तो जवाब न दे सका… याचिका खारिज
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने धर्म छिपाकर शादी और दुष्कर्म करने के आरोप में दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। आरोपी ने कहा था कि उसने 15 साल पहले इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म अपनाया था लेकिन उसके आधार कार्ड पर अभी भी आरिफ हुसैन नाम है।
याची ने कहा था, 15 वर्ष पहले वर्ष 2009 में इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपनाया
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने धर्म छिपाकर शादी व दुष्कर्म करने के आरोप में दर्ज एफआईआर को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।
मामले में अभियुक्त व तथाकथित पति ने कहा कि उसने 15 वर्ष पहले वर्ष 2009 में इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया, जिसके बाद पीड़िता से आर्य समाज मंदिर में विवाह किया था।
पुलिस करे जांच- कोई अपराध तो नहीं किया
हाईकोर्ट ने आरिफ के दावों को नकार पुलिस को स्वतंत्रता दी है कि वह इस बिंदु की भी जांच करे कि क्या अभियुक्त ने आरिफ हुसैन के नाम से आधार कार्ड बनवाकर कोई अन्य अपराध तो नहीं किया है, क्योंकि वह धर्म परिवर्तन कर चुका था। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक चौधरी व न्यायमूर्ति एनके जौहरी की पीठ ने आरिफ हुसैन उर्फ सोनू सिंह व अन्य की याचिका पर पारित किया है।
एफआईआर को दी थी चुनौती
याचियों की ओर से लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने में नौ सितंबर, 2024 को दर्ज हुई एफआईआर को चुनौती देते हुए दलील दी गई कि याची आरिफ व पीड़िता का विवाह 24 जनवरी, 2009 को आर्य समाज मंदिर अलीगंज में हुआ था। इस विवाह से पूर्व उसी आरिफ ने धर्म परिवर्तन कर सनातन धर्म अपना लिया था। 15 वर्ष बाद पीड़िता ने एफआईआर दर्ज कराते हुए आरोप लगाया है कि याची आरिफ ने धर्म छिपाकर उससे विवाह किया तथा उसके साथ दुष्कर्म किया।
यह भी दलील दी गई कि वास्तव में उनके मध्य वैवाहिक विवाद है, जिसे दुष्कर्म और धर्म छिपाने का रंग देकर एफआईआर दर्ज करा दी गई है।
याचिका का राज्य सरकार के अधिवक्ता ने विरोध करते हुए कहा कि एफआईआर में लगाए गए आरोप गंभीर हैं, लिहाजा इसे खारिज नहीं किया जा सकता है।
संगठित अपराध में पूर्व से भी लागू होंगे नए बीएनएस के प्रावधान
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अन्य मामले में स्पष्ट किया है कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संगठित अपराध की धारा 111 का पूर्ववर्ती प्रभाव भी होगा। अर्थात इसमें वह अपराध भी शामिल माने जाएंगे जो इस कानून के लागू होने की तिथि पहली जुलाई 2024 से पूर्व संगठित अपराध के रूप में हैं।
केस टाइटल – आरिफ हुसैन @ सोनू सिंह और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से प्रधान सचिव गृह विभाग लखनऊ और अन्य
Tags:Gang-Rape Accused Aadhaar Card Allahabad High Court Justice Vivek Chaudhary and Justice Narendra Kumar Johari Justice Vivek Chaudhary
दो साल पहले: वैलेंटाइन डे पर लव जिहाद की खौफनाक वारदात, 2 बच्चों की मां आरिफ ने प्रेमजाल में फंसायी, हिन्दू प्रेमिका ने नमाज नहीं पढ़ी तो गला घोंट मार डाला
kaushambi love jihad news: 12 साल पहले मृतका चंदा सिंह की शादी मऊ जिले के हलधर थाना क्षेत्र के बेलौझा गांव के फौजी दुर्गेश सिंह से हुई . पति की मौत बाद महिला अपने दो बेटियों के साथ रह रही थी. आरिफ हुसैन बलिया में रह एम्बुलेंस चलाता था. तीन साल पहले उसकी मुलाकात चंदा सिंह से हुई. आरिफ हुसैन ने अपना नाम गुड्डू सिंह बता कहा कि वह क्षत्रिय परिवार से है. फिर उसने चंदा सिंह को अपने प्रेमजाल में फंसा अपने गांव कौशांबी ले लाया.
उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में वैलेंटाइन डे पर लव जिहाद की खौफनाक वारदात सामने आई है. नमाज पढ़ने से मना करने पर मुस्लिम प्रेमी ने महिला की गला दबाकर हत्या कर दी. पुलिस ने मामले में मृतका की मां की लिखित शिक़ायत पर समुचित धाराओं में केस दर्ज कर आरोपितों को गिरफ्तारी कर लिया. घटना पश्चिम शरीरा थाना क्षेत्र के मीरदहन का पुरवा गांव की है. मृतका चंदा सिंह बलिया जिले के नगरा थाना क्षेत्र के चचया गांव के रहने वाले राम सिंगार सिंह की बेटी है, जो कि एक क्षत्रिय परिवार है.
12 साल पहले मृतका चंदा सिंह की शादी मऊ जिले के हलधर थाना क्षेत्र के बेलौझा गांव के रहने वाले फौजी दुर्गेश सिंह के साथ हुई थी. पति के मौत के बाद महिला अपने दो बेटियों के साथ घर में रह रही थी. दरअसल आरिफ हुसैन बलिया में रहकर एम्बुलेंस चलाता था. तीन साल पहले उसकी मुलाकात महिला चंदा सिंह से हुई थी. आरिफ हुसैन ने अपना नाम गुड्डू सिंह बताते हुए कहा था कि वह भी क्षत्रिय परिवार से है. फिर उसने हिंदू महिला को अपने प्रेमजाल में फंसाकर उसे अपने गांव कौशांबी ले लाया.
आरोप है कि जब से उसकी सच्चाई महिला के सामने आई तब से वह महिला पर इस्लाम धर्म अपना नमाज पढ़ने का दबाव बना रहा था. महिला धर्मांतरण कर नमाज पढ़ने से मना करती थी तो उससे मारपीट होती थी. मृतका की बेटी सृष्टि सिंह ने बताया कि 14 अप्रैल को गांव में पंचायत बुलाई गई, जिसमें मौलवी ने मेरे मां पर धर्मांतरण का दबाव बनाते हुए इस्लाम धर्म अपनाने को कहा था. मेरी मां ने इस्लाम धर्म अपनाने से साफ मना किया तो आरिफ ने मेरी मां का गला दबाकर जमकर मारा पीटा। मेरी मां की हालत बिगड़ गई तो उसे अस्पताल लेकर पहुंचा जहां उसकी मौत हो गई.
मामले में सीओ सिटी योगेंद्र कृष्ण नारायण ने बताया कि मृतका की मां की लिखित शिक़ायत के आधार पर आरोपितों के खिलाफ समुचित धाराओं में केस दर्ज कर शव का पोस्टमार्टम करवाया . आरोपितों को गिरफ्तारी कर लिया गया है।
Tags:Kaushambi , Love jihad, UP