हाको से झटका: जौहर ट्रस्ट की 458.5 एकड़ भूमि अधिग्रहण को चुनौती खारिज
आजम खान को हाईकोर्ट से बड़ा झटका:ट्रस्ट के 471 एकड़ में से 12.50 एकड़ जमीन को छोड़कर बाकी अधिग्रहण रद करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
प्रयागराज 06 अगस्त।आजम खान को हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। अब ट्रस्ट के पास केवल 12.50 एकड़ जमीन ही रहेगी।
शर्तों का उल्लंघन करने का है आरोप
मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट रामपुर की कुल 471 एकड़ जमीन में से अब ट्रस्ट के पास केवल 12.50 एकड़ जमीन ही रहेगी। बाकी जमीन का अधिग्रहण रद करते हुए राज्य सरकार द्वारा वापस लिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। एडीएम वित्त के आदेश पर बाकी जमीन का अधिग्रहण रद कर दिया गया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां के मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट रामपुर द्वारा अधिग्रहीत 12.50 एकड जमीन के अतिरिक्त जमीन को राज्य में निहित करने के एडीएम वित्त के आदेश को सही करार दिया है। विश्वविद्यालय निर्माण के लिए 7 नवंबर 2005 को लगभग 471 एकड जमीन अधिग्रहीत की गई थी।
विश्वविद्यालय के पास केवल 12.50 एकड़ जमीन ही रहेगी
इस जमीन में से 12.50 एकड़ में विश्वविद्यालय बनाने की सीलिंग की गई। 17जनवरी 2006 को 45.1 एकड़ जमीन तथा 16 सितंबर 2006 को 25 एकड़ अतिरिक्त जमीन की मंजूरी दी गई। एसडीएम की रिपोर्ट में कहा गया कि 24000 वर्ग मीटर जमीन में ही निर्माण कार्य कराया जा रहा है। निर्माण कार्य में शर्तों का उल्लघंन किया गया है। याची का कहना था कि ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहम्मद आजम खां, सचिव डाॅ. ताजीन फातिमा व सदस्य अब्दुल्ला आजम खां 26 फरवरी 20 से सीतापुर जेल में बंद हैं। एसडीएम की रिपोर्ट एक पक्षीय है। जेल में अध्यक्ष व सचिव को नोटिस नहीं दी गई।
अनुसूचित जाति की जमीन जबरन बैनामा कराई गई
इसपर कोर्ट ने कहा कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना जिलाधिकारी की अनुमति के अवैध रूप से ली गयी है। अधिग्रहण शर्तों का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के लिए निर्माण के बजाय मस्जिद का निर्माण कराया गया। गांव सभा की सार्वजनिक उपयोग की चक रोड जमीन व नदी किनारे की सरकारी जमीन ले ली गई। किसानों से जबरन बैनामा लिया गया, जिसमें 26 किसानो ने पूर्व मंत्री ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।
कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप से इनकार किया
कोर्ट ने कहा निर्माण पांच साल में होना था पर वार्षिक रिपोर्ट नहीं दी गई। कानूनी उपबंधों व शर्तों का उल्लंघन करने के आधार पर जमीन राज्य में निहित करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता एसएसए काजमी व अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह व अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव ने बहस की।
शर्तों के विपरीत शैक्षिक परिसर में कराया गया मस्जिद का निर्माण
सरकार की तरफ से कहा गया कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना अनुमति के ली गई। ऐसा अधिग्रहण अवैध है। गांव सभा व नदी किनारे की सार्वजनिक उपयोग की जमीन ले ली गई। शत्रु संपत्ति की जमीन भी मनमाने तरीके से ली गई। अधिग्रहण शर्तों के विपरीत विश्वविद्यालय परिसर में मस्जिद का निर्माण कराया गया। शासन की कार्यवाही नियमानुसार है। ट्रस्ट को सरकार ने 7 नवंबर 2005 को शर्तों के अधीन जमीन दी थी। स्पष्ट था कि शर्तों का उल्लंघन करने पर जमीन वापस राज्य सरकार वापस ले लेगी।