प्रेमचंद अग्रवाल त्यागपत्र:सोशल मीडिया पर ले-दे, जमीन पर कुछ नहीं

प्रेम चंद अग्रवाल के त्यागपत्र बाद उत्तराखंड की राजनीति गर्माई, विरोध में डोईवाला में बंद रहीं दुकानें; पूर्व मंत्री ने की अपील
उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के त्यागपत्र के बाद राजनीतिक वातावरण गरमा गया है। समर्थकों ने सरकार से  त्यागपत्र अस्वीकार करने की मांग की और दून में चक्का जाम व बाजार बंद करने की घोषणा की। हालांकि पूर्व मंत्री ने अपील की कि जन भावनाओं का सम्मान है लेकिन राजनीति में यह सब होता रहता है। राज्यपाल ले.जनरल गुरमीत सिंह को आज मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजभवन में भेंट कर विषय में विश्वास में लिया और राज्यपाल ने अग्रवाल का त्यागपत्र स्वीकार कर लिया.

प्रेम चंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद देहरादून के डोईवाला में दुकानें रहीं बंद
देहरादून 17 मार्च 2025। वित्त, शहरी विकास, आवास, जनगणना, संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल  का त्यागपत्र राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह ने स्वीकार कर लिया और मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़  ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है.  रविवार को ही इस्तीफा राजभवन चला गया था।  आज मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने प्रेमचंद अग्रवाल के मंत्री पद से मुक्त करने की अधिसूचना जारी कर दी। अग्रवाल के सारे विभाग मुख्य मंत्री स्वय देखेंगें.

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के त्यागपत्र  के बाद उत्तराखंड में राजनीतिक वातावरण  गर्मा गया है। मंत्री के त्यागपत्र के बाद रविवार शाम देहरादून में यमुना कालोनी स्थित मंत्री आवास पर प्रेमचंद के समर्थक जुट गए और सरकार से त्यागपत्र अस्वीकार  करने की मांग की गई।
समर्थकों ने काफी देर तक हंगामा करते हुए दून में चक्का जाम व बाजार बंद करने की घोषणा की थी । हालांकि, इसकी किसी संगठन, पार्टी या किसी जनप्रतिनिधि ने कोई जिम्मेदारी नहीं ली थी। सोमवार सुबह कई क्षेत्रों में दुकानें बंद भी रखी गई थी।

डोईवाला: नगर का बाजार किया बंद।
इसके बाद  अग्रवाल  ने लोगों से अपील की कि आपकी भावनाओं का सम्मान है लेकिन राजनीति में यह सब होता रहता है।
इस्तीफे के विरोध में व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखने पर प्रेम चंद अग्रवाल की प्रतिक्रिया। pic.twitter.com/OLGETEa6SZ

— UP Desk (@NiteshSriv007) March 17, 2025
रात को हुई वार्ता के बाद प्रेमचंद के आग्रह पर उनके समर्थकों ने भी चक्का जाम और बाजार बंद करने का निर्णय वापस ले लिया था।

पूर्व मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने डोईवाला में धरना दे रहे व्यापारियों के बीच पहुंचकर उनसे धरना प्रदर्शन समाप्त करने की अपील की । उसके बाद  मीडिया से बिना बात किए ऋषिकेश की ओर रवाना हो गए।

व्यापार मंडल अध्यक्ष के आव्हान पर डोईवाला के व्यापारीे  प्रतिष्ठान बंद कर चौक बाजार में एकत्रित हुए। संचालन भीम गुप्ता ने किया। डोईवाला बाजार बंद की खबर लगते ही पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल व्यापारियों और जनता के बीच पहुंचे। उन्होंने व्यापारियों से सर्वप्रथम अपने प्रतिष्ठान खोलने की अपील करते हुए कहा कि सबका साथ, सबका विकास और सबके सहयोग से उत्तराखंड प्रदेश को बनाने में सभी ने एक साथ मिलकर लड़ाई लड़ी है! देवभूमि की धरती पर सभी लोग संयम से काम ले, तभी उत्तराखंड का विकास संभव है।

उसके बाद में ऋषिकेश के लिए रवाना हो गए। यहां उन्होंने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। इस दौरान बड़ी संख्या में मातृशक्ति, वृद्ध, युवा भावुक नजर आए। उन्हें देख विधायक प्रेम चंद अग्रवाल भी भावुक हो गए। उन्होंने सभी से आपसी सौहार्द बनाए रखने तथा किसी भी प्रकार के प्रदर्शन आदि न करने की सलाह दी। इस अवसर पर सभी कार्यकर्ताओं ने एक स्वर में विधायक प्रेम चंद अग्रवाल के साथ हर संभव खड़े रहने की बात कहते हुए उनके पक्ष में नारे भी लगाए। साथ ही 2027 में और भी बड़े अंतर से जीत दर्ज कराने का संकल्प लिया।

इस बीच देर रात तक पुलिस प्रेमचंद के आवास के बाहर पुलिस तैनात रही। उधर, इंटरनेट मीडिया पर भी भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा। प्रेमचंद के पक्ष व विपक्ष में बड़ी संख्या में प्रतिक्रिया दी जा रही है। कुछ शरारती तत्वों ने इंटरनेट मीडिया पर भड़काऊ संदेश भी प्रसारित किए । हालांकि, पुलिस ने स्पष्ट कहा है कि शांति का वातावरण बिगाड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
रविवार देर शाम यमुना कालोनी मंत्री आवास पर जुटे प्रेमचंद अग्रवाल के समर्थकों ने सरकार पर सवाल खडे करते हुए प्रेमचंद पर त्यागपत्र का दबाव बनाने का आरोप लगाया। साथ ही इसे मैदानी मूल के व्यक्तियों के साथ अन्याय करार दिया।
हालांकि, इस मामले में त्यागपत्र देने के बाद से प्रेमचंद अग्रवाल की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। समर्थकों ने ही दून में चक्का जाम करने और बाजार को बंद करने की घोषणा की। प्रेमचंद के समर्थकों ने सोमवार को सुबह 11 बजे बंद के समर्थन में घंटाघर पर एकत्रित होने का आह्वान किया था।

Uttarakhand many leaders who slipped their tongue and lost their position 
Uttarakhand: जिनकी जुबान फिसली, उनकी चली गई कुर्सी… प्रदेश में ऐसे कई राजनयिकों के उदाहरण

उत्तराखंड में कई बार ऐसा हुआ जब नेताओं के बयान से पार्टी असहज हो गई।

तीरथ रावत रावत (फाइल फोटो) – फोटो : सोशल मीडिया हैंडल

राज्य में ऐसे कई राजनीतिकों के उदाहरण हैं, जिन्हें जुबान फिसलना भारी पड़ा है। उनकी कुर्सी चली गई या फिर टिकट कट गया।  त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्य मंत्री पद से त्यागपत्र के बाद तीरथ सिंह रावत को राज्य की कमान सौंपी गई थी। खांटी नेता और सहज छवि वाले तीरथ सिंह रावत के फटी जींस जैसे बयान अनायास चर्चा में आ गए।

एक के बाद एक कुछ और बयान ऐसे भारी पड़े कि उनकी कुर्सी तक चली गई। रुद्रपुर के पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल भी अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते थे, कई बार पार्टी को उनके कारण असहज भी होना पड़ा। पिछले विधानसभा चुनाव में उनको पार्टी ने टिकट ही नहीं दिया। इसके पीछे उनके बयानों को ही कारण माना गया, बाद में ठुकराल ने पार्टी छोड़ दी . अब वे पार्टी में वापसी को हाथ-पैर मार रहे हैं.

खानपुर के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के भी बयान असहज करने वाले रहे। पिछली बार चुनाव में उनकी बजाय उनकी पत्नी को भाजपा ने टिकट दिया। यह बदलाव भी उनके बयानों से जोड़कर देखा गया। अब कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल इसी तरह बयान के शिकार हुए हैं। उनका पिछले महीने एक बयान तूल पकड़ गया, इसको लेकर विरोध प्रदर्शन हुए। ऐसे में उनको त्यागपत्र देना पड़ा।

After controversial statement Cabinet Minister Premchand Aggarwal could not do damage control in matter
 विवादित बयान बाद डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाए प्रेमचंद अग्रवाल, कुछ भाजपा नेता भी थे असहजमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल

विधानसभा में क्षेत्रवाद पर दिए विवादित बयान के बाद कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल मामले में डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाए। वह, सदन और सदन के बाहर इस पर खेद भी जता चुके थे, लेकिन उनके बयान से न सिर्फ एक वर्ग में गुस्सा बढ़ रहा था, बल्कि भाजपा के कुछ नेता भी इससे असहज थे।

कैबिनेट मंत्री अग्रवाल, विवादित बयान के बाद पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से मिले। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से मिलकर उन्होंने स्थिति स्पष्ट की। इसके अलावा बार-बार उनकी ओर से खुद को आंदोलनकारी बताने, मां गंगा के सामने हाथ जोड़कर माफी मांगने और पहाड़ी गीत पर नृत्य करने को डैमेज कंट्रोल का हिस्सा ही माना गया, लेकिन गैरसैंण में स्थानीय लोगों की रैली और इसके बाद जगह-जगह उनके विरोध में जिस तरह से धरना-प्रदर्शन हुआ, उससे यह सब काम नहीं आया। डैमेज कंट्रोल के चक्कर में एक बार तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट भी निशाने पर आ गए थे।

विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा अध्यक्ष भी निशाने पर

भू-कानून एवं मूल निवास संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने मांग की है कि विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के खिलाफ भी विधानसभा में हुए घटनाक्रम को लेकर कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं, उन्होंने यह भी कहा कि कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की आय की जांच होनी चाहिए।

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