“अतीत की स्मृति – वर्तमान का उत्सव” कार्यक्रम: आचार्यश्री सौरभ सागर महाराज का 31वां दीक्षा स्मृति महोत्सव
आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महाराज (संस्कार प्रणेता, समाज सुधारक एवं प्रेरणास्रोत)
देहरादून 18 सितम्बर2025। 31वीं पुष्प वर्षा योग समिति एवं सकल दिगंबर जैन समाज के संयुक्त तत्वावधान में “अतीत की स्मृति – वर्तमान का उत्सव” कार्यक्रम के अंतर्गत आचार्य श्री 108 सौरभ सागर महाराज का 31वां दीक्षा स्मृति महोत्सव 18 से 21 सितम्बर 2025 तक देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भव्य रूप से प्रारंभ हुआ।
आज प्रातः ग्रैंड यूफोरिया, कारगी चौक, हरिद्वार बाईपास रोड तक श्री जी रथ पर विराजमान आचार्य श्री के पावन सान्निध्य में विशाल घटयात्रा निकाली गई। यह यात्रा श्री आदिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर, माजरा से प्रारंभ होकर बैंड-बाजों, भक्तिमय गीतों और रिमझिम वर्षा के बीच महिलाओं ने कलशों के साथ बड़े उत्साह से निकाली ।
इसके उपरांत ध्वजारोहण, पंडाल उद्घाटन, श्री जी का अभिषेक, शांतिधारा एवं श्री जिनेन्द्र महार्चना संपन्न हुई।
प्रथम कलश अभिषेक का सौभाग्य पारस जैन, अमित जैन, आर्जव जैन, विनोद जैन, राजीव जैन एवं दिनेश जैन को प्राप्त हुआ।
शाम 6 बजे से गुरु भक्ति एवं महाआरती का आयोजन हुआ।
सांध्यकालीन विशेष प्रस्तुति में “महिला मंच देहरादून” ने आचार्य श्री के जीवन पर आधारित भव्य नाटिका प्रस्तुत की, जिसमें उनके बाल्यकाल, जन्म (22 अक्टूबर 1970, जशपुर नगर, जिला रायगढ़, छत्तीसगढ़), दीक्षा (8 अप्रैल 1983, 12.5 वर्ष की आयु में, आचार्य श्री पुष्पदंत सागर महाराज के सान्निध्य में) से लेकर अब तक की तप, साधना एवं समाजोपयोगी कार्यों का सुंदर चित्रण किया गया।
आचार्य श्री के प्रमुख योगदान :
व्यसन मुक्ति अभियान : जेलों व अनेक स्थलों पर प्रवचनों से अब तक 1600+ कैदी व्यसनमुक्त होकर नई जीवन दिशा प्राप्त कर चुके।
जीवन आशा अस्पताल (गाज़ियाबाद) : विकलांगों के लिए स्थापित विशेष सेवा संस्थान।
सौरभांचल तीर्थ क्षेत्र (गन्नौर, हरियाणा) : आचार्य श्री के मार्गदर्शन में निर्मित भव्य तीर्थ क्षेत्र।
सौरभ सागर सेवा संस्थान : शिक्षा, स्वास्थ्य एवं समाज सेवा के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय।
पंचकल्याणक प्रतिष्ठाएं : 60 से अधिक प्रतिष्ठा महोत्सवों का सफल आयोजन।
विशेष पहचान : “संस्कार प्रणेता” के रूप में समाज में आदर्श जीवन और उत्तम संस्कारों के प्रसार हेतु सतत प्रयासरत।
आचार्य श्री का 29 वर्षों से अधिक का तप, त्याग और साधना से युक्त जीवन समाज सुधारक का प्रेरणादायी अनुकरणीय उदाहरण है।
इस अवसर पर जैन समाज एवं दूर दूर से आए भक्तजनों ने विधान, पूजा एवं आराधना में सहभाग कर धर्मलाभ प्राप्त किया.