कसाब को फांसी दिलाई,वकील उज्ज्वल निकम को भाजपा टिकट,पूनम महाजन की पारी समाप्त
मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से पूनम महाजन का टिकट कटा, आतंकी कसाब को फांसी दिलवाने वाले वकील उज्ज्वल निकम होंगे BJP कैंडिडेट
लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने आज अपने कैंडिडेट्स की 15वीं लिस्ट जारी कर दी. भाजपा ने पूनम महाजन की टिकट काट दी है. जबकि आतंकी कसाब को फांसी दिलाने वाले वकील उज्जवल निकम को मुंबई उत्तर मध्य से चुनावी मैदान में उतारा गया है.
नई दिल्ली,27 अप्रैल 2024,लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने आज अपने कैंडिडेट्स की 15वीं लिस्ट जारी कर दी. भाजपा ने पूनम महाजन की टिकट काट दी है. जबकि आतंकी कसाब को फांसी दिलाने वाले वकील उज्जवल निकम को मुंबई उत्तर मध्य से चुनावी मैदान में उतारा गया है. बता दें कि उज्ज्वल निकम देश के सबसे मशहूर सरकारी वकीलों में से हैं, वह आतंकी अजमल कसाब को फांसी दिलवाने से लेकर, 1993 के बम धमाकों, गुलशन कुमार हत्याकांड और प्रमोद महाजन हत्याकांड जैसे हाई प्रोफाइल मामलों में सरकारी पक्ष की पैरवी कर चुके हैं.
देश का संविधान मेरी प्राथमिकताः उज्ज्वल निकम
भाजपा से टिकट मिलने के बाद उज्ज्वल निकम ने कहा कि वर्षों तक मैंने गंभीर अपराधियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी है. आज मुझे एक अलग जिम्मेदारी दी गई है. मेरी प्राथमिकताएं देश का संविधान और कानून होंगी. मैं देखूंगा कि संसद में उचित प्रश्न और विषय उठाए जाएं. उन्होंने कहा कि कानून कहता है कि 100 अपराधियों को रिहा किया जा सकता है, लेकिन एक निर्दोष को सजा नहीं दी जा सकती. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, देवेंद्र फडणवीस, बावनकुले और आशीष शेलार का आभारी हूं.
‘वैश्विक मंच पर PM मोदी ने देश की छवि बदली’
उज्ज्वल निकम ने कहा कि यह मेरे ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है. मुझे राजनीति का कोई अनुभव नहीं है. जब मैंने वकालत शुरू की, तो मैंने ऐसे मामलों पर काम किया. राजनीति मेरी विशेषता नहीं है, लेकिन मैंने बहुत अध्ययन किया है. वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की छवि बदल दी है. हमारे देश की सुरक्षा महत्वपूर्ण है और इसलिए मैंने चुनाव लड़ने और भाजपा में शामिल होकर राजनीति में प्रवेश करने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि मैं कभी किसी को कम नहीं आंकता. आज संकष्टी है. मैं गणपति बप्पा का आशीर्वाद लेता हूं. मैं किसी का अनादर नहीं करूंगा. आज मेरी उम्मीदवारी के बारे में पता चला. देवेन्द्र फडणवीस और आशीष शेलार अधिक अनुभवी हैं, वे चुनाव प्रचार की लाइन खींच देंगे. मेरा जन्म हनुमान जयंती के दिन हुआ था. मैं किसी के साथ कोई गलत काम नहीं करूंगा.
टिकट कटने के बाद क्या बोलीं पूनम महाजन?
मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से टिकट कटने के बाद पूनम महाजन ने कहा कि 10 वर्षों तक एक सांसद के रूप में मुंबई उत्तर मध्य लोकसभा क्षेत्र की सेवा का मौक़ा देने के लिए भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद. मुझे एक सांसद ही नहीं, बल्कि एक बेटी की तरह भी स्नेह देने के लिए मैं क्षेत्र की परिवार समान जनता की सदैव ऋणी रहूंगी, और यही आशा करूंगी कि यह रिश्ता हमेशा बना रहेगा. मेरे आदर्श, मेरे पिता प्रमोद महाजन ने मुझे ‘राष्ट्र प्रथम, फिर हम’ का जो मार्ग दिखाया, मैं ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूं कि आजीवन उसी मार्ग पर चल सकूं. मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण सदैव इस देश की सेवा को समर्पित रहेगा.
कौन हैं पूनम महाजन?
पूनम महाजन 2006 में पिता प्रमोद महाजन की हत्या के बाद भाजपा में शामिल हुईं थीं. 2009 में पहली बार घाटकोपर वेस्ट से सांसद चुनाव लड़ीं, लेकिन हार गईं. 2014 में मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट से उन्होंने कांग्रेस की प्रिया दत्त को हराया था. बता दें कि पूनम ट्रेन्ड पायलट हैं. उन्होंने इसकी ट्रेनिंग अमेरिका के टेक्सास से ली है. उनके पास 300 घंटे फ्लाइंग का अनुभव है. ब्राइटन स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मैनेजमेंट से बीटेक की डिग्री 2012 में पूरी की थी.
मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट का इतिहास
मुंबई नॉर्थ सेंट्रल लोकसभा सीट पर किसी भी पार्टी का दबदबा नहीं रहा है. कभी यहां से भाजपा जीती तो कभी कांग्रेस. शिवसेना और आरपीआई के उम्मीदवार भी यहां से जीतने में सफल रहे. 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से पूनम महाजन ने बाजी मारी थी. उन्होंने कांग्रेस नेता प्रिया दत्त को मात दी थी. एक ओर पूनम महाजन को जहां 4,86,672 वोट मिले थे, वहीं प्रिया दत्त को 3,56,667 वोट मिले थे.
मुंबई नॉर्थ सेंट्रल सीट 2014 में भाजपा की पूनम महाजन जीतीं तो 2009 में कांग्रेस से सुनील दत्त की बेटी प्रिया दत्त ने बाजी मारी, प्रिया दत्त ने भाजपा के महेश राम जेठमलानी को हराया था. जबकि 2004 में इस सीट पर एकनाथ गायकवाड़, 1999 में शिवसेना के मनोहर जोशी तो 1998 में आरपीआई के रामदास अठावले ने कब्जा जमाया था.
1996 में शिवसेना के नारायण अठावले तो 1991 में कांग्रेस के शरद दिघे को जीत मिली. 1989 में शिवसेना के विद्याधर गोखले ने बहुत कम मार्जिन से कांग्रेस उम्मीदवार को हराया तो 1984 में कांग्रेस के शरद दिघे को यहां से जीत मिली थी. 1980 में जनता पार्टी की प्रमिला मधु दंडवते ने कांग्रेस उम्मीदवार को मात दी तो वहीं 1977 में इस सीट पर सीपीआई (एम) की अहिल्या रांगेकर को जीत मिली थी.