प्राण-प्रतिष्ठा पर कांग्रेस में उप्र,हिप्र,मप्र,गुजरात से उत्तराखंड तक रार
Ram Mandir समारोह को लेकर कांग्रेस में मची रार, नेताओं ने कहा-राष्ट्रीय नेतृत्व का फैसला निराशाजनक है
Ram Mandir रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण मिलने के विषय पर राजनीति भी खूब हो रही है। बुधवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकरा दिया है। सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई नेताओं ने इस आयोजन में शामिल न होने का फैसला किया है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को यह फैसले पार्टी के अंदर ही कलह का वजह बन गया है। उत्तर प्रदेश के प्रमोद कृष्णम और हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सुपुत्र और कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने तो खुद को मिले निमंत्रण को अपना सौभाग्य बताते हुए श्रीराम जन्मभूमि मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा में जाने का डंके की चोट पर घोषणा की है। मध्यप्रदेश में तो इतनी नाराज़ी है कि पदाधिकारियों ने पार्टी से ही त्यागपत्र देना शुरू कर दिया है।
सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई नेताओं रामलला प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने से इनकार कर दिया।
मुख्य बिंदु
सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई नेताओं को समारोह में आने का मिला न्योता था
भगवान श्री राम हमारे आराध्य देव हैं: कांग्रेस नेतागण
22 जनवरी को अयोध्या में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया जाएगा।
नई दिल्ली 11 जनवरी 2024 । रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए करोड़ों रामभक्त 22 जनवरी को अयोध्या पहुंचना चाहते हैं। हालांकि, श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से कुछ विशेष लोगों को ही इस दिन के निमंत्रण भेजा गया है।
वहीं, निमंत्रण मिलने के मुद्दे पर राजनीति भी खूब हो रही है। बुधवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण ठुकरा दिया है। सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे समेत कई नेताओं ने इस आयोजन में शामिल न होने का फैसला किया है। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का यह फैसला पार्टी के अंदर ही कलह की वजह बन गया है। विशेष कर धरातल पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं को, जिन्हें वोट मांगने जनता के बीच जाना है, उसे पार्टी नेतृत्व का यह फैसला आत्मघाती लग रहा है।
जनभावना का दिल से सम्मान करना चाहिए: अंबरीश डेरे
माना कि कांग्रेस का मूल डीएनए और राष्ट्रीय नेतृत्व सनातन विरोधी है लेकिन कई कांग्रेस नेताओं ने अलग-अलग टिप्पणियां करते हुए कांग्रेस राष्ट्रीय नेतृत्व के फैसले पर आपत्ति जताई है। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेरे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम हमारे आराध्य देव हैं इसलिए यह स्वाभाविक है कि भारत भर में अनगिनत लोगों की आस्था इस नवनिर्मित मंदिर से वर्षों से जुड़ी हुई है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में से एक हरीश रावत भी अयोध्या जाने की इच्छा सार्वजनिक कर चुके लेकिन वे पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व, विशेषकर गांधी परिवार के फैसले को चुनौती देने की प्रवृत्ति नहीं रखते। कोई आश्चर्य नहीं कि अब उनका भी अयोध्या जाने का जोश ठंडा रह जाये।
देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय: अर्जुन मोढवाडिया
इससे पहले गुजरात के कांग्रेस विधायक अर्जुन मोढवाडिया ने आलाकमान के फैसले पर आपत्ति जाहिर की है। एक्स पर उन्होंने लिखा,”भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।”
निमंत्रण को ठुकराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण: आचार्य प्रमोद
इसके अलावा, कांग्रेस के इस फैसले पर पार्टी नेता आचार्य प्रमोद ने भी प्रतिक्रिया साझा की है। उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा,” राम मंदिर के निमंत्रण को ठुकराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और आत्मघाती फैसला है,आज दिल टूट गया।
कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस महासचिव ने बुधवार को एक पत्र साझा करते हुए कहा कि भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं। धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय है, लेकिन वर्षों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है।
जयराम रमेश ने आगे कहा कि एक ‘अर्द्धनिर्मित मंदिर’ का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने को किया जा रहा है। कांग्रेस ने रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भाजपा और आरएसएस का इवेंट करार दिया है।
याद रहे,इंडी एलायंस में कांग्रेस अंतिम दल है जिसने राममंदिर प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव का निमंत्रण ठुकराने की घोषणा की है लेकिन धरातल के कार्यकर्ताओं के लिए पार्टी के इस फैसले को हज़म करना मुश्किल हो रहा है। मध्यप्रदेश में तो कार्यकर्ताओं ने त्यागपत्र तक देना शुरू कर दिया है।