सवाल ही सवाल:लव जिहादी दिलशाद के पीछे कौन था ?
गोरखपुर हत्या मामला:’लव जिहाद’ की तरफ इशारा कर रही पड़ताल, हिंदू बनकर भी मुस्लिम ही था दिलशाद
आर्य समाज मंदिर में शादी की थी वहां से जानकारी मिली है कि हिन्दू रीति-रिवाज से दोनों की शादी हुई थी। दिलशाद ने हिंदू धर्म अपनाया था।धर्मांतरण के बाद उसका नाम बदल कर ‘दिलराज’ रखा गया था।
रजत के.मिश्र(इनपुट-श्वेता सिंह,लखनऊ)
उत्तर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में दीवानी अदालत में एक रेप के आरोपित की गोली मारकर हुई हत्या मामले में काफी तोड़ मरोड़ के बाद अब एक नया मोड़ आ गया है, जो कि लव जिहाद की तरफ इशारा कर रहा है। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सकरा थाना क्षेत्र के विधिपुर के रहने वाले मृतक दिलशाद हुसैन के हिंदू धर्म अपनाने की असलियत भी अब सामने आ रही है।
दरअसल दिलशाद ने भागवत निषाद की लड़की के साथ जिस आर्य समाज मंदिर में शादी की थी वहां से जानकारी मिली है कि हिन्दू रीति-रिवाज से दोनों की शादी हुई थी। दिलशाद ने हिंदू धर्म अपनाया था।धर्मांतरण के बाद उसका नाम बदल कर ‘दिलराज’ रखा गया था। हालांकि इसके साक्ष्य भी मंदिर प्रशासन के पास मौजूद हैं। लेकिन आर्यसमाज मंदिर में एक नाबालिग बच्ची की शादी हो कैसे गई? क्या वहां लड़की की आयु का फर्जी सर्टिफिकेट गया? गोरखपुर केंट थाना के इंस्पेक्टर इस मामले के ‘इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर (IO)’ भी हैं, उन्होंने बताया कि जब दिलशाद हुसैन लड़की को लेकर भागा था, तब वो नाबालिग थी।
शव को किया गया था ‘सुपुर्द-ए-ख़ाक’ –
वहींं, दूसरी तरफ एक पेंच ये भी है कि हत्या के बाद दिलशाद को गाँव के कब्रिस्तान में ही दफनाया गया है। गाँव में ही मुस्लिमों का अलग से कब्रिस्तान भी है। दिलशाद के गाँव की उप मुखिया के पति मोहम्मद रउफ ने भी इस बात की पुष्टि की कि उसे इस्लामी तौर-तरीके से ‘सुपुर्द-ए-ख़ाक’ किया गया है और पूरी प्रक्रिया में वो उसके परिजनों के साथ ही रहे हैं। पुश्तैनी कब्रिस्तान में फातिहा इत्यादि पढ़ कर ये प्रक्रिया पूरी की गई।
धर्म परिवर्तन के बावजूद मुस्लिम ही था दिलशाद-
एक तरह से ये कहना किसी भी सिरे से गलत नहीं होगा कि दिलशाद हुसैन ने सिर्फ हिन्दू बनने का दिखावा किया था। अर्थात असल में उसने धर्म-परिवर्तन नहीं किया था और वो मुस्लिम ही बना हुआ था। उसने धोखे से धर्म परिवर्तन करके शादी की थी। बता दें दिलशाद हुसैन पर ‘यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO)’ में कार्रवाई की जा रही थी। इसके बावजूद वो अदालत से जमानत लेने में कामयाब रहा था।जमानत के बाद वो गाँव में ही रह रहा था।उसके गाँव के घर पर अभी भी मक्का-मदीना और काबा की तस्वीर लगी हुई है। जेल से लौट कर आने के बाद उसने ईद की नमाज पढ़ी थी। इससे साफ़ है कि वो हिन्दू नहीं बना था और मुस्लिम ही था।
आखिर किसका मिल रहा था साथ-
जानकारी के मुताबिक दोनों परिवारों के घर आमने-सामने थे और लड़का-लड़की बचपन से दोस्त थे, साथ पढ़ते थे। जबकि दिलशाद हुसैन के पिता ताहिर हुसैन का कहना है कि भागवत निषाद उनके बचपन के दोस्त थे और हत्या के बाद लॉकअप में बंद निषाद से उनकी बात भी हुई। उन्होंने बताया कि उन्होंने ही 30 वर्ष पहले पंक्चर की दुकान खोली थी, जिसे अब उनका बेटा दिलशाद चला रहा था।सवाल ये भी उठता है कि जो व्यक्ति पंक्चर की दुकान चलाता है, उसका हैदराबाद से लड़की को लेकर फ्लाइट से आना-जाना, सोशल मीडिया पर लक्जरी लाइफ जीने की तस्वीरें पोस्ट करना और इलाहाबाद उच्च-न्यायालय से एक गंभीर मामले में जमानत भी पा जाना,ये सब कहीं न कहीं इस तरफ भी इंगित करता है कि उसके पीछे जरूर कोई न कोई बड़ा हाथ था जो लव जिहाद में उसका साथ दे रहा था।
सोशल मीडिया पर छाया दुष्कर्म अभियुक्त की हत्या का मामला, लोग बोले- सही किया
कई लोगों ने हत्या करने वाले पिता के समर्थन में ट्वीट किए, कुछ ने आर्थिक सहायता देने की पेशकश की तो किसी ने त्वरित न्याय बताया।
गोरखपुर दीवानी कचहरी हत्याकांड
गोरखपुर के दीवानी कचहरी में नाबालिग से दुष्कर्म के अभियुक्त दिलशाद की हत्या का मामला सोशल मीडिया पर छाया रहा। घटना सोशल मीडिया पर ट्रेंड करती रही।
ट्विटर पर अधिकतर लोगों ने हत्यारोपित पिता का समर्थन किया। कुछ लोगों ने इस मामले को हिंदू-मुस्लिम का रंग देने की कोशिश की तो कुछ ने उन्हें फटकार लगाई। कुछ लोगों का गुस्सा धीमी न्याय प्रक्रिया पर था। उनके ट्वीट में यह भाव साफ नजर आ रहा था। कुछ ने न्याय प्रक्रिया पर यकीन बताकर किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने की सलाह दी।
दीपक मिश्रा ने अपने ट्विटर हैंडल पर दुष्कर्म अभियुक्त दिलशाद के रक्तरंजित शव की फोटो के साथ ट्वीट किया कि गोरखपुर में नाबालिग रेप पीड़िता के पिता (नाम) ने बेल पर चल रहे आरोपित दिलशाद हुसैन की पेशी पर आने के दौरान गोली मारी। न्यायिक निष्क्रियता से समाज का प्रतिक्रिया देना स्वाभाविक है। इंजीनियर सुरेश शर्मा ने ट्वीट पर रिप्लाई किया कि उस पिता को प्रणाम, जिसने एक राक्षस को कचहरी के बाहर पार्किंग क्षेत्र में गोलियों से भून दिया।
दीपक मिश्रा ने फिर एक और ट्वीट किया कि अभी तो बस एक को न्याय मिला है। वो भी पिता द्वारा कानून हाथ में लेने के बाद। असली लड़ाई अभी बाक़ी है। एक यूजर ने इस घटना को हिन्दू-मुस्लिम रंग देने की चेष्टा की तो एक अन्य यूजर, सुनीता प्रजापति ने रिप्लाई किया कि कृपा करके हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा न बनाएं। न्याय का मुद्दा है, न्याय की ही बात करें।
कंचन पटेल ने लिखा कि एक दुष्कर्मी को यही सजा मिलनी चाहिए। कब तक तारीख पर तारीख का चक्कर चलने देना। इस बीच पीड़िता और उसके परिवार वालों को कितनी शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है, ये तो जिसके साथ बीत रहा है, वो ही ये दर्द समझता है। भगवान जी, हर एक बेटी को सुरक्षित रखना। नेहा ने रिप्लाई किया कि मैडम, अगर हर आरोपी को ऐसे ही सजा देना है तो अरेस्ट करके तुरंत गोली मरवा दिया कीजिए, माना उस आरोपी का किया गया कार्य बहुत निंदनीय है, लेकिन अपने किए का भुगतान करने का टाइम तो मिलना चाहिए। न्याय व्यवस्था पर भी तो भरोसा करना चाहिए।
ऐसे तो जंगल राज बन जाएगा। इसपर कंचन पटेल ने रिप्लाई किया कि वह आरोपित था तभी तो एक पिता ने…. कोई ऐसे ही किसी की जान नहीं लेता। मनोज ने ट्वीट किया कि मुझे कोई उनके पिता का बैंक अकाउंट नंबर दीजिए, हम सहायतार्थ कुछ धनराशि सहयोग करने को तैयार हैं। मेरी नजर में पिता आरोपित नहीं है।
आरोपित ने पुलिस से पूछा, गोली दिलशाद को ही लगी ना?
हत्यारोपित को कोई पछतावा नहीं है। वह बार-बार पुलिस से यही पूछ रहा था कि गोली दिलशाद को ही लगी है ना। उसने पुलिस को बताया कि गोली पीछे से मारी थी, इस वजह से उसे आशंका थी कि किसी और को तो नहीं लग गई। जब कुछ पुलिस वालों से उसे पता चला कि दिलशाद की मौत हो गई है, तब उसने कहा कि अब कोई बात नहीं, जेल हो या फांसी, मेरा परिवार सुरक्षित हो गया हैै।