राहुल की लीपापोती: मैंने नहीं कहा इंग्लैंड -अमेरिका को भारत में करें हस्तक्षेप
Rahul Gandhi Defended Statement ‘Threat To Democracy’ Said- Did Not Advocate Foreign Interference
राहुल गांधी ने ‘लोकतंत्र पर खतरा’ वाले बयान का किया बचाव, कहा- विदेशी हस्तक्षेप की पैरवी नहीं की
राहुल गांधी ने ‘लोकतंत्र पर खतरा’ वाले अपने बयान का बचाव किया है। इस बयान को लेकर कांग्रेस नेता पर माफी मांगने का दबाव है। संसदीय समिति की बैठक में राहुल ने कहा कि यह सबको पता है कि लोकतंत्र खतरे में है। लेकिन, उन्होंने किसी विदेशी हस्तक्षेप की मांग कभी नहीं की।
नई दिल्ली 20 मार्च: ब्रिटेन में राहुल गांधी के ‘लोकतंत्र पर खतरा’ वाले बयान पर भाजपा की माफी की मांग के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसका बचाव किया है। राहुल ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर कभी किसी विदेशी हस्तक्षेप की वकालत नहीं की। संसदीय समिति की बैठक में गांधी ने यह भी कि कहा कि भारत का लोकतंत्र ‘खतरे’ में है और ‘यह सभी को पता है।’ समझा जाता है कि कांग्रेस नेता ने विदेश मामलों की संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में कहा कि उनकी टिप्पणियों के लिए उन्हें ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार नहीं दिया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान भाजपा सदस्यों की ओर से राहुल गांधी का नाम लिए बिना उनकी ब्रिटेन की टिप्पणी पर सवाल उठाए जाने को लेकर तीखी नोकझोंक हुई। विदेश मंत्री डॉक्टर एस. जयशंकर ने शनिवार को भारत की जी-20 अध्यक्षता पर विदेश मामलों के लिए संसदीय सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और शशि थरूर सहित अन्य ने भाग लिया। थरूर ने एक ट्वीट में कहा कि कुछ सदस्यों के चर्चा का ‘अनावश्यक रूप से राजनीतिकरण’ करने से बैठक कुछ हद तक प्रभावित हुई और गांधी ने उन्हें ‘जोरदार जवाब’ दिया।
थरूर ने कहा कि, ‘जी-20 में भारत की विदेश नीति के उद्देश्यों पर आज विदेश मामलों पर सलाहकार समिति की एक अच्छी बैठक कुछ सदस्यों के अनावश्यक रूप से चर्चा का राजनीतिकरण करने से प्रभावित हुई। राहुल गांधी ने उन्हें जोरदार जवाब दिया और यह बैठक एक सौहार्दपूर्ण समूह फोटोग्राफ के साथ समाप्त हुई।’
समझा जाता है कि बैठक में भाजपा सांसद जी.वी.एल. नरसिम्हा राव ने कहा कि भारत ‘लोकतंत्र की जननी है, लेकिन देश को कमजोर करने के प्रयास हो रहे हैं।’
राव ने अपनी बात मजबूती से रखने को ‘उद्योगपति गौतम अडाणी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट, भारत में सरकार बदलने के बारे में जॉर्ज सोरोस की हालिया टिप्पणी और बीबीसी वृत्तचित्र’ का हवाला दिया।
राव ने कहा, ‘कुछ लोगों ने बातें की हैं … लेकिन भारतीय लोकतंत्र पर असली धब्बा आपातकाल था।’
सूत्रों के अनुसार, बाद में एक और भाजपा सांसद ने बिना नाम लिए गांधी की टिप्पणी पर सवाल उठाया जबकि शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की प्रियंका चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि भारतीय लोकतंत्र बेहद मजबूत है और ‘इसे लोगों की टिप्पणियों या कुछ वृत्तचित्र से विचलित नहीं होना चाहिए।’
विदेश सचिव के जी20 पर एक प्रस्तुति के बाद (जहां गांधी ने कोई टिप्पणी नहीं की) कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने हस्तक्षेप किया और कहा कि वह जवाब देना चाहते हैं क्योंकि भाजपा के सदस्यों ने उनके बारे में बात की है। गांधी ने कहा कि उन्होंने इस मामले में कभी भी किसी विदेशी हस्तक्षेप की वकालत नहीं की है।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक की अध्यक्षता कर रहे डॉक्टर जयशंकर ने गांधी से इस विषय पर अपनी टिप्पणी संसद के लिए सुरक्षित रखने का आग्रह किया। हालांकि, राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया देने के अपने अधिकार पर जोर दिया।
समझा जाता है कि गांधी ने पूछा कि ‘प्रवर्तन निदेशालय केवल विपक्षी नेताओं को निशाना बना रहा है या नहीं।’
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा सांसद महेश जेठमलानी ने हस्तक्षेप किया और कहा कि गांधी को जी20 पर चर्चा के लिए होने वाली बैठक में अपना निजी गुस्सा व्यक्त नहीं करना चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने तर्क दिया कि भाजपा सांसद मुख्य विषय से भटक गए थे, इसलिए उन्हें जवाब देने की आवश्यकता पड़ी।
सूत्रों ने बताया कि गांधी ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारतीय लोकतंत्र पर हमला बताने वाले कदम पर भी सवाल उठाया और कहा, ‘रिपोर्ट एक साठगांठ वाले पूंजीवादी के वित्तीय लेन-देन के बारे में है। अडाणी भारत नहीं हैं।’