राहुल अब कश्मीरी पंडित, लेकिन किस कीमत पर?

जनेऊधारी ब्राह्मण फिर शिवभक्त अब कश्मीरी पंडित राहुल ‘सच्चे हिंदू’ यूं ही नहीं हुए हैं…
खुद को विराट हिंदू साबित करने के लिए अब राहुल गांधी ने हदें पार कर दी हैं. 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं ऐसे में जम्मू में कश्मीरी पंडित का कार्ड तो उन्होंने फेंक दिया है मगर जैसी राजनीति है इसकी भारी कीमत उन्हें भविष्य में चुकानी होगी.
2017 का गुजरात विधानसभा चुनाव याद है आपको? फाइट कांग्रेस बनाम भाजपा थी मगर 2014 के आम चुनाव के बाद जैसे हाल कांग्रेस पार्टी के हुए राजनीतिक पंडितों ने पहली ही कह दिया था कि लड़ाई चाहे जैसी भी हो सरकार भाजपा ही बनाएगी. हुआ ऐसा ही सरकार भाजपा की बनी और विजय रूपाणी मुख्यमंत्री हुए. इस चुनाव में कुछ ऐसी चीजें भी हुईं जिसकी यादें आज भी लोगों को ज़हनों में ताजा है. इस चुनाव में राहुल गांधी ने ख़ुद को जनेऊधारी ब्राह्मण और शिव भक्त बताया था. ये वही चुनाव था जब राहुल गांधी मंदिर मंदिर दौड़े थे और उन्होंने लोगों को बताया था कि ‘एक सच्चा हिंदू’ उनके अंदर भी वास करता है.गुजरात के चुनाव खत्म हुए और मध्य प्रदेश का चुनाव आया तो वहां भी राहुल ने वोटर्स को रिझाने के लिए अपने हिंदुत्व का प्रदर्शन करा. राहुल उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर गए तो भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने चुटकी लेते हुए पूछ लिया कि यदि राहुल जनेऊधारी ब्राह्मण हैं तो अपना गोत्र बताएं. राहुल चुप रहे और तमाम आरोपों को झेला जवाब दिया उन्होंने लेकिन राजस्थान विधानसभा चुनावों में. तब पुष्कर मंदिर में राहुल गांधी ने न केवल पूजा की बल्कि अपना गोत्र दत्तात्रेय बताया. पूजा कराने वाले पुजारी ने राहुल गांधी के हवाले से बताया कि उनका गोत्र दत्तात्रेय है. दत्तात्रेय कौल हैं और कौल कश्मीरी ब्राह्मण होते है।
जम्मू में वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन के बाद खुद को राहुल गांधी ने क्यों कश्मीरी पंडित कहा इसके पीछे की वजह जानने के लिए हमें उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझना होगा

सवाल होगा कि 2017 की बातें 2021 में क्यों ? वजह है कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रह चुके राहुल गांधी जम्मू यात्रा. यात्रा के दौरान वैष्णो देवी के दर्शन के लिए वैष्णो माता मंदिर जाना मंदिर और सभा से जय माता दी के नारे लगवाने के अलावा खुद को कश्मीरी पंडित बताना. अब फिर सवाल हो सकता है कि कभी जनेऊधारी ब्राह्मण, कभी सच्चा शिवभक्त तो अब कश्मीरी पंडित आखिर ऐसा क्या है जिसके चलते हर कुछ दिनों में राहुल एक बिल्कुल नए अवतार में जनता के सामने प्रकट होते हैं? इस बात को समझने के लिए हमें ज्यादा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है.

उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं. और राहुल भली प्रकार जानते हैं कि जब चुनाव का राज्य उत्तर प्रदेश हो तो वहां तमाम बातें पीछे रह जाती है और चुनाव जाति पर होते हैं. इसलिए खुद से जुड़ी तमाम चीजें बताने के बाद राहुल अब अपनी जम्मू यात्रा में खुद को कश्मीरी पंडित बता रहे हैं. इस विषय पर आगे बात होगी. मगर सबसे पहले हमारे लिए ये जान लेना बहुत जरूरी है कि अपनी जम्मू यात्रा के दौरान राहुल ने कहा क्या है.

जैसा कि हम बता चुके हैं अपनी जम्मू यात्रा पर राहुल ने सभा से जय माता दी के नारे लगवाए वहीं उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें यहां आकर घर जैसा महसूस होता है.

जम्मू में क्या क्या बोले हैं राहुल गांधी

राहुल ने सभा को बताया कि, ‘मैं और मेरा परिवार भी कश्मीरी पंडित हैं और हम झूठ नहीं बोलते हैं. मैं अपने कश्मीरी भाई और बहनों की समस्या सुलझाऊंगा. जब भी मैं जम्मू-कश्मीर आता हूं, ऐसा लगता है जैसे घर आया हूं. मेरे परिवार का जम्मू-कश्मीर से लंबा रिश्ता है.’ बात सीधी और साफ है. चाहे वो राहुल गांधी हों या फिर पीएम मोदी या कोई और व्यक्ति चाहे मंदिर जाए या मस्जिद इसपर सवाल इसलिए भी नहीं उठाना चाहिए क्योंकि आस्था नितांत निजी विषय है.

लेकिन जब व्यक्ति पब्लिक लाइफ जी रहा हो तो इसका प्रदर्शन और इसकी टाइमिंग पर पक्ष विपक्ष सबकी नजर रहती है. चूंकि राहुल वैष्णो माता मंदिर गए हैं और उन्होंने खुद को कश्मीरी पंडित बताते हुए जय माता दी के नारे लगवा दिए हैं. साफ है कि ये नया पॉलिटिकल ड्रामा या ये कहें कि ये नया अवतार 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए है.

तो क्या है राहुल गांधी के कश्मीरी पंडित का यूपी कनेक्शन
जिस तरह की पॉलिटिक्स वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में देश में चल रही है राहुल का खुद को ‘कश्मीरी पंडित’ बताना महज इत्तेफ़ाक़ नहीं है. बात सीधी और एकदम साफ है जम्मू में खुद को ‘कश्मीरी पंडित’ बताने वाले राहुल गांधी की नजर उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण वोट बैंक पर है. राहुल जानते हैं कि कानपुर में विकास दुबे एनकाउंटर के बाद सूबे के ब्राह्मण वर्तमान सरकार और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से खासे नाराज हैं.

वहीं उन्होंने मायावती द्वारा अभी हाल ही में करवाया ब्राह्मण महासम्मेलन भी देख लिया है. बात अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी की हो तो अखिलेश भी ब्राह्मणों को साथ लेकर अपने उज्ज्वल भविष्य का सपना देख रहे हैं.

यूपी में बावजूद प्रियंका गांधी और अजय सिंह लल्लू के कांग्रेस की स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है. ऐसे में राहुल इस बात को समझते हैं कि यदि यूपी के पंडित एक कश्मीरी पंडित होने के नाते उनका साथ दे दें तो भले ही वो सरकार न बना पाएं लेकिन उत्तर प्रदेश में अपनी सीटे और कोई साख ज़रूर बचा लेंगे.

उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण मेहरबान तो ‘दल’ पहलवान

2012, 2017 और अब आगामी 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव यूपी में चाहे वो सपा बसपा हों या फिर कांग्रेस, भाजपा और असदुद्दीन ओवैसी इस बात को सभी भली प्रकार जानते हैं कि बिना ब्राह्मणों को साधे किसी भी दल का बहुत दिन तक सत्ता में रहना नामुमकिन है. यूपी में ब्राह्मण भले ही संख्या के लिहाज से 13 प्रतिशत हों लेकिन हैं किंग मेकर की भूमिका में.

जिसके साथ भी आ गए उसके अच्छे दिन आना तय है. ऐसे में यदि राहुल ने यूपी के ब्राह्मणों को खुश करने के लिए अगर खुद के कश्मीरी पंडित होने का कार्ड फेंक ही दिया है तो हमें इस लिए भी विचलित नहीं होना चाहिए क्योंकि राजनीति में साम, दाम, दंड, भेद सब जायज है.

राहुल ‘कश्मीरी पंडित’ बन तो गए हैं मगर भारी कीमत चुकानी होगी.

जैसा कि हम बता चुके हैं संबित पात्रा के जनेऊधारी ब्राह्मण और गोत्र वाले सवाल का जवाब राहुल ने राजस्थान के विधानसभा चुनावों में दिया था इसलिए हो सकता है कि राहुल के इस तरह अपने को कश्मीरी पंडित बताने पर खूब राजनीति हो. वहीं अब जबकि कश्मीरी पंडित के रूप में राहुल गांधी ने अपना सॉफ्ट हिंदुत्व दिखा दिया है तो ये भी देखना दिलचस्प रहेगा कि कांग्रेस का ट्रेडिशनल वोटबैंक या ये कहें कि मुस्लिम वोट बैंक इसे कैसे देखता है?

कहीं ऐसा न हो कि कश्मीरी पंडित बन राहुल 13 प्रतिशत ब्राह्मणों को खुश करने के लिए अपने 18 प्रतिशत के मुस्लिम वोट बैंक से ही हाथ न धो लें.

बहरहाल राहुल की इस पंडिताई में सवाल तो बहुत है. जवाब वक़्त देगा लेकिन जो वर्तमान है उसमें राहुल ने इतना ज़रूर बता दिया है कि जब हर दूसरा दल धर्म और जाति की राजनीति कर रहा है तो वो भी किसी सूरत में पीछे हटने वालों में से नहीं हैं.

लेखक
बिलाल एम जाफ़रीबिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

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