राहुल के नज़दीकी अशोक तंवर का छह माह में तीसरा दल-बदल
राहुल गांधी का खास नेता, जिसने छह महीने में तीसरी पार्टी बदल ली है
सिरसा : पंजाब विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद अब आम आदमी पार्टी का फोकस पड़ोसी राज्य हरियाणा है। आप ने अब हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले यहां पैठ बनानी शुरू कर दी है। राज्य के नेताओं की जॉइन के साथ आप राज्य में विस्तार में लग गई है। इसी कड़ी में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे अशोक तंवर अब आज आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। हालांकि उन्होंने पिछले साल नवंबर में ही टीएमसी जॉइन की थी और महज चंद महीनों में फिर पार्टी बदलकर आम आदमी पार्टी में शामिल हो रहे हैं।
Web Title : haryana leader ashok tanwar joined aam party he was once a close aide of rahul gandhi
अशोक तंवर ने जॉइन की AAP:दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने सदस्यता दिलाकर किया स्वागत; नवंबर 2021 में जॉइन की थी तृणमूल कांगेस
चंडीगढ़ / नई दिल्ली चार अप्रैल। हरियाणा में अशोक तंवर के सहारे पैर पसार रही तृणमूल कांग्रेस को आज बड़ा झटका लग गया है। तृणमूल कांग्रेस के नेता व कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। वे सोमवार दोपहर को दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास पर आम आदमी पार्टी में शामिल होने के लिए पहुंचे। इस मौके पर हरियाणा प्रभारी सुशील गुप्ता भी मौजूद है।
नवंबर 2021 में तृणमूल कांग्रेस जॉइन करने वाले तंवर का सवा चार महीने में ही पार्टी से मोहभंग हो गया है। इससे पहले वे कांग्रेस में थे और भूपेंद्र हुड्डा से विवाद के चलते उन्होंने पार्टी छोड़कर तृणमूल कांग्रेस जॅाइन की थी। वहीं AAP जॉइन करते हुए अशोक तंवर ने कहा कि आप की नीतियों और केजरीवाल के करवाए गए विकास कार्यों से प्रभावित होकर वह पार्टी जॉइन कर रहे हैं।
अशोक तंवर ने 23 नवंबर 2021 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल पार्टी जॉइन की थी। अशोक तंवर के पार्टी छोड़ने की बात उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया के जरिए दी। कांग्रेस में रहते हुए अशोक तंवर की गिनती राहुल गांधी के करीबियों में होती थी।
दिल्ली में किसान यात्रा में हुड्डा समर्थकों से हुआ था झगड़ा
कांग्रेस में रहते हुए अशोक तंवर और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ 36 का आंकड़ा रहा। वर्ष 2016 में दिल्ली में राहुल गांधी की किसान यात्रा के दौरान अशोक तंवर और पूर्व मुख्यमंत्री के समर्थक भिड़ गए थे। तब अशोक तंवर की गर्दन पर चोट भी आई थी। तंवर ने हुड्डा समर्थकों पर हमला करने का आरोप भी लगाया था। यह मामला कांग्रेस हाईकमान के पास भी पहुंचा। इसके बाद पार्टी ने इस पर रिपोर्ट भी तलब की, लेकिन हुड्डा समर्थकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
विधानसभा चुनाव से पहले छोड़ी कांग्रेस
अशोक तंवर वर्ष 2009 में सिरसा संसदीय सीट से सांसद रह चुके हैं। 2014 और 2019 के चुनाव में उनकी हार हुई। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए अशोक तंवर का पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ 36 का आंकड़ा था। हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में पार्टी में टिकट वितरण को लेकर अशोक तंवर की भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ गहमागहमी हो गई थी। तंवर अपने समर्थकों की टिकट कटने से नाराज थे। फिर अशोक तंवर ने हरियाणा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया और पार्टी भी छोड़ दी।
विधानसभा चुनाव में अशोक तंवर ने अभय सिंह चौटाला का समर्थन किया।
2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ किया था प्रचार
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में टिकट वितरण से नाराज होने के बाद अशोक तंवर ने पार्टी छोड़ दी थी। चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ प्रचार किया। जजपा में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को समर्थन दिया। वहीं ऐलनाबाद सीट पर 2019 के चुनाव में इनेलो के अभय सिंह का समर्थन किया। 2021 में ऐलनाबाद उपचुनाव में भी अभय सिंह का समर्थन किया।
सिरसा में रणजीत सिंह और कांडा बंधुओं से रहा 36 का आंकड़ा
सांसद रहते हुए वर्ष 2011 में अशोक तंवर की तत्कालीन हरियाणा के गृह मंत्री गोपाल कांडा के साथ भी अनबन रही। मौजूदा बिजली मंत्री रणजीत सिंह भी तब कांग्रेस में थे। वे हुड्डा खेमे के थे। रणजीत सिंह ने उन पर टिप्पणी की थी, जिस पर अशोक तंवर समर्थकों ने रणजीत का पुतला फूंका था। 2019 के विधानसभा चुनाव में रणजीत सिंह ने रानियां विधानसभा सीट पर कांग्रेस की टिकट न मिलने का आरोप भी अशोक तंवर पर लगाया था। इसके बाद कांग्रेस छोड़कर रणजीत सिंह निर्दलीय चुनाव लड़े थे और जीते।