आस्ट्रेलिया पर चमत्कारी जीत पर कोच रवि शास्त्री की आंखों में आंसू
‘खड़ूस’ रवि शास्त्री का भी नहीं रहा जज्बातों पर काबू, जीत के बाद छलके आंसू
मुंबई की भाषा में रवि शास्त्री को ‘खड़ूस’ कहा जाता है यानी वह आम तौर पर अपने जज्बात जाहिर नहीं करते, लेकिन गाबा का किला फतह होने के बाद हाथ में तिरंगा लेकर मैदान का चक्कर लगाते ऋषभ पंत, मोहम्मद सिराज और शार्दुल ठाकुर को देखकर भावुक हो गए।
ब्रिस्बेन 19 जनवरी। मुंबई की भाषा में उन्हें ‘खड़ूस’ कहा जाता है यानी वह आम तौर पर अपने जज्बात जाहिर नहीं करते लेकिन भारत की युवा टीम की ऑस्ट्रेलिया पर शानदार जीत के बाद रवि शास्त्री भी अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके। भारत की अंडर 25 टीम के 22 वर्षीय कप्तान के रूप में 1984 में शास्त्री ने टीम मैनेजर को मोहम्मद अजहरूद्दीन को उनके दादा की सेहत नासाज होने के बारे में बताने नहीं दिया था।
दरअसल, अजहर उस समय भारतीय टीम में जगह बनाने की दहलीज पर थे और शास्त्री नहीं चाहते थे कि मैच छोड़कर वह यह मौका गंवाए। वही शास्त्री गाबा का किला फतह होने के बाद हाथ में तिरंगा लेकर मैदान का चक्कर लगाते ऋषभ पंत, मोहम्मद सिराज और शार्दुल ठाकुर को देखकर भावुक हो गए। शास्त्री ने कहा, ‘मैं भावुक हो गया। आम तौर पर मेरी आंख में आंसू नहीं आते लेकिन मैं भी भावुक हो गया।’
उन्होंने कहा, ‘मेरी आंखें भर आई क्योंकि यह अवास्तविक था। इन लड़कों ने जो किया, वह इतिहास में सबसे शानदार जीत में से एक के रूप में दर्ज हो जाएगा। कोरोना काल, खिलाड़ियों की चोटें और 36 रन पर आउट होने के बाद ऐसा प्रदर्शन।’
खिलाड़ियों को सारी सुर्खियां मिलने से क्या उन्हें लगता है कि उन्हें श्रेय नहीं मिला, यह पूछने पर उन्होंने कहा, ‘कोच का काम होता है लड़कों को मानसिक रूप से तैयार करना। उनका जो माइंडसेट है उसको क्लीयर करने के लिए। जास्ती (ज्यादा) पेचीदा करने की जरूरत नहीं और खेल सरल रखा तो काफी काम होता है।’ उन्होंने कहा, ‘और कोच का क्या। वो तो ड्रेसिंग रूम में बैठा रहता है। लड़के बाहर जाकर लड़ते हैं। किसी स्टेटमेंट का जरूरत नहीं। क्रिकेट बात करेगी।