क्रिकेटर ऋषभ के इलाज को पैसे की कमी नहीं,पर गांववासी के इलाज को गरीब हो गई सरकार
देहरादून 25 जनवरी। उत्तर प्रदेश में दो बार के विधायक,
उत्तरांखड की पहली अंतरिम सरकार में ग्राम्य विकास और वन मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी पक्षाघात से बेहाल उपचाराधीन हैं। लेकिन समुचित उपचार में उनकी साधनहीनता आडे आ गई है। करोड़ों रुपए की कार में हवा से बात करते दुर्घटना के शिकार हुए अरबपति क्रिकेटर ऋषभ पंत के उपचार के ख़र्च उठाने को बीसीसीआई से प्रतियोगिता को तैयार सरकार जानते हुए भी गांववासी के उपचार की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।
निसंतान वयोवृद्ध वीतराग गांववासी पहले ही खतरनाक स्तर के मधुमेह के शिकार हैं और उन्हें बार-बार अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है। उनकी पत्नी श्रीमती मुन्नी देवी भी हृदय रोगी हैं। इसी कारण उन्हें मन मार कर पहाड़ में अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि छोड़ कर देहरादून की शरण लेनी पड़ी।
गांववासी को 17 जनवरी को ऑल मीडिया जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (अमजा) उत्तरांखड की हरिद्वार जिला कार्यकारिणी शपथग्रहण समारोह में अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित होना था। आयोजक प्रतीक्षा करते रहे गये लेकिन समय देकर भी वे नहीं आये तो समारोह के बाद आयोजक उनकी ढूंढ में निकले तो पता चला कि उन्हें पक्षाघात हुआ है और वे उपचार को हिमालयन इंस्टिट्यूट हास्पिटल जौलीग्रांट में भर्ती हैं। यह पता चलते ही हरिद्वार से अमजा उत्तरांखड प्रदेश अध्यक्ष बृजेंद्र हर्ष तथा हरिद्वार जिला महामंत्री मनीष कागरान के नेतृत्व में उनका हालचाल जानने जौलीग्रांट जा पहुंचे।
वहां वे यह जानकर हैरान हो गए कि दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल ( वहां कोई न्यूरो डॉक्टर था ही नहीं और डॉक्टर सयाना ने बाद में बयान दिया कि गांववासी जी को न्यूरो सर्जरी की जरूरत नहीं थी) बेहतर उपचार को जौलीग्रांट अस्पताल पहुंचे गांववासी से अस्पताल पहले ही दिन 60 हजार रूपए वसूल कर चुका। उन्हे डिलक्स बताये जा रहे वार्ड का किराया भर ही प्रतिदिन साढ़े चार हजार रूपए बताया गया तो खर्चों से घबराई उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मुन्नी देवी ने गांववासी जी को सामान्य वार्ड में उपचार करने का अनुरोध किया। सो, उन्हे सामान्य वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया।
मोटे तौर पर डिलक्स और सामान्य वार्ड में अंतर यह बताया गया है कि डिलक्स लार्ड में अकेले रोगी के साथ उनकी देखरेख करने वाले भी रह सकते हैं जबकि सामान्य वार्ड में एक हॉल में 30 रोगी होंगें और वहां साथ में एक ही व्यक्ति देखभाल को रह सकेगा।
विभिन्न सूत्रों से सूचना पाकर गांववासी जी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत भी देख गये हैं। गांववासी की अस्पताल मे देखरेख कर रहे श्रीमती मुन्नी देवी के भतीजे ने बताया कि पहले दो दिन उन्हें नकद भुगतान करना पड़ा है। तीसरे दिन उनका गोल्डन कार्ड लग गया है। उन्होंने बताया कि अभी वे हृदयरोग गहन चिकित्सा इकाई में हैं।
ज्ञात रहे, धार्मिक रूचि के गांववासी जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रचारक थे जब उन्हें उत्तरांखड राज्य आंदोलन में उत्तरांचल प्रदेश संघर्ष समिति का दायित्व सौंपा गया था। 1980 में उन्हें सीधे अविभाजित उत्तर प्रदेश भाजपा में भेजा गया जहां 1991 से वे दो बार उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य रहे। उत्तराखण्ड राज्य बना तो वे श्री नित्यानंद स्वामी मंत्री मंडल के सदस्य रहे। बाद में उन्हें भाजपा में पंचायत राज प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय संयोजक और मोदी सरकार ने राष्ट्रीय गंगा बेसिन प्राधिकरण में विशेषज्ञ सदस्य बनाया गया।
हैरानी और क्षोभ का विषय यह है कि जिस स्टार क्रिकेटर ऋषभ पंत को स्वयं के विपुल संसाधनों के अलावा दुनिया के सबसे धनी बीसीसीआई का भी सहारा था, उनके ईलाज का सारा खर्च उठाने की तत्परता तो उत्तराखंड सरकार ने जताने में देर नहीं की, वहीं प्रदेश के एक ईमानदार जनप्रतिनिधि और मंत्री रहे गांववासी अपनी लाचार हालत में भी खर्च बचाने की चिंता में ईलाज करा रहे हैं।
अब ऑल मीडिया जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन उत्तरांखड का दूसरा प्रतिनिधि मण्डल जौलीग्रांट जा कर स्थिति का अपडेट लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को स्थिति से अवगत करायेगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मन में श्री गांववासी के प्रति अपार सम्मान है।