रेडक्रास कोरोना सेवा सम्मान: अंधा बांटे रेवड़ी, फिर फिर खुद को देय
देहरादून 02 जुलाई। भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी समाजिक सेवा संगठन जो समाज में निस्वार्थ समाजहित और स्वस्थ से जुड़े सभी कार्यों में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभाता है । इसके संरक्षक राज्यपाल होते हैं। कोविड काल से लगातार भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के पदाधिकारी व सदस्य हर क्षेत्र में अपनी जान की परवाह ना करते हुए निस्वार्थ योगदान देते आ रहे हैं । उनके लिए यह बड़ी गर्व और सम्मान की बात है जो अपना जीवन दूसरों के लिए जीते हैं। इसी का एक उदाहरण है भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी जो तन मन धन से खासकर कोविड की शुरुआत से लेकर लगातार समाज के लिए जी रहे हैं। जब-जब समाज को भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की सहायता की आवश्यकता हुई भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के सदस्य सदैव तैयार मिले । लेकिन यह भी सच है कि परोपकारी संस्थायें जब संकीर्ण स्वार्थी तत्वों के हाथों आ जायें तो उनके उद्देश्य कब धूमिल हो जायें और संस्था संकीर्ण स्वार्थ साधन का उपकरण बन जाये,पता भी नहीं चलता। ऐसे में रेडक्रास जैसी संस्था भी अपने संस्थापकों के उद्दात्त उद्देश्यों से विचलित हो कर निष्कृष्ट गति को प्राप्त हो जाये तो ये दुर्भाग्य की बात है।
भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के कई सालों से महासचिव रहे डॉक्टर एमएस अंसारी, कोषाध्यक्ष राज्य आंदोलनकारी मोहन सिंह खत्री, सचिव कल्पना बिष्ट, चेयरमैन सुभाष सिंह चौहान आदि पदाधिकारियों ने सोसाइटी के सभी सदस्यों के साथ मिलकर समाज के लिए जागरूकता अभियान से लेकर रक्तदान, स्वास्थ्य संबंधित सभी कार्य बड़ी निष्ठा व सेवा भाव से निस्वार्थ किए । 30 जून 2023 राज्यपाल ने कोविड काल में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित करते हुए सदस्य संख्या पांच लाख तक पहुंचाने का आव्हान किया। प्राप्त सूचना के अनुसार प्रदेश भर से 91 सदस्य व 6 रेड क्रॉस सोसाइटी के अधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे। परंतु भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के कई ऐसे नाम व चेहरे हैं जिन्होंने कोविड काल में तन मन धन से अपनी जान की परवाह न करते हुए पूरे कोविड काल में कार्य किया परंतु कार्यक्रम की सूचना तक प्राप्त ना होने से भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के ऐसे सदस्यों ने नाराजगी जताई व कई सवाल भी उठाए हैं।
पुष्पा भल्ला…... कई वर्षों से भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की सदस्य हैं कोविड काल में हॉस्पिटल से लेकर सड़कों तक जरूरतमंदों की मदद की हॉस्पिटलों में सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सैनिटाइजर ,खाने की सामग्री,से लेकर दवाई तक अपने स्तर पर सेवा की परंतु कार्यक्रम की सूचना तक नहीं आखिर ऐसा क्यों???…………………………
विकास कुमार..….. अपनी टीम…… पीयूष मल्होत्रा, सचिन अरोड़ा, गीता शर्मा, अनीता देवी, अंकिता जगमोला, नमन ,अंतेजा बिष्ट, पार्वती पाण्डे, राजीव गुप्ता, मनोज धीमान ,आदि…….. के साथ कोविड काल में रक्तदान से लेकर अनाज वितरण, मास्क, सैनिटाइजर, दवाई, हॉस्पिटेल के मरीजों को भोजन से लेकर ऑक्सिजन ,वैक्सीनेशन कैंप तक सहायता कराई उपल्ब्ध कई संगठनों से हुए सम्मानित अपने ही संगठन में हो गए बेगाने…….
मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन,देहरादून उत्तराखंड लगातार 6 वर्षों से सामाजिक कार्यों में संलग्न है इसके अंतर्गत बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम, पर्यावरण संरक्षण, गरीब बच्चों की शिक्षा, असहाय लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं मे सहायता, मानवाधिकार संबंधी कार्य, जेल विजिट जेल में ,कैदियों को मेडिकल सुविधाएं प्राप्त करना, गरीब लोगों को कानूनी सहायता प्राप्त करना,महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी देना, उनसे संबंधित बीमारियों के लिए जागरूकता अभियान,और मेडिकल कैंप कराना, नशा मुक्ति जागरूकता अभियान पर कार्य करता रहा है । मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के सदस्यता के अंतर्गत करोना वैश्विक महामारी के दौरान विषम परिस्थिति में 14 मार्च से ही अपना योगदान लगातार दे रहा है। जब देश इस भयावह बीमारी का सामना कर रहा था लॉकडाउन से पहले ओर उसके पश्चात भी बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसमें संगठन ने पत्रकारों, पुलिस एवं प्रशासन के माध्यम से शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मास्क, सैनिटाइजर, भोजन, राशन , इम्यूनिटी बूस्टर ,वस्त्र तथा ग्लव्स वितरण के अलावा विषम परिस्थितियों में बाहर जाने वालों के लिए पास की व्यवस्था आदि का योगदान दिया। इसमें सभी जरूरतमंद लोगों की सहायता की गई जिसमें संगठन के चेयरमैन श्री सचिन जैन , महासचिव मधु जैन एवं संगठन के अन्य पदाधिकारियों ने तन ,मन, धन से सहयोग किया। साथ ही साथ कई जगह जागरूकता अभियान भी चलाए जिससे सभी सतर्क रहें, सचेत रहें, स्वस्थ रहें। इसके अलावा संस्था ने लोगों के सहयोग से प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री राहत कोष में लगभग 500000/- की धनराशि का सहयोग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।इसके अलावा पुलिसकर्मियों सफाई कर्मचारी डॉक्टर,स्वास्थ्यकर्मी,पत्रकारों को समय-समय पर सैनिटाइजर, ग्लव्स, च्यवनप्राश, सेवादार,मास्क, इम्यूनिटी बूस्टर और मेडिसिन आदि प्रदान किए गए ।इसके अलावा 300 पुलिसकर्मी डॉक्टर ,पत्रकार, सफाई कर्मचारी आदि कोरोना वारियर्स को मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन के प्रशस्ति पत्र ओर गोल्ड मेडल से सम्मानित किया ।
मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन से वितरित सामग्री का विवरण……
मास्क 3000 पीस ,सैनिटाइजर 600 पीस ,भोजन के पैकिट 500 पैकेट, सूखा राशन 800 किट, वस्त्र वितरण 150 पीस, ग्लव्स 400 पीस, इम्युनिटी बूस्टर दवा 800 पीस , वितरण का सहयोग दिया।
अब ऐसे में जिस संगठन से जुड़े हैं सम्मान के समय वही संगठन अनदेखा करें जो सवाल उठेंगे ही…….
डॉक्टर मुंशीर अंजुम……….… अपनी टीम नितिन कुमार, अशरफ खान, के साथ मिलकर करोना काल में 205 डेड बॉडी का अन्तिम संस्कार कर सर्वोपरि कार्य किया है। जिस समय लोग एक दूसरे को छूने में डर रहे थे, उस काल में 205 डेड बॉडी का अंतिम संस्कार करना अपने अपने आप में एक उदाहरण है । जब लोग अपनों को दूर से देख रहे थे ऐसे में अंतिम संस्कार कर उन 205 डेड बॉडी को लावारिस नहीं होने दिया। ऐसे लोगों को सम्मान देना अपने आप में सम्मान है।
सम्मान समारोह में नाम गायब और कोई सूचना तक नहीं होना बड़ा ही दुर्भाग्य है……..
ऐसे ही और अन्य कोविड में उत्कर्ष कार्य करने वालों कोरोना वारियर के नाम गायब है ज्योति मोहन ढींगरा, विशाल कुमार, राहुल सोनकर, रविंद्र आदि……
भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी की सदस्य रेणु सेमवाल ने कहा कि समाज सेवा करने के लिए किसी संगठन के सर्टिफिकेट या अवार्ड की आवश्यकता नहीं है । अवार्ड को नाम चयनित करने वाले अपना अवार्ड अपने पास रखें। जिन्हें सेवा करनी होगी, बिना अवार्ड भी जीवन भर समाज सेवा करेंगें ही।
कोरोना काल में ऐसे लोगों ने भी जान की बाजी लगा कर सेवा की जिनका रेडक्रास सोसायटी से दूर दूर का नाता नहीं है। उदाहरण को युवा पत्रकार आशुतोष ममगाईं ने कोरोला काल के प्रथम चरण में जगह- जगह फंसे मजदूरों और निराश्रित प्रवासियों के बच्चों को दूध, परिवारों को राशन, सब्जियां और दवायें पहुंचाते-पहुंचाते खुद और अपने परिवार को कोरोला ग्रस्त कर बैठे। इसमें आशुतोष ममगाईं की जान चली गई और उसी संक्रमण में उनकी माता की जान भी गई। किसी ओर ने तो उनके बलिदान को मान नहीं दिया। उनके सहयोगी संगठन ऑल मीडिया जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन उत्तरांखड ने उनकी स्मृति में परोपकारी राष्ट्रीय पत्रकारिता सम्मान शुरू किया है। इसी संगठन के कोषाध्यक्ष राजकमल गोयल को उत्तराखंड PIB के ADG नरेंद्र कौशल की एम्स ऋषिकेश में कोरोना संक्रमण से मृत्यु होने की सूचना मिली और पता चला कि लखनऊ में सिर्फ उनकी पत्नी और बेटियां ही अंतिम संस्कार को पहुंची हैं। कौशल जी से कार्यकारी परिचय होने से गोयल अपनी कार से PIB के दो कार्मिकों को लेकर एम्स मोर्चरी पहुंचे जहां स्थानीय परिचय शून्यता,गर्मी और व्यवस्था की संवेदनहीनता के चलते कौशल की पत्नी को परेशान पाया। ऐसे में गोयल ने अंतिम संस्कार करा कर कौशल के परिजनों को होटल छोड़कर लौटे।यह सब उन्होंने तब बिना किसी के किया ,जब सबको अपनी अपनी पड़ी थी।गोयल ने इस काम के लिए किसी सराहना की भी अपेक्षा नहीं की। इन लोगों ने अपने किये का ढ़ोल नहीं पीटा तो क्या समाज भी अपना कर्तव्य भूल जाये? ऐसे नाम हर जिले, शहर, कस्बे और गांव में होंगें लेकिन जिनकी पहुंच है,वे अपने गले मैडल टांगें इतराते घूम रहे हैं।