टाइमलाइन:हरीश में अध्यक्ष,तीरथ राज में सलाहकार,धामी राज में चल गई डॉ. आरबीएस रावत पर तलवार
UKSSSC Paper Leak Case RBS Rawat Becomes Chairman In Harish Rawat Government And Advisor In Tirath Government
Paper Leak Case: हरीश राज में अध्यक्ष बने,तीरथ राज में सलाहकार,धामी राज में चल गई आरबीएस रावत पर तलवार
देहरादून 09 अक्टूबर।वीपीडीओ परीक्षा धांधली की जांच में विजिलेंस के पास ठीक ऐसी ही सख्त कार्रवाई करने के पर्याप्त आधार थे, लेकिन माना जा रहा है कि रावत के पहले कांग्रेस से और उसके बाद भाजपा से गहरे रिश्ते होने की वजह से विजिलेंस उनके गिरेबां में हाथ नहीं डाल सकी, लेकिन धामी सरकार में आरबीएस रावत व उनके साथ रहे आयोग के तत्कालीन सचिव और परीक्षा नियंत्रक को जेल की हवा खिला दी गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षाओं में धांधली की जांच कर रही एसटीएफ के शिकंजे में फंसे पूर्व आईएफएस अफसर आरबीएस रावत को आयोग की सबसे पहले बागडोर हरीश रावत सरकार में ही सौंपी गई थी। आयोग से विदा होने के बाद भी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) भर्ती परीक्षा में धांधली के आरोप आरबीएस रावत का पीछा करते रहे।
दामन दागदार होने के बावजूद उन्हें पूर्व भाजपा सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपना प्रमुख सलाहकार बना दिया। तब चर्चा यही थी कि रावत को आरएसएस का वरदहस्त है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि हरीश राज से लेकर तीरथ राज के बाद तक आरबीएस रावत का बाल बांका नहीं हो सका। स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले की एसटीएफ जांच में जब परतें खुलने लगीं तो आरबीएस रावत के कार्यकाल की वीपीडीओ भर्ती में हुए गड़बड़झाले की कलई भी खुल गई।
आयोग की भर्ती मामले की जांच एजेंसी को पूरी आजादी देने वाली धामी सरकार में आरबीएस रावत व उनके साथ रहे आयोग के तत्कालीन सचिव और परीक्षा नियंत्रक को भी जेल की हवा खिला दी गई है। जानकार इसे आयोग की भर्ती जांच मामले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मान रहे हैं। यह एक्शन भाजपा के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में भी हो सकता था।
विजिलेंस को जांच सौंपी
सूत्रों के मुताबिक, वीपीडीओ परीक्षा धांधली की जांच में विजिलेंस के पास ठीक ऐसी ही सख्त कार्रवाई करने के पर्याप्त आधार थे, लेकिन माना जा रहा है कि आरबीएस रावत के पहले कांग्रेस से और उसके बाद भाजपा से गहरे रिश्ते होने की वजह से विजिलेंस उनके गिरेबां में हाथ नहीं डाल सकी।
आरबीएस की गिरफ्तारी पर अभी तक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और तीरथ सिंह रावत की प्रतिक्रिया नहीं आई है। तीरथ का नंबर स्विच ऑफ है। बताया जा रहा है कि वह अस्वस्थ हैं। कार्रवाई का अवसर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी मिला था। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि उन्होंने ही मामले की प्राथमिक जांच कराई और विजिलेंस को जांच सौंपी।
आरबीएस रावत संघ में पर्यावरण गतिविधि के संयोजक भी रहे
वीपीडीओ परीक्षा धांधली में गिरफ्तार हुए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष पूर्व आईएफएस अधिकारी आरबीएस रावत राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पर्यावरण गतिविधि के संयोजक भी रहे। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहकार बनने में संघ के उनके रिश्तों की अहम भूमिका मानी गई थी।
VPDO Recruitment RBS Rawat Gave Entry In Commission To Tainted Company Of Paper Leak Uttarakhand News In Hindi
VPDO Recruitment: पेपर लीक की दागी कंपनी को आरबीएस रावत ने दी थी आयोग में एंट्री, विवादों से घिरा रहा कार्यकाल
वीपीडीओ भर्ती गड़बड़ी में जेल जाने वाले पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत के बतौर अध्यक्ष कार्यकाल में कई विवाद सामने आए। उन्होंने राजधानी के एक होटल में प्रेस वार्ता कर बाकायदा अपने इस्तीफे की जानकारी दी। बावजूद इसके अध्यक्ष की कुर्सी पर वह करीब सात महीने तक जमे रहे।
आरबीएस रावत
वन विभाग के पूर्व मुखिया आरबीएस रावत का अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। पेपर लीक की दागी कंपनी आरएमएस की एंट्री आरबीएस रावत ने ही आयोग में अध्यक्ष रहते कराई थी। वहीं, वीपीडीओ भर्ती पर विवाद होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया था लेकिन स्वीकार न होने के चलते वह सात महीने तक कुर्सी पर जमे रहे।
वीपीडीओ भर्ती गड़बड़ी में जेल जाने वाले पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत के बतौर अध्यक्ष कार्यकाल में कई विवाद सामने आए। 2014 में आयोग की स्थापना के साथ ही आरबीएस रावत को अध्यक्ष बनाया गया। 2016 में आयोग ने पहली बड़ी परीक्षा वीपीडीओ भर्ती की कराई थी, जिसमें गड़बड़ी सामने आई।
विवाद बढ़ा तो सरकार के दबाव में अध्यक्ष आरबीएस रावत ने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राजधानी के एक होटल में प्रेस वार्ता कर बाकायदा अपने इस्तीफे की जानकारी दी। बावजूद इसके अध्यक्ष की कुर्सी पर वह करीब सात महीने तक जमे रहे।
विभिन्न भर्तियों में पेपर लीक की दागी आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन कंपनी को भी आरबीएस रावत के कार्यकाल में ही आयोग और उत्तराखंड में एंट्री दी गई थी। बताया जाता है कि इससे पहले कंपनी का क्या प्रोफाइल था, वह कितना काम कर चुकी थी या नहीं, इस पर ध्यान ही नहीं दिया गया। आयोग के सदस्यों के साथ ही विवाद के चलते भी वह चर्चाओं में रहे।
सचिव-परीक्षा नियंत्रक की भूमिका भी थी संदेह में
अधीनस्थ सेेवा चयन आयोग के सचिव एमएस कन्याल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र पोखरियाल की भूमिका शुरू से ही संदेह के घेरे में थी। जिस जगह पर ओएमआर शीट की स्कैनिंग की गई थी, वहां न तो कोई कैमरा था और न ही कोई गोपनीयता। जबकि स्कैनिंग की पूरी जानकारी सीसीटीवी में होनी चाहिए थी। परीक्षा के आयोजन पर सचिव व परीक्षा नियंत्रक सवालों के घेरे में आए थे। उसी दौरान यह चर्चा भी आम होती थी कि एक अधिकारी झोले में ओएमआर शीट लेकर घूमता था।