इस्तीफे का जिक्र नहीं,छह माह में देंगे 20,000 नौकरियां, कोविड काल में दी 13 अरब की राहत: तीरथ
उत्तराखंड: सीएम तीरथ सिंह रावत ने गिनाए अपनी सरकार के काम, शनिवार को कर सकते हैं इस्तीफे का एलान
देहरादून 02 जुलाई।बता दें कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने आज ही दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से इस्तीफे की पेशकश की थी।
उत्तराखंड में राजनीतिक संकट के बीच मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रेसवार्ता कर सबको चौंका दिया। अटकलें थीं कि मुख्यमंत्री तीरथ आज(शुक्रवार) को प्रेसवार्ता में अपने पद से इस्तीफे का एलान कर सकते हैं। लेकिन इस दौरान उन्होंने बाकी किसी भी राजनीतिक मुुद्दे पर बोलने की बजाय अपनी सरकार के काम गिना दिए और चल दिए। सूत्रों की मानें तो अब शनिवार को अपने त्यागपत्र की घोषणा कर सकते हैं। शनिवार को ही देहरादून में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधायक दल की बैठक आयोजित की जाएगी। सभी भाजपा विधायकों को 11 बजे तक बैठक में पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।
सचिवालय मीडिया सेंटर में प्रेसवार्ता में उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने कोविड को लेकर राहत देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विद्यालयी शिक्षा, संस्कृति एवं सूचना और पर्यटन समेत कई क्षेत्रों में सहायता दी गई है। बड़ी संख्या में प्रदेश में रोजगार के लिए अवसर पैदा किए गए हैं। राजकीय विभागों में सीधी नियुक्ति के प्रयास किए गए हैं। कक्षा 12 तक के विद्यार्थियों के लिए निशुल्क किताबें देने की योजना तैयार की गई है। कोविड कालीन 23 विभागों से संबंधित 13 अरब रुपए के विकास,छूट और अनुदान में सबसे ज्यादा दो अरब 60 करोड़ रुपए का अवस्थापना विकास राजकीय चिकित्सालयों और मेडिकल कॉलेजों में हुआ है। 21 विभागों में 20 हजार भर्तियों में सबसे ज्यादा 5499 शिक्षा विभाग में तैयारी है और सबसे कम 82 खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग में होगी। उन्होंने बताया कि पांच हजार पदों पर भर्तियों में नियमावली अथवा किसी अन्य प्रशासनिक कारण से आ रहीं बाधाओं के निराकरण हेतु सचिव कार्मिक की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स बनाया गया है जो 20 जुलाई तक सभी आपत्तियों का निराकरण कर अध्याचन संबंधित आयोग को उपलब्ध करायेंगें।
वार्ता में सरकार के प्रवक्ता कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय और मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहकार शत्रुघ्न सिंह भी थे।
जेपी नड्डा को किया था त्यागपत्र का प्रस्ताव
बता दें कि तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। अपने 115 दिन के कार्यकाल के बाद आज ही उन्होंने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से त्यागपत्र की पेशकश की थी। सूत्रों के अनुसार तीरथ सिंह रावत ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को दिए खत में कहा है कि वे पार्टी के सामने कोई संकट नहीं पैदा करना चाहते हैं और इसलिए वे अपने पद से इस्तीफे की पेशकश कर रहे हैं।
उनका कहना था कि पद पर बने रहने के लिए 10 सितंबर तक उनका विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना जरूरी था। प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना है। चूंकि राज्य में अगले ही साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित है और इसमें साल भर से कम समय बचा है। ऐसे में लोकप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151 ए में अब इस स्थिति में उप-चुनाव नहीं हो सकता है।
मुख्यमंत्री बनने वाले पांचवें गैरविधायक रहे तीरथ
आपको बता दें कि तीरथ रावत से पहले भी चार सांसद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। इनको विधानसभा सदस्य बनने के लिए बाद में उपचुनाव लड़ना पड़ा था। इस परंपरा की शुरुआत 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने की थी।
वह नैनीताल से लोकसभा के सांसद थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने रामनगर विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता था। इसी तरह पौड़ी गढ़वाल से ही सांसद रह चुके भुवन चंद्र खंडूड़ी राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद धूमाकोट से विधायक बने।
इसके बाद टिहरी से सांसद विजय बहुगुणा जब कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने सितारगंज से विधानसभा का चुनाव जीता था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत जब मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने धारचूला से विधानसभा का चुनाव जीता था। उनके लिए पार्टी के ही विधायक हरीश धामी ने सीट छोड़ी थी।