घर वापसी: प्राण-प्रतिष्ठा पर उप्र व मप्र के मुस्लिम परिवारों की घर-वापसी
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन अय्यूब खान ने अपनाया हिंदू धर्म, VHP ने पैर धोकर कराई पूरे परिवार की ‘घर वापसी’
Ramlalla Pran Pratishtha Day: 22 जनवरी की ऐतिहासिक तारीख को अय्यूब के परिवार का विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने पैर धोकर और अंगवस्त्र पहनाकर हिंदू धर्म में स्वागत किया. अय्यूब अब राजकुमार और उनकी पत्नी करिश्मा कहलाएंगी।
अलीराजपुर ,22 जनवरी 2024,मध्य प्रदेश के अलीराजपुर में एक मुस्लिम परिवार ने श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन हिंदू धर्म अपना लिया. शहर के अय्यूब उर्फ पीरू भाई ने अपनी पत्नी और दो बच्चों सहित हिंदू धर्म को स्वीकार कर लिया. कहा कि हमारे पूर्वज हमारे हिंदू थे और अब वह घर वापसी कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें हिंदू धर्म और पूजा पद्धति पसंद है.
22 जनवरी की ऐतिहासिक तारीख को बाकायदा समारोहपूर्वक अय्यूब के परिवार का विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने पैर धोकर और अंगवस्त्र पहनाकर हिंदू धर्म में स्वागत किया.
विहिप नेता पदाधिकारी संजय मांझी ने बताया कि अय्यूब ने आदिवासी युवती से निकाह किया था. पत्नी के साथ रहकर मुस्लिम अय्यूब ने हिंदू धर्म और पूजा पद्धति को देखा और समझा. फिर प्रभावित होकर हिंदू संगठन विश्व हिंदू परिषद से संपर्क कर विधि विधान से हिंदू धर्म अपना लिया. विहिप के लोग अय्यूब की घर वापसी बताकर काफी खुश हैं.
बड़ी बेटियों की शादी की है सनातनियों में
सनातन धर्म की संस्कृति, परंपरा और रीति-रिवाज उन्हें हमेशा से ही आकर्षित करते रहे हैं।
अय्यूब ने हिंदू महिला शारदा से निकाह किया था, इसके बाद भी शारदा सनातन धर्म का पालन करती रहीं। उसने
दो बड़ी बेटियों की शादी हिंदू परिवारों में की है।
अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण-प्रतिष्ठा के दिन सोमवार को शहर के एक मुस्लिम परिवार ने सनातन में घर वापसी की है। 50 वर्षीय अयूब खान पठान ने अपनी पुत्री व बेटे के साथ विधि-विधान से पूजन कर सनातन धर्म अपनाया है। उन्होंने कहा, सनातन धर्म की संस्कृति, परंपरा और रीति-रिवाज उन्हें हमेशा से ही आकर्षित करते रहे हैं। इसलिए भगवान राम की अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के पुनीत दिन घर वापसी का निर्णय लिया है।
आलीराजपुर शहर के कुम्हारवाड़ा निवासी अयूब खान पठान अब राजकुमार के नाम से जाने जाएंगे। उनके 22 वर्षीय पुत्र शाहरुख को नया नाम सुभाष दिया गया है। 18 वर्षीय पुत्री करिश्मा का नाम करिश्मा ही रखा गया है। अयूब ने शहर के महात्मा गांधी मार्ग पर प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर बसाए गए अयोध्या धाम में विधिपूर्वक पूजन कर सनातन में वापसी की है।
इस अवसर पर उनकी बेटी करिश्मा मौजूद रहीं, जबकि खराब स्वास्थ्य के चलते सुभाष (शाहरुख) उपस्थित नहीं हो सके। सामाजिक कार्यकर्ता जयेश भट्ट व संजय मांझी ने पूजन विधि संपन्न करवाई। पश्चात दोनों को भगवा दुपट्टा ओढ़ा व पैर धुलाने के बाद सनातन में प्रवेश दिया गया। जैसे ही पूजन विधि संपन्न हुई, अयोध्या धाम में प्रभु श्री राम के जयकारे लग उठे।
पत्नी हिंदू, दो बेटियों का विवाह भी हिंदू परिवार में किया
अयूब ने हिंदू महिला शारदा से निकाह किया था। इसके बाद भी शारदा सनातन धर्म का पालन करती रहीं। अयूब ने इसे लेकर कभी कोई आपत्ति नहीं जताई, बल्कि उन्हें भी हमेशा से सनातन से लगाव रहा है। यही वजह है कि उन्होंने अपनी दो बड़ी बेटियों की शादी हिंदू परिवारों में की है।
एक बेटी का विवाह राजस्थान व एक का गुजरात में किया है। पत्नी सनातनी रहीं, इसलिए परिवार में हिंदू परंपराओं का भी पालन होता रहा। राजकुमार ने बताया कि उनका जुड़ाव पहले से ही सनातन धर्म से रहा है। उन्होंने बिना किसी दबाव के पूरे विवेक से घर वापसी का निर्णय लिया है। पूजन विधि संपन्न कराने के अवसर पर कई सनातनी उपस्थित रहे।
घर वापसी करने वाले छेदी ने सजाया पूरा गांव, राम मंदिर का अक्षत पाकर हुआ गर्व, अपने फैसले से खुश
विंध्याचल मंदिर में पूजा करते छेदी और उसका परिवार
इसे ही तो कहते हैं सनातन संस्कार। एक बार जो इसको जान लेता है वो फिर सनातन धर्म का होकर रह जाता है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के भदोही जिले से पिछले दिनों आया, जहां सनातन धर्म की महानता को जानने के बाद एक मुस्लिम परिवार ने घर वापसी कर ली थी। घर वापसी से नाराज होकर छेदी का एक बेटा घर छोड़ कर चला गया। लेकिन बावजूद इसके छेदी ने अपने परिवार के साथ 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर गांव के मंदिर को सजाने और अपने घर में पूजा-पाठ करने का निर्णय लिया है।
परिवार का मानना है कि इससे वो लोग खुश हैं। उन्होंने कहा कि ये हमारी घर वापसी है। हम पहले हिंदू ही थे, बाद में मुस्लिम बने थे। परिवार गांव के ही शिव मंदिर में रोज पूजा-पाठ भी करता है। इस परिवार के मुखिया हैं छेदी। उन्होंने कहा कि हमने ये फैसला किया कि हम पूरे गांव को सजाएंगे। लेकिन सनातन धर्म में घर वापसी के अपने फैसले पर अडिग छेदीलाल बताते हैं कि पहले उनके परिवार में 9 लोग थे, लेकिन घर वापसी से नाराज होकर उनका दूसरा बेटा बबलू, पत्नी कल्लो और बेटे आरिफ के साथ घर छोड़कर चला गया है। इसके बाद अब घर में पत्नी सुग्गर, बेटा गुड्डू उसकी पत्नी बीबी, छेदी के नाती एहसन और सुड्डू रहते हैं।
भदोही के चौरी दानू पट्टी गांव के रहने वाले छेदी का कहना है कि आसपास के लोगों ने हमसे बात करना बंद कर दिया। उन्होंने संबंध तोड़ लिए हैं। 9 लोगों के परिवार में अब 6 लोग ही बचे हैं, लेकिन हम अपने फैसले से आनंदित हैं। सबसे अधिक आनंद उस वक्त आया, जब हमें राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजित अक्षत प्रदान किए गए। उन्होंने कहा कि जब हम लोगों ने सनातन धर्म में घर वापसी की थी, तो बबलू हमारे साथ ही था, लेकिन अब वो अपने ससुराल में रहता है।
छेदी कहते हैं कि हमारे गांव की 60 फीसदी आबादी मुस्लिम ही है, जहां की कुल जन संख्या करीब 15000 है। जब हमें राम मंदिर का अक्षत देने के लिए भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ता आए थे, तो उन्होंने 22 जनवरी को विधिवत पूजा करके राम नाम जपने की सलाह दी थी। हमारे घर में टीवी नहीं है, लेकिन हम मोबाइल में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को देखेंगे।
30 दिसंबर को की थी घर वापसी
गौरतलब है कि छेदी ने अपने परिवार के साथ 30 दिसंबर 2023 को मिर्जापुर स्थित माता विंध्यवासिनी के मंदिर में घर वापसी की थी। उस दौरान छेदी के बेटों ने कहा था कि जहां पर उसके पिता हैं वो भी वहीं रहेंगे।
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