क्रांतिकारी मौलवी अहमदुल्लाह शाह फैजाबादी के नाम होगी अयोध्या मस्जिद
कौन हैं क्रांतिकारी अहमदुल्ला शाह, जिन पर रखा जाएगा अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का नाम
कौन हैं क्रांतिकारी अहमदुल्ला शाह, जिन पर रखा जाएगा अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का नाम
क्रांतिकारी अहमदुल्ला शाह फैजाबादी पर होगा अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का नाम
इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के मुताबिक ‘अंग्रेजों में मौलवी अहमदुल्ला शाह फैजाबादी (Maulvi Ahmadullah Shah Faizabadi) का डर साफ दिखाई देता था. ब्रिटिश एजेंट ने उन्हें मारने के बाद सिर और धड़ अलग-अलग जगह दफन किया था, ताकि लोग उनकी कब्र को मकबरा नहीं बना सकें.’
अयोध्या06 जून. अयोध्या (Ayodhya) के धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद (Mosque) और अस्पातल परिसर का नाम स्वतंत्रता सेनानाी और क्रांतिकारी मौलवी अहमदुल्ला शाह फैजाबादी (Maulvi Ahmadullah Shah Faizabadi) के नाम पर रखने का फैसला किया गया है. अहमदुल्ला शाह फैजाबादी की मौत 164 साल पहले हुई थी.
इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के मुताबिक, अहमदुल्ला शाह फैजाबादी ने 1857 की क्रांति के बाद अवध को ब्रिटिश हुकूमत से मुक्त करोने के लिए दो साल से अधिक समय तक स्वतंत्रता आंदोलन चलाया था. यही कारण है कि IICF ने धन्नीपुर गांव में बनने वाली मस्जिद, अस्पताल, संग्रहालय, अनुसंधान केंद्र और सामुदायिक रसोई सहित सभी योजनाओं को उन्हीं के नाम से शुरू करने का फैसला किया है.
IICF के सचिव अतहर हुसैन ने बताया कि उनके शहीद दिवस पर हमने उनके नाम पर ही सभी परियोजनाओं की शुरुआत करने का फैसला लिया है. जनवरी में हमने मौलवी फैजाबादी को शोध केंद्र समर्पित किया, जो हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक थे. आजादी की पहली लड़ाई के 160 साल बाद भी अहमदुल्ला शाह फैजाबादी को भारतीय इतिहास में अभी तक वो हक नहीं मिला है. मस्जिद सराय, फैजाबाद, जो 1857 के विद्रोह के दौरान मौलवी का मुख्यालय थी, वही एकमात्र जीवित इमारत है जो उनके नाम को संरक्षित करती है.
हुसैन बताते हैं, ‘ब्रिटिश एजेंट ने जब उन्हें मार दिया तो उनके सिर और धड़ अलग-अलग जगह दफन किया गया, ताकि लोग उनकी कब्र को मकबरा नहीं बना सकें. मस्जिद के ट्रस्टी कैप्टन अफजाल अहमद खान ने बताया कि अंग्रेजों के बीच मौलवी फैजाबादी का डर साफ दिखाई देता था. उनकी मौत के बाद भी उन्हें डर था कि जिस तरह वह जिंदा रहते हुए अंग्रेजों के लिए खतरा बन गए थे, कहीं मरने के बाद भी ऐसा न हो जाए. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जॉर्ज ब्रूस मैलेसन और थॉमस सीटन जैसे ब्रिटिश अधिकारियों ने उनके साहस और वीरता के बारे में बहुत कुछ लिखा है, लेकिन लेकिन आज भी स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में उन्हें जगह नहीं मिल पाई है।
अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए 16 माह में मिला महज 20 लाख का चंदा, इकबाल अंसारी ने IICF पर उठाए सवाल
बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने मस्जिद ट्रस्ट पर उठाए सवाल। ट्रस्ट गठन के 16 माह बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक मस्जिद निर्माण के लिए 20 लाख रुपये एकत्रित हो सका है. इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन द्वारा 5 एकड़ भूमि पर मस्जिद के साथ अस्पताल, लाइब्रेरी, कम्युनिटी किचन, संग्रहालय बनाए जाने की योजना है.
अयोध्या मस्जिद निर्माण (Ayodhya Mosque) के लिए धन एकत्रित न होने पर बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी (Iqbal Ansari) ने इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन ट्रस्ट (IICF) के अध्यक्ष की कार्यशैली पर बड़ा आरोप लगाया है. उनके मुताबिक ट्रस्ट का गठन निजी है, जिसके कारण लोग उस पर विश्वास नहीं कर रहे हैं. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण के साथ मस्जिद निर्माण की तैयारी शुरू कर दी गई है, लेकिन मस्जिद निर्माण के लिए गठित इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन ट्रस्ट अभी तक 20 लाख रुपए ही जुटा पाई है. इसको लेकर इकबाल अंसारी ने ट्रस्ट पर बड़ा आरोप लगाया है.
9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या के धनीपुर में मस्जिद के लिए 5 एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड को आवंटित किया गया. वक्फ बोर्ड द्वारा फरवरी 2020 में इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन ट्रस्ट का गठन किया गया और सामाजिक सहयोग से मस्जिद निर्माण के लिए ट्रस्ट के नाम बैंक में खाता खुलवाया गया. ट्रस्ट के गठन के बाद 16 माह बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक मस्जिद निर्माण के लिए 20 लाख रुपये एकत्रित हो सका है. इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन द्वारा 5 एकड़ भूमि पर मस्जिद के साथ अस्पताल, लाइब्रेरी, कम्युनिटी किचन, संग्रहालय बनाए जाने की योजना बनाई गई है.
इकबाल अंसारी का आरोप
बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने बताया कि अयोध्या धर्म की नगरी है, जहां हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्म के लोग रहते हैं. अब 5 किलोमीटर की अयोध्या में सभी धर्मों के मंदिर-मस्जिद गुरुद्वारा बने हुए हैं और देश-विदेश के लोग अयोध्या आते हैं. आज अयोध्या में मंदिर का निर्माण हो रहा है. पूरी दुनिया में लोग राम का नाम लेते हैं, चाहे वह मुस्लिम हो या हिंदू. लेकिन, सवाल अयोध्या का है, जहां मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ की भूमि दी गई है. इसके ट्रस्ट के लोग बता रहे हैं कि अभी तक 20 लाख रुपये ही आए हैं, जबकि राम मंदिर में करोड़ों रुपए आ चुके हैं. यह सब भगवान राम की देन है. उन्हें मानने वाले पूरी दुनिया में लोग मौजूद हैं. जफर फारूकी द्वारा बनाया गया ट्रस्ट उनका निजी ट्रस्ट है और ट्रस्ट के लोग यदि सामाजिक होते तो मस्जिद निर्माण के लिए भी बहुत से पैसा आता, लेकिन ये लोग सामाजिक नहीं हैं. हम चाहते हैं कि ट्रस्ट में फेरबदल किया जाए. जब तक ट्रस्टी नहीं बदले जाएंगे तब तक लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा नहीं ले सकेंगे.