अपने दून का ऋषभ कोहली भी है फिल्म ‘कर्तम भुक्तम’ में,धामी भी उत्साहित
*मुख्यमंत्री ने फ़िल्म कर्तम भुगतम से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले उत्तराखण्ड के ऋषभ को दी शुभकामनाएं’*
*राज्य सरकार फिल्म निर्माण और फिल्म कलाकारों को लेकर बेहद सकारात्मक-मुख्यमंत्री*
*सूचना महानिदेशक ने भी डेब्यू पर ऋषभ को दी शुभकामनाएं*
देहरादून 21 मई 2024.मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आज सचिवालय में दून के उभरते कलाकार ऋषभ कोहली ने भेंट की। मुख्यमंत्री ने ऋषभ को फिल्म ‘कर्तम-भुगतम’ की रिलीज और डेब्यू पर शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार फिल्मों के निर्माण और फिल्म कलाकारों को लेकर बेहद सकारात्मक हैं। उत्तराखंड तेजी से शूटिंग के नए डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में दर्जनों फिल्मों की शूटिंग उत्तराखंड में चल रही है और राज्य की नई फिल्म नीति से इस इंडस्ट्री से जुड़े ज्यादा से ज्यादा लोगों को आकर्षित किया जा रहा है।
सूचना महानिदेशक एवं उत्तराखंड फिल्म परिषद के सीईओ बंशीधर तिवारी ने भी ऋषभ को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार की फिल्म नीति में यहां फिल्म निर्माण पर सब्सिडी से लेकर तमाम अन्य प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यहां जितनी ज्यादा फिल्मों की शूटिंग होगी उससे न केवल स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा बल्कि राज्य की आर्थिकी में भी इंडस्ट्री का बड़ा योगदान होगा।
ज्ञातव्य है कि दून निवासी वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली के सुपुत्र ऋषभ कोहली ने अपनी पहली फिल्म कर्तम-भुगतम से बॉलीवुड में डेब्यू किया है।
श्रेयस तलपड़े की ‘कर्तम भुगतम’ की कमाई में मामूली बढ़त, तीसरे दिन कमाए 32 लाख रुपये
श्रेयस तलपड़े की 80 करोड़ रुपए में बनीं ‘कर्तम भुगतम’ की कमाई में मामूली बढ़त, तीसरे दिन कमाए 32 लाख रुपये ‘कर्तम भुगतम’ की कमाई में मामूली बढ़त ( इंस्टाग्राम/@shreyastalpade27)
दीक्षा शर्मा
May 20, 2024/10:02 am
अभिनेता श्रेयस तलपड़े की फिल्म ‘कर्तम भुगतम’ को बीते शुक्रवार यानी 17 मई को सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था। इस फिल्म में विजय राज भी मुख्य भूमिका में हैं।
दोनों के काम ने बेशक समीक्षकों का दिल जीत लिया हो, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म को दर्शक नसीब नहीं हो रहे।
फिल्म की दैनिक कमाई शुरुआत से लाखों में सिमटी हुई है। हालांकि, वीकेंड पर ‘कर्तम भुगतम’ की दैनिक कमाई में मामूली बढ़त देखने को मिली है।
बॉक्स ऑफिस
‘कर्तम भुगतम’ ने तीसरे दिन कमाए 32 लाख रुपये
अब ‘कर्तम भुगतम’ के तीसरे दिन के कमाई के आंकड़े भी सामने आ गए हैं।
बॉक्स ऑफिस ट्रैकर सैकनिल्क के मुताबिक, रिलीज के तीसरे दिन (रविवार) इस फिल्म ने 32 लाख रुपये का कारोबार किया।
‘कर्तम भुगतम’ ने मात्र 16 लाख रुपये के साथ बॉक्स ऑफिस पर बेहद धीमी शुरुआत की थी। दूसरे दिन यह फिल्म 26 लाख रुपये कमाने में सफल रही।
इसी के साथ अब ‘कर्तम भुगतम’ का कुल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन 74 लाख रुपये हो गया है।
कर्तम भुगतम
सोहम पी शाह ने किया है फिल्म का निर्देशन
‘काल’ जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके सोहम पी शाह ने ‘कर्तम भुगतम’ का निर्देशन किया है। फिल्म की कहानी भी उन्होंने लिखी है। मधु और अक्षा परदासनी जैसे सितारे भी इस फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में हैं।
‘कर्तम भुगतम’ को आप हिंदी के साथ तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम भाषाओं में देख सकते हैं।
‘कर्तम भुगतम’ के जरिए श्रेयस ने एक ऐसी दुनिया की झलक पेश की है, जहां वह (मानव) मनोविज्ञान ज्योतिष के रहस्यों से टकराता है।
फिल्म समीक्षा:1
‘कर्तम भुगतम’ नहीं, ‘देखम झेलम भुगतम’10:38 am May 18, 2024 |
डॉ प्रकाश हिन्दुस्तानी
फिल्म समीक्षा: ‘कर्तम भुगतम’ नहीं, ‘देखम झेलम भुगतम’
अर्थशास्त्र का सिद्धांत है – बुरी मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है, वैसे ही बुरी फ़िल्में अच्छी फिल्मों को चलन से बाहर कर देती हैं। राजनीति में भी यही सिद्धांत चल रहा है। अजय देवगन और माधवन की शैतान का काला जादू, कंगना की चंद्रमुखी 2 के चर्चे खूब होते हैं। विद्या बालन की भूल भुलैया, तुम्बाड फिल्म का शापित गांव, नाग-नागिन किस्से आदि को दर्शकों का बड़ा वर्ग पसंद करता है। ऐसे में अंधविश्वासी और ढोंगी ज्योतिषी को एक्सपोज़ करती फिल्म को अच्छे प्रतिसाद की क्या उम्मीद?
सन्देश अच्छा है, लेकिन प्रस्तुति अझेलनीय ! इस फिल्म का नाम ‘कर्तम भुगतम’ नहीं, ‘देखम झेलम भुगतम’ होना चाहिए था। कहते हैं कि फिल्म छोटे बजट की है, लेकिन पांच भाषाओं में बनी है और इसे साइकोलॉजिकल थ्रिलर का नाम दिया गया है। फिल्म की कहानी ज्योतिष के अंधविश्वास के खिलाफ है, लेकिन दुनिया में करोड़ों लोग राशि, वास्तु, कुंडली, टैरो, पत्रिका, अंक विज्ञान, जन्म कुंडली, ग्रह, नक्षत्र, रत्न और टोने-टोटके को मानते हैं। यह कारोबार कोरोना के बाद और ज्यादा फल-फूल रहा है। अंधविश्वास को फैलाने के लिए हत्या के षड्यंत्र तक किये जाते हैं। इस फिल्म में टर्न और ट्विस्ट हैं, शुरू में अन्धविश्वास फ़ैलाने वाली घटनाएं हैं और अंत में पता चलता है कि अरे यह फिल्म तो फर्जी ज्योतिषियों और पाखंडियों के खिलाफ है!
ज्योतिष को विज्ञान मानने वाले भी करोड़ों लोग हैं। लगभग हर धर्म में ‘जैसा करोगे, वैसा भुगतोगे’ का सन्देश है। पाखंडी ज्योतिषियों का धंधा किस तरह धोखेबाजी में बदल जाता है, इसके कई नमूने देश में हैं। निर्देशक सोहम शाह पहले ‘काल’ और ‘लक’ जैसी फ़िल्में बना चुके हैं। मध्य प्रदेश में आजकल तरह-तरह के ज्योतिषी, बाबा और टोने टोटके करने वालों की संख्या बढ़ गई है शायद इसीलिए इस फिल्म की कहानी भी भोपाल के एक युवा की है, जो न्यूज़ी लैंड में रहते हुए कोरोना में अपने पिता को खो चुका है और भोपाल में अपनी पैतृक प्रॉपर्टी बेचकर वापस विदेश में बस जाना चाहता है। उसके यहां आते ही पाखंडी ज्योतिषी का खेल शुरू होता है। लेकिन हीरो की 6 साल पुरानी गर्लफ्रेंड विदेश से आकर हीरो को बचा लेती है। ढोंगी बाबा का राजफाश होता है।
हिन्दी दर्शकों ने हाल ही अजय देवगन और माधवन की शैतान में ऊलजलूल काला जादू देखा। फिल्म चली भी। यह फिल्म अन्धविश्वास के खिलाफ है और इसे दर्शक नहीं मिल रहे हैं। फिल्म का एक मजेदार संदेश यह भी है कि ज्यादातर कर्मकांडी और टोने-टोटके करने वाले लोग अपने एजेंटों के जरिए धंधे को बढ़ाते हैं। ग्राहक को फंसाने के लिए जाल बिछाया जाता है। कर्मकांड किए जाते हैं। ये लोग पूजा पद्धतियों और उपवासों का भी सहारा लेते हैं ताकि आम आदमी का विश्वास जीत सकें।
भारत में बड़े-बड़े नेता, अभिनेता और उद्योगपति ज्योतिषियों को मानते हैं। प्रधानमंत्री लोकसभा चुनाव के नॉमिनेशन के वक्त ज्योतिषी को साथ ले जाते हैं और उसके बताये समय पर नामांकन भरते हैं। बड़े बड़े सितारे नाम की स्पेलिंग बदल लेते हैं। वार के हिसाब से कई लोग कपड़ों का रंग तय करते हैं। यह फिल्म हिंदी के अलावा तमिल, तेलगु, कन्नड़ और मलयालम में भी रिलीज हुई है। इसलिए इसके एक प्रमुख पात्र को अन्ना नाम दिया गया है।
श्रेयस तलपड़े, विजय राज, मधु, अक्षा परदासनी और गौरव डागर की मुख्य भूमिका है। फिल्म में भोपाल की खूबसूरती लुभाती है। कहानी रोमांचक है। एक्टिंग भी अच्छी है और निर्देशन सामान्य है। फिल्म का पार्श्व संगीत कानफोड़ू है। दर्शक फिल्म से राब्ता नहीं बना पाता।
प्रस्तुतिकरण के कारण फिल्म अझेलनीय है।
मूवी रिव्यू:2
कर्तम भुगतम
श्रेयस तलपड़े,विजय राज,मधू,अक्षा परदासनी,गौरव डागर
Hindi, Psychological, Thriller
2 Hrs 33 Min
क्रिटिक रेटिंग
2.0/5
पाठको की रेटिंग
NA
‘जैसी करनी वैसी भरनी’, ‘जो बोओगे वही काटोगे’, यह और ऐसी कई कहावतें भारतीय जनमानस में हमेशा से मशहूर रही हैं। इसी को आधार बनाकर राइटर-डायरेक्टर सोहम पी शाह लेकर आए हैं अपनी नई फिल्म ‘कर्तम भुगतम’। फिल्म का सार यही है कि जो करोगे, वो भुगतोगे। लेकिन कहानी ज्योतिष के काले धंधे से शुरू होकर मद्धिम गति से चलते-चलते धोखेबाजी और बदले के ट्रैक पर रास्ता भटक जाती है। हालांकि, फिल्म ढोंगी-पाखंडी ज्योतिषियों के चंगुल से बचने और अंधविश्वास में न फंसने का संदेश जरूर देती है।
‘कर्तम भुगतम’ की कहानी
कर्म-फल और भाग्य जैसे विषयों से खासे प्रभावित सोहम इससे पहले ‘काल’ और ‘लक’ जैसी फिल्में बना चुके हैं। अब 15 साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी के लिए भी उन्होंने ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष, कर्म जैसा विषय ही चुना है। फिल्म की कहानी न्यूजीलैंड से अपने घर मध्य प्रदेश लौटे देव जोशी (श्रेयस तलपड़े) की है। देव को अपने पिता के निधन के बाद पुश्तैनी प्रॉपर्टी बेचकर सारी जमा-पूंजी लेकर दस दिन में वापस लौटना है, लेकिन एक ज्योतिषी अन्ना (विजय राज) कहता है कि वह वापस नहीं जा जाएगा। यह बात देव के दिमाग में घूमती रहती है और जब जमीन से लेकर बैंक तक में उसका सारा काम अटक जाता है, तो वह उम्मीद की किरण लिए अन्ना की शरण में ही जाता है। अन्ना के बताए कर्मकांड देव को किस ओर ले जाते हैं, यह फिल्म देखकर पता चलेगा।
यहां देखें, ‘कर्तम भुगतम’ का ट्रेलर
‘कर्तम भुगतम’ मूवी रिव्यू
देखा जाए तो फिल्म का प्लॉट रोचक है, लेकिन सोहम इस आइडिया को एक मजबूत स्क्रीनप्ले में तब्दील नहीं कर पाए हैं। शुरुआत में जिस रहस्यमयी ढंग से विजय राज के किरदार से दर्शक रूबरू होते हैं, उससे उम्मीद जगती है, लेकिन फिर दोहराव भरा स्क्रीनप्ले एक हद के बाद उबाऊ हो जाता है। फिल्म में अन्ना बार-बार देव से कहता है कि थोड़ा धैर्य, मगर इस धैर्य की असल परीक्षा दर्शकों की होती है।
अन्ना की पत्नी सीमा (मधू) का बार-बार पानी पी लो, चाय पी लो का राग, देव की पार्टनर जिया (अक्षा परदासनी) का विडियो कॉल काफी रेपटेटिव हो गया है। उस पर फिल्म का कमजोर प्रॉडक्शन वैल्यू मजा किरकिरा करता है। इस साइकोलॉजिकल-थ्रिलर का पहला रोमांचक सीन इंटरवल के ठीक पहले आता है। कहानी सेकंड हाफ में रफ्तार पकड़ती है, लेकिन जल्द ही फिर प्रभाव खो देती है।
फिल्म में कई सवाल भी अनसुलझे रह जाते हैं। एक्टिंग की बात करें तो विजय राज प्रभावित करते हैं। उनका अंदाज, डायलॉग डिलीवरी सस्पेंस बनाए रखने का काम करती है। श्रेयस तलपड़े ने अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाई है। मधू और अक्षा ने भी अच्छी अदाकारी की है। मधू का ट्रांसफॉर्मेशन बढ़िया है। अमर मोहिले का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है लेकिन म्यूजिक, एडिटिंग, प्रॉडक्शन डिजाइन जैसे तकनीकी पहलू औसत साबित होते हैं।
क्यों देखें- ढोंगी ज्योतिषियों में रुचि है और उनके चंगुल में ना फंसने के अच्छे संदेश पर बनी फिल्म देखना चाहते हैं तो ‘कर्तम भुगतम’ एक बार देखी जा सकती है। हालांकि दर्शक ज्योतिषियों की पोल खोलते- खोलते मस्जिद -मजार के महिमा मंडन से बिदकेंगें।
उपमा सिंह