रोहिंग्याओं की वापसी की तैयारी लेकिन सवाल ये कि यहां पहुंचे ही क्यों,जांच जरूरी ?

जम्मू में रोहिंग्याओं के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई:स्थानीय लोग कहते हैं- सभी रोहिंग्या अपराधी नहीं, लेकिन वे विदेश से आ यहां कैसे बस गए? इसकी जांच होनी ही चाहिए
जम्मू कश्मीर प्रशासन फिलहाल डेढ़ सौ से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों को डिटेंशन सेंटर भेज चुका है।
जम्मू में म्यांमार से आने वाले 6000 रोहिंग्याओं को वापस भेजने की प्रक्रिया की शुरुआत
पहले ही दिन 155 रोहिंग्याओं को हिरासत में लेकर हीरानगर जेल के होल्डिंग सेंटर भेजा गया

जम्मू 09 मार्च। जम्मू-कश्मीर में पिछले करीब दो दशकों से म्यांमार से आकर अवैध रूप से रह रहे हजारों रोहिंग्याओं के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई शुरू की है। पिछले दो दिनों से रोहिंग्याओं के खिलाफ यह कार्रवाई जारी है। जम्मू में पहले फेज में हुई कार्रवाई में 155 रोहिंग्याओं को हिरासत में ले हीरानगर जेल में बने सेंटर में भेजा गया है। इसके बाद पूरी जांच कर गृह और विदेश मंत्रालय की सहमति लेकर इन्हें वापस भेजा जाएगा। प्रशासन के मुताबिक,अभी तक करीब 6000 रोहिंग्याओं की पहचान की गई है। सिलसिलेवार तरीके से इन्हें हिरासत में लेकर वापस भेजा जाएगा। BJP ने जम्मू-कश्मीर से रोहिंग्या नागरिकों को वापस भेजने को चुनावी मुद्दा भी बनाया था। बंगाल और असम में चुनाव के दौरान यह कार्रवाई हो रही है,वहां रोहिंग्या बड़ा मुद्दा हैं। इसलिए कार्रवाई की टाइमिंग को इन राज्यों के चुनाव से भी जोड़ा जा रहा है।

सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में कुल 13600 विदेशी नागरिक अवैध रूप से रह रहे हैं जिनमें सबसे ज्यादा संख्या रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों की है। जम्मू में भी इनकी बड़ी संख्या है। जम्मू के बेली चराना और सांबा में भी इनकी बड़ी संख्या है। कई बार रोहिंग्याओं का नाम ड्रग रैकेट जैसे अपराधों में सामने आया था। जम्मू के सुंजवां मिलिट्री स्टेशन पर हुए आतंकी हमले में भी इनकी भूमिका सामने आई थी।

जम्मू के स्थानीय निवासी रोहिंग्याओं की पहचान और उन्हें हिरासत में लेकर वापस भेजने की प्रक्रिया से खुश नजर आते हैं। पेशे से डॉक्टर और जम्मू-कश्मीर BJP के प्रवक्ता डॉक्टर ताहिर चौधरी बठिंडी इलाके के रहने वाले हैं। वे कहते हैं कि ‘मैं इस प्रक्रिया का स्वागत करता हूं। ऐसा,इसलिए नहीं क्योंकि मैं BJP से हूं। कोई भी स्थानीय नागरिक इस बात से सहमत नहीं होगा कि कोई विदेशी गलत तरीके से हमारे इलाके में रहे।’

प्रशासन के मुताबिक, अभी तक करीब 6000 रोहिंग्याओं की पहचान की गई है। इन्हें गाड़ियों में बैठकर हीरानगर भेजा जा रहा है।
समाजसेवी उपदेश अंडोत्रा कहती हैं कि ‘जम्मू के सांबा और कठुआ में काफी संख्या में रोहिंग्या और बांग्लादेशी रह रहे हैं। जम्मू में इनकी पहचान करने और इन्हें हिरासत में लेने की कार्रवाई का स्वागत है। देश के कई हिस्सों से लोग आकर जम्मू-कश्मीर में बिजनेस करते हैं,लेकिन अवैध तरीके से रह रहे लोगों को तो बाहर करना ही होगा।’

जम्मू के बठिंडी में रोहिंग्याओं की सबसे ज्यादा संख्या बताई जाती है। यहां के रहने वाले राजेश कुमार रोहिंग्याओं की पहचान कर हिरासत में लेने को अच्छा कदम बताते हैं। वे कहते हैं,’मैं बठिंडी का ही रहने वाला हूं। मैंने देखा है कि ड्रग ट्रैफिकिंग,थेफ्ट और इस तरह के अपराधों में ये लोग शामिल रहते हैं।’

सुंजवां के रहने वाले राजिंदर सिंह और अकरम चौधरी का कहना है,’सभी रोहिंग्या अपराधी हैं ऐसा नहीं है। कई सारे यहां मजदूरी कर रहे थे,लेकिन सवाल यह है कि आखिर विदेश से आकर लोग यहां कैसे बस गए? इन्हें कौन लाया, इसकी जांच तो होनी ही चाहिए।’

कब और कैसे जम्मू में बस गए रोहिंग्या

जम्मू में पहले फेज में हुई कार्रवाई में 155 रोहिंग्याओं को हिरासत में लेकर हीरानगर जेल में बने सेंटर में भेजा गया है।
जम्मू में पहले फेज में हुई कार्रवाई में 155 रोहिंग्याओं को हिरासत में लेकर हीरानगर जेल में बने सेंटर में भेजा गया है।
जम्मू-कश्मीर में म्यांमार के रोहिंग्या करीब 20 साल पहले बसने शुरू हुए। 2002 में PDP-कांग्रेस की सरकार के समय में इनकी बसावट में तेजी आई। साल दर साल यह सिलसिला बढ़ता रहा। BJP ने 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 के जम्मू-कश्मीर चुनाव में इस मुद्दे को अपने घोषणा पत्र में जगह दी। 2017 में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं की शिनाख्त की प्रक्रिया शुरू करवाई। जम्मू-कश्मीर की PDP और BJP सरकार ने भी 2017-18 में रोहिंग्याओं का सर्वे करवाया था।

स्थानीय आबादी में मिल गए रोहिंग्याओं को खोजना बड़ी चुनौती

अब सरकार ने रोहिंग्या नागरिकों की पहचान करके इन्हें अस्थायी रूप से बनाए गए सेंटरों में भेजने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन सभी रोहिंग्याओं की पहचान अभी प्रशासन के लिए चुनौती है। सरकार के पास जम्मू के 6 हजार रोहिंग्याओं का ही रिकॉर्ड है। दूसरी ओर एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे राज्य में इनकी संख्या 13000 से अधिक हो सकती है। इसकी वजह यह बताई जाती है कि कुछ रोहिंग्याओं ने भारत के पहचान पत्र बनवा लिए हैं। इसके अलावा चिन्हित किए गए लोगों में ज्यादातर जम्मू के शहरी इलाकों के हैं। जबकि बहुत सारी रोहिंग्या आबादी आसपास के जिलों में जा चुकी है। जहां इनकी पहचान मुश्किल है।

जम्मू में रह रहे रोहिंग्या मुसलमान एकाएक क्यों आए पुलिस के निशाने पर- ग्राउंड रिपोर्ट

जम्मू में भथिंडी के किरयानी तालाब मोहल्ले में शनिवार देर शाम से तनाव का माहौल था. इसकी बड़ी वजह थी कि 155 रोहिंग्या शहर के मौलाना आज़ाद स्टेडियम से घर नहीं लौटे थे. ये लोग पुलिस के बुलावे पर अपने काग़ज़ों की जाँच कराने दिन में ही वहाँ गए थे.
लेकिन दिनभर चली जाँच बाद जम्मू कश्मीर पुलिस ने कुछ लोगों को तो घर जाने की इजाज़त दे दी,लेकिन वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में जमा हुए रोहिंग्या को जम्मू कश्मीर पुलिस ने कड़े सुरक्षा इंतज़ाम के बीच कठुआ ज़िले की उप-जेल हीरानगर के ‘होल्डिंग सेंटर’ में भेज दिया.


फ़ाइल फ़ोटोः जम्मू के नरवल बारा इलाके में महिलाएँ और बच्चे

देर शाम जम्मू कश्मीर पुलिस के इंस्पेक्टर जनरल रैंक अधिकारी मुकेश सिंह ने एक बयान जारी कर इस बात की जानकारी साझा की थी कि जम्मू में अवैध रूप से रह रहे जिन आप्रवासियों के पास पासपोर्ट अधिनियम की धारा (3) के मुताबिक़,वैध यात्रा दस्तावेज़ नहीं थे,उन्हें हीरानगर के ‘होल्डिंग सेंटर’ भेजा गया है.

जम्मू कश्मीर के गृह विभाग की फरवरी 2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़,6523 रोहिंग्या पाँच ज़िलों में 39 कैंप्स में रहते हैं.
पुलिस ने रोहिंग्या के ख़िलाफ़ यह कार्रवाई ऐसे समय की है, जब उनमें से कुछ के पास से फ़र्जी दस्तावेज़,जिनमें आधार कार्ड और पासपोर्ट शामिल हैं,बरामद हुए थे.

रिश्तेदारों के इंतज़ार में रात गुज़ार दी

अपने रिश्तेदारों के इंतज़ार में बहुत से परिवारों ने बिना कुछ खाए-पिए जाग कर रात गुज़ार दी.
रविवार सुबह होते ही पुलिस की सख़्त कार्रवाई से बचने के लिए बड़ी संख्या में रोहिंग्या अपने परिवार के सदस्यों के साथ घर का सामान लेकर सड़क पर उतर आए और वापस जाने में आनाकानी करने लगे.
कहाँ जाना है,किस के पास जाना है,किसी को कुछ नहीं पता था.सब बस चले जा रहे थे.काले रंग के बुर्के पहने महिलाएँ छोटे बच्चों को गोद में लेकर चल रही थी और उनके रिश्तेदार घर का सामान लेकर उनके पीछे-पीछे आ रहे थे.
उबड़-खाबड़ रास्ते से होते हुए जब ये लोग भथिंडी में ‘मक्का मस्जिद’ के पास पहुँचे,तो बड़ी संख्या में तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें समझाकर वापस भेजने की कोशिश की, लेकिन रोहिंग्या नहीं माने.

‘कुछ पता नहीं’

रास्ते में चलते-चलते एक रोहिंग्या महिला, जिनकी गोद में छह महीने का बच्चा था, उन्होंने कहा, “कहाँ ले जाएँगे, कहाँ नहीं ले जाएँगे,अभी हम भी चिंता कर रहे हैं.छोटा बच्चा है.अभी छह महीने का भी नहीं है.अभी दूध कैसे पिलाऊँगी रास्ते में? बोतल कहाँ से मिलेगी,गर्म पानी कहाँ से मिलेगा.हमारे पास पैसे भी नहीं हैं.कहाँ ले जा रहे हमको नहीं पता.”
यह महिला अपने परिवार के साथ,जिसमें तीन बच्चे हैं,नौ साल से जम्मू में रह रही थी.उनका कहना था उनकी समझ में नहीं आ रहा कि पुलिस उन्हें क्यों तंग कर रही है,जब उन्होंने कुछ नहीं किया.
चलते-चलते रोहिंग्या भथिंडी की गलियों में जमा हो गए. किसी ने अपने बच्चों को घर का बना खाना खिलाया,तो कोई बिस्किट का पैकेट ले कर आया और बच्चों के हाथों में थमा दिया.
इस बीच किरयानी तालाब इलाक़े में दिन भर दुकानें बंद रहीं और रोहिंग्या बस्ती में सन्नाटा पसरा रहा.
सरकार की ओर से भी इलाक़े में सुरक्षाबलों की तैनाती बड़े पैमाने पर की गई थी.
वहाँ मौजूद हर एक आदमी के चेहरे पर उदासी साफ़ नज़र आ रही थी. छोटे छोटे झुंड बना कर वो लोग आपस में अपने भविष्य कि चिंता करते नज़र आए.
वहाँ मौजूद एक वृद्ध रोहिंग्या दीन मोहम्मद ने बताया,”मैं अपना सामान लेकर अपने बच्चों के साथ कहीं भी जाने को तैयार हूँ.हम जहाँ भी जाएँगे,एक साथ जाएँगे.चाहे जेल हो ,पानी हो या पहाड़.अपने बच्चों के साथ ही रहेंगे.उन्हें अकेला नहीं छोड़ेंगे.”

जिस किसी से भी बात हुई, उनमें से कोई अपने सगे रिश्तेदार से नहीं मिल पाने के ग़म में परेशान था, तो कोई आने वाले कल को लेकर.

मोहम्मद हारुन ने कहा,”हमें समझ नहीं आ रहा हम यहाँ से कहाँ जाएँगे.इतना लंबा समय बीत गया जम्मू में,कभी किसी ने यहाँ तंग नहीं किया.न जाने अब क्यों अचानक पुलिस वाले जाँच के नाम पर हमें तंग कर रहे हैं.”
हारुन कहते हैं,”जब तक हमारे देश में शांति बहाल नहीं हो जाती,हम वापस नहीं जा सकते.अगर हिंदुस्तान की सरकार को कोई परेशानी है,तो हमें किसी दूसरे देश के हवाले कर देना चाहिए,हम वहाँ चले जाएँगे.अगर हिंदुस्तान की सरकार ऐसा करती है,तो हम पर बहुत बड़ा एहसान होगा.आख़िर हम कब तक ज़ुल्म सहेंगे.”

परेशानी

जम्मू में लंबे समय से रह रहे रोहिंग्या कारोबारी मोहम्मद रफ़ीक़ी परेशानी की हालत में वहाँ घूम रहे थे.
उन्होंने कहा,”हम सबने हिंदुस्तान में पनाह ली थी.सब के पास UNHRC का कार्ड है.हम हिंदुस्तान सरकार का धन्यवाद करते हैं.हम अपने देश जाने के लिए तैयार हैं,लेकिन हमे थोड़ा वक्त मिलना चाहिए ताकि हम अपने आप को संभाल सकें और अपने परिवार की सुरक्षा कर सकें.”

पुलिस कार्रवाई का हवाला देते हुए मोहम्मद ज़ुबैर ने कहा,”किसी एक आदमी की ग़लती की वजह से सबको सज़ा नहीं मिलनी चाहिए.हमारी तो ऐसी कोई ग़लती नहीं है.हो सकता है बीच में एक दो आदमी ने ग़लती की हो, लेकिन उनकेे कारण सबको तक़लीफ़ नहीं दी जानी चाहिए.”

13 साल से जम्मू में रह रहे मोहम्मद यूनुस ने पुलिस कार्रवाई पर सवाल करते हुए कहा,”मैं पूछना चाहता हूँ मेरा कसूर क्या है.अपने मुल्क़ में मैंने अपने माता पिता को खोया. उसके बाद अपनी जान बचाकर हम हिंदुस्तान आए.यहाँ भी हम पर ज़ुल्म हो रहा है.”

मोहम्मद यूनुस ने कहा,”हमारी ग़लती बस इतनी है कि हम मुस्लिम है.अब हम यहाँ नहीं रहना चाहते.हम 2008 में हिंदुस्तान आए थे,तब क्यों नहीं पकड़ा हमें.आज क्यों पकड़ रहे हैं.हम अपने देश वापस जाना चाहते हैं.”
हालाँकि देर शाम पुलिस अधिकारियों ने रोहिंग्या परिवारों को कुछ दिनों की मोहलत देते हुआ है कहा कि वो जल्दी से जल्दी अपना हिसाब किताब कर लें,ताकि किसी का पैसा बकाया न रह जाए

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