संघ अपराधी नहीं, पीड़ित,सुको ने पूरे तमिलनाडु में रूट मार्च को दी हरी झंड़ी

Tamil Nadu Chennai Rss Members Victims Not Perpetrators Supreme Court Junks Dmk Government Plea Against Rss March Across Tamil Nadu

RSS: आरएसएस सदस्य षड्यंत्रकारी  नहीं, पीड़ित हैं… किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने की यह महत्वपूर्ण टिप्पणी?
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को तमिलनाडु में मार्च निकालने की अनुमति दी थी। तमिलनाडु सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

हाइलाइट्स
1-सुप्रीम कोर्ट से तम‍िलनाडु सरकार को लगा झटका
2-SC ने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा
3-HC ने RSS को तमिलनाडु में मार्च की इजाजत दी थी

नई दिल्ली\चेन्‍नै12 अप्रैल: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली तमिलनाडु सरकार की याचिका खारिज कर दी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को पूरे तमिलनाडु में रूट मार्च करने की अनुमति दे दी। जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और पंकज मिथल की बेंच ने कहा कि तम‍िलनाडु सरकार सरकार की ओर से प्रदान किए गए चार्ट से पता चलता है कि प्रतिवादी संगठन (आरएसएस) के सदस्य उन कई मामलों में पीड़ित हैं और वे अपराधी नहीं हैं। इसलिए, विद्वान न्यायाधीश की ओर से पारित आदेश में या मुख्य रिट याचिकाओं में या समीक्षा आवेदनों में गलती निकालना हमारे लिए संभव नहीं है।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने कहा था कि वह प्रस्तावित मार्च के खिलाफ नहीं है, लेकिन हर गली और नुक्कड़ में इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के सामने राज्य सरकार की ओर से उठाई गई आपत्ति यह थी कि दूसरे संगठन (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने के आदेश के बाद सिलिंडर विस्फोट सहित कुछ स्थानों पर कानून और व्यवस्था की समस्याएं सामने आईं।

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तम‍िलनाडु सरकार ने द‍िया तर्क

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा क‍ि उन मामलों का ब्‍यौरा पेश किया गया है। लेकिन हम इस आदेश में इसकी संवेदनशीलता को देखते हुए इसमें कोई कमी निकालना नहीं चाहते। सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत के सामने कहा कि हम राज्य भर में रूट मार्च और जनसभाओं का पूरी तरह से विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन यह हर गली, हर मोहल्ले में नहीं हो सकता।

‘कानून व्यवस्था की चिंताओं से मुंह मोड़ नहीं सकती सरकार’
रोहतगी ने तर्क दिया कि आरएसएस मार्च आयोजित करने में पूरी आजादी की मांग नहीं कर सकता और कहा कि हाईकोर्ट ने सहमति व्यक्त की थी कि राज्य में सुरक्षा की स्थिति पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार कानून और व्यवस्था की चिंताओं से मुंह माड़ नहीं सकती और अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती।

 

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‘कानून और व्यवस्था की चिंताओं से मुंह माड़ नहीं सकती’
आरएसएस का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि राज्य सरकार एक प्रतिबंधित संगठन के संबंध में आशंकाओं का हवाला देकर किसी संगठन को शांतिपूर्ण मार्च निकालने से नहीं रोक सकती। उन्होंने कहा कि वे (राज्य) वहां एक आतंकवादी संगठन को कंट्रोल करने में असमर्थ हैं और इसलिए वे मार्च पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं और पीएफआई के प्रतिबंध के बाद कोई घटना नहीं हुई है। उन्होंने कहा क‍ि अगर मुझ पर एक आतंकवादी संगठन की ओर से हमला किया जा रहा है, तो राज्य को मेरी रक्षा करनी होगी .. लेकिन D।

अपनी ज‍िम्‍मेदारी छोड़ नहीं सकती सरकार

उन्होंने कहा कि दलित पैंथर्स और सत्तारूढ़ द्रमुक की ओर से मार्च निकाले जाने की भूम‍िका में आरएसएस को अलग नहीं किया जा सकता और राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियों का त्याग नहीं कर सकती। राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि वह मार्च पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए दबाव नहीं डाल रही थी, बल्कि केवल कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में प्रतिभागियों को सुरक्षा के मुद्दे को उजागर कर रही थी, जहां प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की मौजूदगी है और पूर्व में हुए बम विस्फोट को देखा है।

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