दुखद:किसान आंदोलन में अब आत्महत्या

आंदोलन में अब खुदकुशी:संत राम सिंह ने किसान आंदोलन के समर्थन में खुदकुशी की, सुसाइड नोट में लिखा- यह जुल्म के खिलाफ आवाज
पानीपत 16 दिसंबर। किसान आंदोलन के दौरान एक चौंका देने वाली खबर आई है। कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में 65 वर्षीय संत बाबा राम सिंह ने खुदकुशी कर ली है। वे करनाल के सिंघरा गांव के रहने वाले थे। सिंघरा के ही गुरुद्वारा साहिब नानकसर के ग्रंथी थे। उनके अनुयाइयों की संख्या लाखों में बताई जा रही है।


संत राम सिंह ने पंजाबी भाषा में यह सुसाइड नोट छोड़ा है।

संत राम सिंह ने गोली मारकर आत्महत्या की है और उन्होंने पंजाबी भाषा में एक सुसाइड नोट छोड़ा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि यह जुल्म के खिलाफ एक आवाज है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने खुदकुशी पर दुख जाहिर करते हुए सभी से संयम और शांति बनाए रखने की अपील जारी की है और कहा है कि कुछ लोग इस मौके पर शरारत की कोशिश कर सकते हैं, उनसे सावधान रहें।

कोंडली बॉर्डर पर प्रदर्शन के दौरान सुसाइड किया

संत राम सिंह ने कोंडली बॉर्डर पर खुदकुशी की। उन्हें लोग पानीपत के पॉर्क अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनका शव करनाल ले जाया गया है। राम सिंह बुधवार को साथी किसानों के साथ कार से कोंडली बॉर्डर पहुंचे थे।

उनके साथी गुरमीत ने बताया राम सिंह ने सभी से कहा कि तुम स्टेज पर जाकर अरदास करो। गुरमीत ने कहा- मैं अरदास करने मंच पर गया और कार का चालक चाय पीने के लिए चला गया। इसी दौरान उन्होंने खुद को गोली मार ली।

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सुइसाइड नोट का हिंदी अनुवाद

किसानों का दुख देखा है अपने हक के लिए

सड़कों पर उन्हें देखकर मुझे दुख हुआ है
सरकार इन्हें न्याय नहीं दे रही है
जो कि जुल्म है
जो जुल्म करता है वह पापी है
जुल्म सहना भी पाप है
किसी ने किसानों के हक के लिए तो किसी ने जुल्म के खिलाफ कुछ किया है
किसी ने पुरस्कार वापस करके अपना गुस्सा जताया है
किसानों के हक के लिए, सरकारी जुल्म के गुस्से के बीच सेवादार आत्मदाह करता है
यह जुल्म के खिलाफ आवाज है
यह किसानों के हक के लिए आवाज है
वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह

मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से गई थी किसान की जान
इससे पहले, कुंडली बॉर्डर पर केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन में मंगलवार को एक किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। पंजाब के मोगा जिले के गांव भिंडर कलां के निवासी मक्खन (42 वर्ष) अपने साथी बलकार व अन्य के साथ तीन दिन पहले कुंडली बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने आए थे।
किसान नेताओं का कहना है कि लगभग हर रोज एक किसान की मौत हो रही है। कोरोना काल में कड़ाके की ठंड में खुले में इस तरह का प्रदर्शन काफी चुनौतीपूर्ण है। हालांकि किसानों के हौसले बुलंद हैं। उन्होंने कहा है कि वे 6 महीने तक टिकने की तैयारी के साथ आए हैं। आंदोलन में शामिल अब तक 11 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है।

आपको बता दें कि नए कृषि कानूनों के विरोध में पिछले करीब तीन हफ्तों से दिल्ली के बॉर्डर पर दिल्ली, हरियाणा से आए किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। कई दौर की वार्ता भी हुई पर सरकार और किसान नेताओं के बीच कोई आम सहमति नहीं बन पाई। किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
क्या इस वजह से संत बाबा राम सिंह ने खुद को मार ली गोली? शिष्य बोले- यह शहादत है

संत बाबा राम सिंह ने बुधवार को खुद को गोली मार ली। उनके एक शिष्य ने बताया कि संत बाबा राम सिंह का करनाल के सिविल हॉस्पिटल में पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है। इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को सिंगड़ा ले जाया जाएगा।

हाइलाइट्स:
किसान आंदोलन से दुखी थे संत बाबा राम सिंह, शिष्य गुलाब सिंह बोले- यह शहादत है
बाबा बुड्ढा साहेब जी प्रचारक सभा करनाल के सेक्रटरी हैं गुलाब सिंह, 1996 से संत राम सिंह से नाता
गुलाब सिंह ने कहा, सिविल अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के बाद सिगड़ा ले जाया जाएगा पार्थिव शरीर
नए कृषि कानूनों (New Farm Law) के खिलाफ किसानों के आंदोलन के बीच संत बाबा राम सिंह ने बुधवार को खुद को गोली मार ली। इसके बाद उन्हें आनन-फानन अस्पताल ले जाया गया, जहां उनको मृत घोषित कर दिया गया। बाबा बुड्ढा साहेब जी प्रचारक सभा करनाल के सेक्रटरी गुलाब सिंह कहते हैं कि मैं वर्ष 1996 से उनका शिष्य हूं। बाबा जी का जन्म जगरांव पंजाब में हुआ था। वह छह बहनों में इकलौते भाई थे। मैंने उनसे कीर्तन प्राप्त किया था। गुलाब सिंह ने बताया कि सिविल अस्पताल में संत बाबा राम सिंह के पार्थिव शरीर का पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है ताकि आगे की तमाम आशंकाओं पर लगाम लगाई जा सके।
रागी गुलाब सिंह कहते हैं, ‘जब यह घटना हुई उस वक्त भाई मंजीत सिंह उनके नजदीक ही थे। वह बाबा राम सिंह के हुजूरी सेवक हैं। वह हर वक्त बाबा जी के साथ ही रहते हैं।’ गुलाब सिंह ने कहा, ‘8 और 9 दिसंबर को बाबाजी ने करनाल में अरदास समागम रखा, जिसमें कई जत्थे आए थे। बाबाजी ने अरदास की कि किसान आंदोलन में जो भी किसान शामिल हैं, वे सुखशांति से अपने घर पहुंचें। 9 दिसंबर को बाबाजी किसान आंदोलन में 5 लाख रुपये देकर आए थे। इसके बाद बाबाजी वहां पर गर्म कंबल देकर भी आए। वह हर रोज अपने जत्थे समेत पहुंच रहे थे। हर दिन वह डायरी लिखते थे। वह कहते कि मुझसे यह दुख नहीं देखा जा रहा।’ एनबीटी ऑनलाइन के साथ गुलाब सिंह ने संत बाबा राम सिंह के साथ एक तस्वीर भी साझा की है। वह कहते हैं, ‘यह तस्वीर 6 दिसंबर की है। हम उन्हें समागम के लिए आमंत्रित करने गए थे।’
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‘बाबा ने अपनी शहादत दी है’
गुलाब सिंह ने बताया, ‘बाबा राम सिंह फिर से पहुंचे थे। यहां उन्होंने अपने सेवादारों से कहा कि आप स्टेज पर जाओ। इस दौरान सभी वहां से चले गए। बाबा राम सिंह गाड़ी में बैठे हुए थे। फिर उन्होंने एक नोट लिखा। इसमें उन्होंने लिखा कि किसान आंदोलन से दुखी होकर कई भाइयों ने अपनी नौकरी छोड़ी, अपना सम्मान वापस किया। ऐसे में मैं अपना शरीर समर्पित कर रहा हूं। पिस्टल गाड़ी में पड़ा हुआ था। वही लेकर उन्होंने खुद को शहीद कर लिया। किसान आंदोलन में उन्होंने अपनी शहादत दी है।’ गुलाब सिंह कहते हैं कि पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार नानक सर सिंगड़ा, करनाल हरियाणा में होगा। गुलाब सिंह ने कहा, ‘हम सभी से इसी बात की अपील करते हैं कि वे शांति बनाकर रखें। ज्यादा से ज्यादा सिमरन करें।’

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