चार जनों की निजी कंपनी है संयुक्त किसान मोर्चा, फंडिंग राजनीतिक दलों से

‘4 लोगों की निजी कंपनी बन गई संयुक्त किसान मोर्चा, राजनीतिक दल कर रहे फंडिंग’: अपनों ने किसान आंदोलन की खोली पोल

किसान आंदोलन के नाम पर हो रही राजनीति
किसान आंदोलन का राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा इस्तेमाल

नई दिल्ली 20अगस्त।केेंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर लगातार प्रदर्शन कर रहे कथित किसानों की पोल खुलने लगी है। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के पीछे हो रही साजिश का पर्दाफाश करने के लिए दो किसान नेता आगे आए हैं। अखिल भारतीय स्वामीनाथन संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष विकाल पचर ने 40 किसान संघों की अंब्रेला संस्था संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) को 4 लोगों की निजी कंपनी बताया है और आरोप लगाया है कि इसे राजनीतिक दलों द्वारा फंडिंग की जा रही है।

पचर ने टाइम्स नाउ को बताया, “एसकेएम आज राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल, बलबीर राजेवाल की प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है।” उन्होंने आगे कहा कि उनका विरोध तीन कृषि कानूनों के खिलाफ था, लेकिन इन लोगों का ध्यान उत्तर प्रदेश और पंजाब में होने वाले चुनावों पर है।

‘योगेंद्र यादव किसान नहीं हैं’

राष्ट्रीय किसान मोर्चा के वीएम सिंह ने दावा किया कि कुछ लोग मामले को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार से बातचीत करने के बजाय विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने खुलासा किया कि योगेंद्र यादव किसानों के विरोध प्रदर्शनों का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए कर रहे हैं।

वीएम सिंह ने राकेश टिकैत की पोल खोलते हुए कहा, “राकेश टिकैत वही आदमी हैं, जो कानून आने से पहले ही कृषि कानूनों को लेकर खुश थे।”

पचर ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के कारण 2024 तक विरोध करना चाहता है। सिंह ने आरोप लगाया कि संयुक्त किसान मोर्चा केंद्र सरकार से तब तक बात नहीं करेगा, जब तक कि वे इन पार्टियों को चुनाव में जीत नहीं दिला देते हैं।

 

चर्चा के लिए हमारे दरवाजे हमेशा खुले: कृषि राज्यमंत्री
विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय कृषि

राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा, “किसानों के लिए हमारे दरवाजे हमेशा चर्चा खुले हैं, ताकि कृषि कानूनों के इस मुद्दे को हल किया जा सके।” मंत्री ने याद दिलाया कि राकेश टिकैत ने खुद ही कृषि कानूनों को पास करने पर पीएम मोदी को बधाई देते हुए कहा था कि 27 साल बाद महेंद्र टिकैत की आत्मा को शांति मिलेगी।

इस साल जनवरी में राकेश टिकैत ने किसानों के आंदोलन को वैचारिक आंदोलन करार देते हुए कहा था कि किसान मई 2024 तक केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए तैयार हैं। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसान संगठन 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

 

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