नुपुर पर टिप्पणीकर्ता जज पारदीवाला पहले भी कर चुके महाभियोग का सामना
महाभियोग प्रस्ताव के बाद फैसले से हटाई थी ‘अवांछित’ टिप्पणी, नूपुर शर्मा को फटकार से चर्चा में आए जस्टिस पारदीवाला को जानिए
सुप्रीम कोर्ट के जज जेबी पारदीवाला का जन्म 12 अगस्त 1965 को मुंबई में हुआ था। उनकी शुरुआत की पढ़ाई गुजरात से हुई। 2011 में वो गुजरात हाई कोर्ट के जज बने। जे.बी. पारदीवाला इसी साल मई के महीने में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर शपथ ली।
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट की ओर से नूपुर शर्मा पर की गई तल्ख टिप्पणी
नूपुर शर्मा पर सख्त टिप्पणी से चर्चा में जे.बी. पारदीवाला
कोविड के दौरान गुजरात सरकार को घेरा, टिप्पणी की हुई चर्चाक़्ट्स्स्न्र्स्र््र्स्र्र््ट्ट्स
नई दिल्ली 01 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की ओर से शुक्रवार नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) को कड़ी फटकार लगाई गई। सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि जिस तरह से देशभर में भावनाएं भड़की हैं और जो कुछ हो रहा है उसके पीछे नूपुर शर्मा का बयान जिम्मेदार है। शुक्रवार को नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि जिस तरह से उन्होंने टिप्पणी की और बाद में कहा कि वो एक वकील हैं ये सब शर्मनाक है। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) ने कहा कि उदयपुर की घटना (Udaipur Killing) के लिए भी नूपुर शर्मा का बयान ही जिम्मेदार है। जे.बी. पारदीवाला इसी साल मई के महीने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के तौर पर शपथ ली। जे.बी. पारदीवाला इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश थे। बतौर जज उनकी पहले भी कुछ टिप्पणियां ऐसी थी जिसकी काफी चर्चा हुई। कोविड काल के दौरान की गई टिप्पणी उनमें से एक है। वहीं आरक्षण को लेकर की गई एक टिप्पणी पर साल 2015 में 58 सदस्यों ने राज्यसभा के तत्कालीन सभापति और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से जस्टिस पारदीवाला के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की थी
महाभियोग और उसके बाद हटाई टिप्पणी
साल 2015 में 58 राज्यसभा सांसदों ने गुजरात हाई कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश जे.बी. पारदीवाला के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया था। यह प्रस्ताव उनकी ओर से आरक्षण पर दी गई टिप्पणी के खिलाफ था। सांसदों ने कहा था कि उन्होंने अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ अपशब्द कहे हैं। उन्होंने कहा था कि देश को आजाद हुए इतने साल हो गए हैं लेकिन आज भी विकास की बात नहीं की जाती है, हम आज भी आरक्षण की बात कर रहे हैं। तत्कालीन उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के पास महाभियोग का नोटिस जाने के बाद जज ने अपने जजमेंट से वह टिप्पणी हटा ली।
अस्पताल की हालत दयनीय और कालकोठरी जैसी
साल 2020 में कोरोना काल में गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस जे.बी. पारदीवाला की बेंच की ओर से टिप्पणी की गई कि अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत दयनीय और कालकोठरी जैसी है। गुजरात हाई कोर्ट ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल के कामकाज पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अस्पताल में कामकाज में समन्वय की कमी है, जहां अब तक कोविड-19 के करीब 400 मरीजों की मौत हो चुकी है। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आईजे वोरा की खंडपीठ ने कहा कि अस्पताल के प्रशासन और कामकाज पर नजर रखने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य मंत्री की है।
कई बीवियों के लिए कुरान का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं मुस्लिम
गुजरात हाई कोर्ट की ओर से कहा गया कि मुस्लिम पुरुषों ने एक से ज्यादा पत्नी रखने या बहुविवाह प्रथा को जिंदा रखने के लिए कुरान की गलत व्याख्या की है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा स्वार्थ की पूर्ति के लिए किया गया। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने आईपीसी के सेक्शन 494 के तहत एक से ज्यादा पत्नी रखने के मामले में यह टिप्पणी की थी। 2015 में अपनी याचिका में जफर ने दावा किया था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ मुस्लिम पुरुषों को चार शादी की अनुमति देता है। ऐसे में इस मामले में कानूनी निगरानी के लिए एफआईआर का कोई औचित्य नहीं है। अपने आदेश में पारदीवाला ने कहा कि एक से ज्यादा बीवी रखने के लिए मुस्लिम पुरुषों ने कुरान की गलत व्याख्या की है।
धर्म परिवर्तन के बाद भी पिता की पैतृक संपत्ति पर बेटी का हक
गुजरात हाई कोर्ट ने संपत्ति के उत्तराधिकार पर एक अहम फैसला दिया। गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला ने हिंदू अधिनियम का व्याख्यान करते हुए कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम धर्म परिवर्तन करने पर पैतृक संपत्ति के लिए अयोग्य होना नहीं बताती है। इस आदेश के साथ हाई कोर्ट ने राज्य के राजस्व विभाग को भी आदेश दिया है कि वह महिला के उस राजस्व रेकॉर्ड में परिवर्तन करें जिसमें उन्होंने यह सहमति दी थी कि कोई महिला मर्जी से उसका हिंदू धर्म छोड़कर दूसरा धर्म अपनाती है तो वह उसके हिंदू पिता की संपत्ति से अधिकार खो देगी।