सुको: राहुल की सजा स्थगित,सांसदी बची,अब आगे क्या?
राहुल गांधी की सजा पर रोक, सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरनेम मानहानि केस पर सुनवाई की बड़ी बातें
नई दिल्ली 04 अगस्त। सुप्रीम कोर्ट ने आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी। राहुल को ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में दो साल की सजा सुनाई गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को बड़ी राहत दी है। SC ने मानहानि मामले में राहुल को दो साल की सजा पर रोक लगा दी है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने आदेश में कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज को अपने फैसले में अधिकतम सजा सुनाने के कारण भी बताने चाहिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर राहुल को 1 साल 11 महीने की सजा होती तो उन्हें संसद से अयोग्य नहीं किया जाता। SC में राहुल गांधी की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिये।शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की तरफ से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क रखे। अदालत ने दोनों पक्षों को 15-15 मिनट का समय दिया। राहुल ने ‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में सजा पर निलंबन से गुजरात हाई कोर्ट के इनकार को चुनौती दी थी।
निचली अदालत ने सजा का कारण नहीं बताया
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत देते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के प्रभाव व्यापक हैं। इससे न केवल राहुल गांधी का सार्वजनिक जीवन में बने रहने का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन्हें चुनने वाले मतदाताओं का अधिकार भी प्रभावित हुआ। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया है, अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।
राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
ट्रायल कोर्ट के फैसले का व्यापक असर हुआ है। न सिर्फ राहुल गांधी के सार्वजनिक जीवन का अधिकार प्रभावित हुआ, बल्कि उन निर्वाचकों का भी जिन्होंने उन्हें चुना था। ट्रायल जज ने अधिकतम सजा सुनाने का कोई कारण नहीं दिया है। अंतिम निर्णय होने तक सजा के आदेश पर रोक लगाना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी के वकील के तर्क
‘मोदी सरनेम’ मानहानि मामले में राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो राहुल के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी से जस्टिस गवई ने कि आपको सजा पर रोक के लिए केस को बेहद मजबूत करना होगा। आमतौर पर सजा यथावत रहती है। सिंघवी ने कहा कि आज वे सजा पर बहस नहीं कर रहे।
सिंघवी की पहली दलील: (शिकायतकर्ता) पूर्णेश मोदी का मूल सरनेम मोदी नहीं है… उन्होंने इसे मोध में बदला। मोदी के वकील महेश जेठमलानी ने टोका– मोध नहीं, मोदी।
सिंघवी ने कहा– गांधी ने अपने भाषण में जिनका नाम लिया, किसी ने मुकदमा नहीं किया। दिलचस्प है कि 13 करोड़ के इस ‘छोटे’ समुदाय से मुकदमा केवल भाजपा पदाधिकारियों ने किया। बड़ी अजीब बात है!
सिंघवी ने मानहानि कानून (IPC की धारा 499) का हवाला देकर कहा कि ‘कोई भी आरोप किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है, जब तक कि यह किसी व्यक्ति के नैतिक या बौद्धिक चरित्र को कम नहीं करता है’।
सिंघवी ने कहा, ‘यह गैर संज्ञेय अपराध है। समाज के खिलाफ नहीं है… न हत्या, न रेप, न किडनैपिंग… 2 साल की अधिकतम सजा… इसमें नैतिक अधमता का अपराध कहां से आ गया?’ ‘इस व्यक्ति (राहुल) को 8 साल के लिए चुप करा दिया जाएगा? लोकतंत्र में मतभेद होते हैं। हिंदी में हम शालीन भाषा कहते हैं, मुझे नहीं लगता कि ऐसी मंशा रही होगी…’।
जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज ने आपराधिक प्रवृत्ति की बात कही। इसपर सिंघवी ने कहा कि ‘मैं (राहुल) अपराधी नहीं हूं।’
सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी की लोकसभा सीट (वायनाड) पर चुनाव की घोषणा नहीं की गई है। शायद उन्हें पता है कि हार के चांसेज बहुत कम है।
इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि मामले को राजनीतिक मत बनाइए। आप और मिस्टर जेठमलानी, दोनों इसे राज्यसभा के लिए बचाएं।
इस पर सिंघवी ने टिप्पणी वापस ले ली।
सिंघवी ने कहा कि शिकायतकर्ता का कहना है कि उसे न्यूजपेपर कटिंग का वॉट्सऐप मिला। वह यह नहीं बताता कि उसे यह किसने दिया। एविडेंस एक्ट के हिसाब से, असल घटना साबित नहीं हुई।
शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की तरफ से क्या तर्क रखे गए?
राहुल गांधी मानहानि मामले में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की ओर से सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी पेश हुए। जेठमलानी ने कहा कि पर्याप्त सबूत हैं। CD2 में (राहुल के) भाषण का प्रमाणिक वर्जन है। चुनाव आयोग के निर्देश पर जिसने रिकॉर्डिंग की, वह गवाह है। कैमरा थामने वाला फोटोग्राफर भी गवाह है।
जेठमलानी की दलील: उन्होंने (राहुल) क्या कहा था? ‘अच्छा एक छोटा सा सवाल, इन सब चोरों का नाम, मोदी, मोदी, मोदी कैसे है… ललित मोदी, नीरव मोदी… और थोड़ा ढूंढेंगे तो और सारे मोदी निकल आएंगे।’ उनकी मंशा मोदी सरनेम वाले हर व्यक्ति का अपमान करना थी क्योंकि प्रधानमंत्री का भी वही सरनेम है।
जस्टिस गवई ने कहा, ‘कितने राजनेता याद रखते होंगे कि उन्होंने पिछली रैलियों में क्या कहा था। नेता दिन में 10-15 रैलियां करते हैं।’
जेठमलानी ने कहा कि जब आप आरोपित हों तो आपको आरोप पढ़ने पड़ते हैं। वह (राहुल) ट्रायल का सामना कर रहे हैं।
जेठमलानी: दोषसिद्धि पर अयोग्यता ऑटोमेटिक और तत्काल है। अब लिली थॉमस केस में जो छीन लिया गया था, उसे वापस लाने की मांग की जा रही है… दोषसिद्धि पर रोक लगाने के आवेदनों में, एक बहुत स्पष्ट बिंदु होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बात एक व्यक्ति के अधिकार की नहीं है, एक सांसद की है। ट्रायल कोर्ट के जज ने अधिकतम सजा दी है, उन्हें इसकी वजह भी बतानी पड़ेगी। अपने फैसले में जज ने इस पर कुछ नहीं कहा।
जेठमलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में भी उन्हें (राहुल) सीख दी थी।
इस पर जस्टिस गवई ने मुस्कुराते हुए कहा कि अगर यह फैसला पहले आ जाता तो शायद वह ज्यादा सतर्क रहते।
सुप्रीम कोर्ट के सामने दोषी सांसद की सीट खाली रहने का विषय भी उठा।
जेठमलानी ने कहा कि जनता को ऐसे किसी व्यक्ति को चुनने का अधिकार नहीं जो बिना सोचे समझे बोलता हो, जिसने कानून तोड़ा हो…
सिंघवी ने 2007 के मामले में SC के फैसले का हवाला दिया, जिसमें गया था कि संसदीय क्षेत्र के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखना जरूरी है।
लोकसभा कब पहुंचेंगे, बंगला कब मिलेगा; ऐसे आठ सवालों के जवाब
राहुल गांधी की सजा पर रोक लग गई। मोदी सरनेम मानहानि मामले में सूरत कोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने आज 134 दिन बाद पलट दिया। अब राहुल फिर से सांसद घोषित होंगे, सरकारी आवास मिलेगा, चुनाव लड़ सकेंगे। विवेचना में इस फैसले से जुड़े सात जरूरी सवालों के जवाब..
सवाल-1: राहुल गांधी फिर से सांसद कब बनेंगे?
किसी सांसद को 2 साल से ज्यादा की सजा होने पर संसद सदस्यता स्वतः खत्म हो जाती है। ऐसे में राहुल के कन्विक्शन पर स्टे लगने के बाद उनकी संसद सदस्यता यथावत हो जाएगी। सदस्यता यथावत होने की जानकारी लोकसभा सचिवालय अधिसूचना से देगा। इसमें कुछ घंटों से कुछ महीने भी लग सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद फौरन बाद कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाकात कर जल्द से जल्द संसद सदस्यता पुनर्जीवित करने की मांग की। लोकसभा स्पीकर ने कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलने पर फैसला लेने की बात कही है।
सवाल-2: अगर लोकसभा सचिवालय राहुल की सदस्यता बहाल करने में देरी करता है, तो क्या रास्ते हैं?
अगर किसी कारण लोकसभा सचिवालय राहुल की सदस्यता पुनर्जीवित करने में देरी करता है, तो वो सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। इसी साल एक मामला देखने को मिला था।
लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को कवारत्ती में एक सत्र अदालत से हत्या के प्रयास में दोषी ठहराया उन्हें 10 साल की जेल की सजा सुनाई। लोकसभा सचिवालय ने 13 जनवरी 2023 को एक अधिसूचना जारी कर उनकी सदस्यता को अयोग्य ठहरा दिया।
25 जनवरी को केरल हाई कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी थी। इसके बाद फैजल ने हाईकोर्ट के आदेश को आधार बनाकर लोकसभा सचिवालय से अपनी सदस्यता दोबारा से पुनर्जीवित करने की मांग की।
इस बीच चुनाव आयोग ने उनके लोकसभा सीट पर उपचुनाव की भी घोषणा कर दी थी। फैजल ने चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट में 29 मार्च को इस मामले में सुनवाई होनी थी, लेकिन इससे पहले ही लोकसभा सचिवालय ने उनकी संसद सदस्यता पुनर्जीवित कर दी।
सवाल-3: राहुल को सरकारी घर कब मिलेगा, इसका प्रॉसेस क्या होगा?
सांसदों को बंगले का आवंटन केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के निदेशालय के जरिए किया जाता है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सांसदों को बंगला आवंटन और रद्द करने के लिए सांसदों वाली एक सदन समिति है।
ये समिति ही केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से बंगला आवंटन का सिफारिश करती है। सदस्यता बहाल होने के बाद इस समिति की सिफारिश के आधार पर राहुल को बंगला आवंटित हो गया। हालांकि, जरूरी नहीं कि उन्हें 12 तुलगक रोड वाला बंगला ही आवंटित हो, जहां वो पहले रह रहे थे।
सवाल-4: कन्विक्शन पर रोक लग गई, तो क्या ये केस खत्म हो गया?
सजा पर रोक लगाकर सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को फौरी तौर पर राहत दी है। इस फैसले के बाद उनकी संसद सदस्यता बहाल हो जाएगी। अगर ये स्थिति 2024 के चुनाव तक बनी रहती है तो वे चुनाव भी लड़ सकेंगे। लेकिन, अभी ये केस खत्म नहीं हुआ।
सुप्रीम कोर्ट में ये केस आगे चलेगा और कोर्ट 2 प्रमुख बातों पर विचार करेगा। पहला- क्या राहुल गांधी मानहानि के मामले में दोषी हैं? दूसरा- अगर दोषी हैं तो कितनी सजा होनी चाहिए?
अगर राहुल मानहानि के मामले में दोषी पाए जाते हैं तो स्थितियां बनेंगी। या तो दो साल की पूरी सजा मिलेगी या दो साल से कम। दो साल की सजा होने पर उनकी संसद सदस्यता खत्म हो जाएगी और 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। 2 साल से कम सजा होने पर जेल जाना पड़ेगा, लेकिन सदस्यता बहाल रहेगी और चुनाव लड़ सकेंगे। अगर निर्दोष पाए गए तो उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
सवाल-5: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में क्या राहुल चुनाव लड़ सकेंगे?
अगर ये स्थिति 2024 के चुनाव तक बनी रहती है तो राहुल चुनाव लड़ सकेंगे। अगर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद राहुल को दोषी पाया और दो साल की सजा सुना दी, तो उनके चुनाव लड़ने पर रोक लग जाएगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि राहुल को मानहानि मामले में मैक्सिम 2 साल की सजा मिले, इसकी संभावना कम है।
सवाल-6: क्या सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी जा सकती है?
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करके सभी पक्षों से जवाब मांगा था। सभी बातों पर विचार करने और दोनों पक्षों की की बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की पीठ ने यह आदेश दिया है। संविधान के अनुच्छेद-141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के फैसले देश का कानून माने जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील विराग गुप्ता के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद-137 में विशेष स्थितियों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू याचिका दायर की जा सकती है। इस बारे में संविधान के अनुच्छेद-145 के तहत सुप्रीम कोर्ट के नियम और अनेक पुराने फैसले हैं। लेकिन राहुल गांधी मामले पर रिव्यू याचिका की गुंजाइश नहीं बनती।
इस मामले में राहुल गांधी ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी यानि विशेष अनुमति याचिका दायर किया था जिसके लिए संविधान के अनुच्छेद-136 में प्रावधान हैं। आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी एडमिट करने के साथ अंतरिम आदेश पारित किया है। पुराने मामलों के निपटारे के बाद ही नई एसएलपी पर सुनवाई होती है।
कोयला घोटाला मामले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2015 में एडमिट किया था जिस पर अब 8 साल बाद सुनवाई की संभावना बन रही है। इसलिए राहुल गांधी की एसएलपी में फाइनल सुनवाई में कई साल लग सकते हैं। इसलिए मान हानि मामले में राहुल की सजा और दोषमुक्ति का निर्धारण करने वाले फाइनल फैसले में लम्बा वक्त लग सकता है।
सवाल-7: राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के और कितने मामले पेंडिंग हैं?
राहुल गांधी पर मानहानि के 4 और मुकदमे चल रहे हैं, जिन पर फैसला आना बाकी है…
1-2014 में राहुल गांधी ने संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया था। एक संघ कार्यकर्ता ने राहुल पर IPC की धारा 499 और 500 में मुकदमा किया था। ये केस महाराष्ट्र के भिवंडी कोर्ट में चल रहा है।
2-2016 में राहुल गांधी के खिलाफ असम के गुवाहाटी में धारा 499 और 500 में मानहानि का केस दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता के मुताबिक,राहुल गांधी ने कहा था कि 16वीं सदी के असम के वैष्णव मठ बरपेटा सतरा में संघ ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। इससे संघ की छवि को नुकसान पहुंचा है। ये मामला भी अभी कोर्ट में पेंडिंग है।
3-2018 में राहुल गांधी पर झारखंड की राजधानी रांची में एक और मुकदमा किया गया। ये केस रांची की सब-डिविजनल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में चल रहा है। राहुल के खिलाफ IPC की धारा 499 और 500 में 20 करोड़ रुपए मानहानि का केस दर्ज है। इसमें राहुल के उस बयान पर आपत्ति जताई गई है,जिसमें उन्होंने ‘मोदी चोर है’ कहा था।
4-2018 में ही राहुल गांधी पर महाराष्ट्र में एक और मानहानि का केस दर्ज हुआ। ये मामला मझगांव स्थित शिवड़ी कोर्ट में चल रहा है। IPC की धारा 499 और 500 में मानहानि का केस दर्ज है। केस संघ के कार्यकर्ता ने किया था। राहुल पर आरोप है कि उन्होंने गौरी लंकेश की हत्या BJP और संघ की विचारधारा से जोड़ी।