क्रम भी बदल जायेगा भारतीय दंड संहिता की धाराओं का
New Ipc Bill What Experts Said About News Law In India
धाराएं बदलने से कन्फ्यूजन की भी आशंका, नए कानूनों पर क्या कह रहे एक्सपर्ट
केंद्र ने पुराने आईपीसी को बदलकर नए कानून लागू किए हैं। ऐसे में नए कानून के लिए वकीलों को नए सिरे से सबकुछ पढ़ने के लिए तैयार होना होगा। पुराने मामलों में मौजूदा कानून में ही चलते रहेंगे। नए कानून के लागू होने पर ही उनका प्रभाव होगा। इससे आने वाले दिनों में वकीलों के लिए कंफ्यूजन हो सकती है।
केंद्र ने पुराने आईपीसी के बदले नए कानूनों को पेश किया है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट केके मनन बताते हैं कि पुराने IPC के बदले नए कानून आने से वकीलों को नए सिरे से सबकुछ पढ़ना होगा लेकिन जब नया कानून लागू होगा तभी के केस पर यह लागू होगा। पुराने मामले मौजूदा कानून में ही चलेंगे। नियम में जब भी कानून बदलता है तो वह भविष्य के केस के लिए होता है उसका प्रभाव नहीं होता।
मौजूदा केस पहले के कानून के हिसाब से चलेंगे
कानूनी जानकार और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट विराग गुप्ता बताते हैं कि अभी जो मौजूदा IPC, CrPc और इंडियन एविडेंस एक्ट है उसके मुताबिक मौजूदा केस चल रहा है। मौजूदा समय में जो भी छानबीन चल रही है और जो भी ट्रायल चल रहे है, वह उसी हिसाब से चलेंगे जो कानून पहले से तय हैं। इसके लिए नियम तय है कि जब कोई भी अपराध होता है तो उस वक्त उस अपराध के लिए जो सजा और प्रक्रिया तय होती है उसी प्रक्रिया में मुकदमा चलाया जा सकता है।
मौजूदा समय में IPC और CrPc लागू
मौजूदा समय में IPC और CrPc लागू है तो फिर उसी के हिसाब से कानून लागू होगा और मौजूदा कानून के तहत ट्रायल चलता रहेगा। लेकिन जब भारतीय न्याय संहिता समेत अन्य संहिता संसद से कानून का रूप ले लेगी और राष्ट्रपति द्वारा नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा तब वह कानून लागू हो जाएगा। लेकिन वह कानून जिस दिन से लागू होगा उसी दिन से नए अपराध में नए कानून की धाराओं में केस दर्ज होगा।
नई धाराएं एकदम बदल जाएंगी
ऐसी आशंका है कि आने वाले दिनों में नए कानून आने से कंफ्यूजन बनेगी क्योंकि सालों से IPC, CrPc और एविडेंस एक्ट वकीलों के टिप्स में रहे हैं लेकिन नए कानून की धाराओं के कारण पुरानी धाराएं और नई धाराएं एकदम बदल जाएगी तो कानूनी किताबें बार-बार खोलनी पड़ेंगी और सबकुछ टिप्स पर लेने में वक्त लगेगा। इसका केस की सुनवाई और छानबीन पर असर हो सकता है।
Bharatiya Nyaya Sanhita 2023 Ipc Crpc New Rules
420, 302, 144… बदल गए कानून के नाम, देखिए अब किस जुर्म में कौन सी लगेगी धारा
अब IPC की धारा 420, 302 और 144 जैसी धाराओं का नाम बदल जाएगा। केंद्र सरकार कानून में कई बड़े बदलाव करने जा रही है। इसे लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन बिल पेश किए हैं।
Bharatiya Nyaya Sanhita
गांव के लोगों से भी पूछिए कि 302 का मतलब क्या होता है तो वे झट से बता देंगे कि हत्या का केस बनता है। हालांकि अब ऐसा नहीं होगा। जी हां, 302 और 420 जैसे चर्चित कानूनों के कोड बदलने वाले हैं। मोदी सरकार तीन नए बिल लेकर आई है जिसमें कानूनों को नए रूप में नए नंबर के साथ जगह दी गई। उदाहरण को इसे आप किताब समझ लीजिए जिसके पन्ने अब कुछ आगे-पीछे हो गए हैं। सरकार का कहना है कि मौजूदा समय में महत्व के हिसाब से ऐसा किया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बिल पेश किया है। इसमें IPC और CrPC की कई धाराओं को बदलने का प्रस्ताव रखा गया है। इस बिल में आपराधिक दंड संहिता में आमूलचूल परिवर्तन होगा। अब IPC को भारतीय न्याय संहिता कहा जाएगा। इसके अलावा धारा 420, 302 और 144 जैसी धाराओं को भी बदला जाएगा। भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद कौन सी धाराओं को बदल दिया जाएगा, आइए बताते हैं।
किस जुर्म में कौन सी धारा
अपराध पहले अब
हत्या धारा-302 101
धोखाधड़ी धारा-420 धारा-316
भीड़भाड़-हंगामा धारा-144। धारा-187
देश के खिलाफ षड्यंत्र धारा-121 धारा-145,121ए धारा-146
मानहानि धारा- 499 धारा-354
रेप 376 धारा-63 में रेप, 64 में सजा, गैंगरेप 70 में
मानहानि सेक्शन 499 और 500 धारा-354
धरना प्रदर्शन या दंगा-फसाद 147,148,149 नया सेक्शन
निषेधाज्ञा के उल्लंघन पर सेक्शन 188 नया सेक्शन
राजद्रोह कानून धारा- 124 ए धारा-150
अब कोई अगर आपको ‘श्री 420’ बोले तो बुरा मत मानिएगा, कानून का पता बदल गया है
किस कानून में कितनी धाराएं
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता CrPC को रिप्लेस करेगी। इसमें अब 533 धाराएं रहेंगी। 160 धाराओं को बदल दिया गया है , 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 9 धाराओं को निरस्त किया गया है।
भारतीय न्याय संहिता IPC को रिप्लेस करेगी। इसमें पहले की 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होंगी। 175 धाराओं में बदलाव किया गया है, 8 नई धाराएं जोड़ी गई हैं और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है।
भारतीय साक्ष्य विधेयक Evidence Act को रिप्लेस करेगा। इसमें पहले की 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होंगी, 23 धाराओं में बदलाव किया गया है, 1 नई धारा जोड़ी गई है और 5 धाराएं निरस्त की गई हैं।
कानून प्रक्रिया को डिजिटल बनाने की कोशिश
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये तीनों पुराने कानून गुलामी की निशानियों से भरे हुए थे, इन्हें ब्रिटेन की संसद ने पारित किया था, कुल 475 जगह ग़ुलामी की इन निशानियों को समाप्त कर हम नए कानून लेकर आए हैं। कानून में दस्तावेज़ों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्ट फोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, डिवाइस पर उपलब्ध मेल, मैसेजेस को कानूनी वैधता दी गई है। FIR से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज़ करने का प्रावधान इस कानून में किया गया है।