प्रयागराज में निशुल्क शव दाह के पहले दबाये जा चुके हजारों शव
गंगा किनारे कहां से आ रहे शव, कौन दे रहा भू-समाधि:प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर में नदी किनारे 1 किमी की परिधि में इतने शव कि गिनती करना भी मुश्किल
प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर में गंगा किनारे ऐसे पड़ी हैं लाशें।
प्रयागराज 17 मई। उत्तर प्रदेश में गंगा किनारे शवों का मिलना जारी है। प्रयागराज में श्रृंगवेरपुर धाम के पास बड़ी संख्या में शवों को गंगा किनारे भू-समाधि दी गई हैं। हालात ये हैं कि एक छोर से दूसरे छोर तक केवल शव ही शव नजर आ रहे हैं। यहां करीब एक किलोमीटर की दूरी में भू-समाधि दिये शवों के बीच एक मीटर का फासला भी नहीं है।
घाट के दोनों तरफ जहां तक निगाह जाती है, वहां तक शवों को भू-समाधि दी गई हैं। शवों के किनारे झंडा और डंडा भी गाड़ा गया है। यही नहीं, शवों के साथ आने वाले कपड़े, तकिए, चद्दर भी वहीं छोड़ दिए गए हैं। ऐसे में गंगा किनारे काफी गंदगी भी हो गई है। पुलिस का पहरा भी कोई काम नहीं आ रहा है। अंतिम संस्कार का सामान भी बहुत महंगा हो गया है।
घाट पर पूजा-पाठ कराने वाले पंडितों का कहना है कि पहले रोज यहां 8 से 10 शव ही आते थे, लेकिन पिछले एक महीने से हर दिन 60 से 70 शव आ रहे हैं। किसी दिन तो 100 से भी ज्यादा लाशें आ रही हैं। एक महीने में यहां 4 हजार से ज्यादा शव आ चुके हैं।
प्रयागराज में गंगा किनारे भू-समाधि।
शैव सम्प्रदाय के अनुयायी शव दफना रहे
शासन की रोक के बाद भी शैव सम्प्रदाय के अनुयायी यहां शव दफना रहे हैं। घाट पर मौजूद पंडित कहते हैं कि शैव संप्रदाय के लोग गंगा किनारे शव दफनाते रहे हैं। यह बहुत पुरानी परंपरा है। इसे रोका नहीं जा सकता। इससे लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत होंगी।
पहले गरीब लोग ही शव दफनाते थे, लेकिन कोरोना के बाद ज्यादातर लोग ऐसा कर रहे हैं
श्रृंगवेरपुर धाम पर पुरोहित का काम करने वाले शिवबरन तिवारी बताते हैं कि सामान्य दिनों में यहां 8-10 शव ही आते थे। इनमें से जो बहुत गरीब लोग होते हैं, जिनके पास खाने के भी पैसे नहीं होते और वे दाह संस्कार का खर्च नहीं वहन कर पाते, वही दफनाते हैं। जो सक्षम होते हैं, वे शवों का बाकायदा दाह संस्कार करते हैं। यही अब तक चला आ रहा है। लेकिन कोरोना ने जबसे जोर पकड़ा तबसे अकेले श्रृंगवेरपुर धाम में ही रोज 60 से 70 शव आ रहे हैं। कभी-कभी तो यह संख्या 100 के पार भी पहुंच जाती है। और अब पहले ज्यादा से लोग शव दफना रहे हैं।
शिवबरन कहते हैं कि कोरोना के डर के कारण काफी दिन तक घाट से पंडों-पुरोहितों ने भी डेरा हटा लिया था। सभी डर रहे थे कि कहीं कोरोना न हाे जाए। ऐसे में जो जैसे आया और जहां जगह दिखी, वहीं शवाें को दफना दिया। कोई रोक-टोक न होने के कारण गंगा के घाट किनारे जहां लोग आकर स्नान-ध्यान करते हैं, वहां तक लोगों ने शव दफना दिए।
प्रयागराज में श्रृंगवेरपुर धाम के किनारे का नजारा, यहां शवों को दो गज की दूरी भी नसीब नहीं हुई है।
दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की कमी हो गई
श्रृंगवेरपुर धाम में प्रयागराज के अलावा प्रतापगढ़, सुल्तानपुर और फैजाबाद जिलों के शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। कोरोना की सेकंड वेब के बाद से श्रृंगवेरपुर घाट पर हर दिन बड़ी संख्या में शव आ रहे हैं। जिससे श्रृंगवेरपुर घाट पर दाह संस्कार के लिए लकड़ियों की भारी कमी हो गई और लकड़ी ठेकेदारों ने भी लोगों से दाह संस्कार के लिए ज्यादा पैसे वसूलने शुरू कर दिए। ऐसे हालात में लोगों ने मजबूरी में दाह संस्कार करने के बजाय शवों को दफनाना शुरू कर दिया।
शवों को दफनाना गलत, लेकिन लोग मजबूर
घाट पर अंतिम संस्कार कराने वाले पुरोहित प्रवीण त्रिपाठी भी गंगा नदी की रेत में इस तरह से शवों को भू-समाधि दिये जाने को गलत बता रहे हैं। श्मशान घाट पर लकड़ी की कमी और प्रशासन की ओर कोई इंतजाम न किए जाने से मजबूरी में लोग शवों को रेत में भू-समाधि देकर लौट जा रहे हैं।
सोमवार को एसपी गंगापार धवल जायसवाल घाट का निरीक्षण करने पहुंचे।
SP बोले- लोगों की काउंसलिंग की जा रही है
सोमवार को SP गंगापार धवल जायसवाल भी घाट का निरीक्षण करने पहुंचे, उन्होंने बताया कि घाटों पर पीएसी और जल पुलिस तैनात कर दी गई है। गश्त भी हो रही है। शवों को भू-समाधि दिये जाने से रोकने के लिए लोगों की काउंसलिंग भी की जा रही है। पुरोहितों और अंतिम संस्कार करने वालों को भी समझाया जा रहा है कि गंगा में शव न प्रवाहित करें और न ही समाधि दें । इसके बाद भी यदि कोई शव भू-समाधि देते पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पहले शवों के भू-समाधि की तय थी सीमा , पर आधा किलोमीटर आगे तक बढ़ गए लोग
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल इसी साल 5 मार्च को श्रृंगवेरपुर आई थीं। उन्होंने यहां पूजा-अर्चना भी की थी। उनके दौरे से पहले ही जिला प्रशासन ने एसडीएम और क्षेत्रीय पुलिस अधिकारी को भेजकर घाट पर शवों को भू-समाधि की सीमारेखा तय की थी। पत्थर के पिलर भी गाड़े गए थे। वो पिलर आज भी मौजूद हैं, पर प्रशासन की अनदेखी और कोरोना के कारण बढ़ती मौतों के बाद ये सीमा रेखा कब की पार हो चुकी है। लोग आधा किलोमीटर दूरी तक आगे बढ़कर शव को दफना रहे हैं।
गंगा नदी किनारे रेत में शवों को भू-समाधि, संगम नगरी में बढ़ाई गई चौकसी
कोरोना महामारी के चलते जहां एक ओर अंतिम संस्कार किया जा रहा है तो वहीं प्रयागराज में बहुत से ऐसे लोग हैं कि जिनको प्रयागराज के घाट किनारे रेत में भू-समाधि दी जा रही है।
उत्तर प्रदेश के उन्नाव, कन्नौज, कानपुर, रायबरेली के बाद अब संगम नगरी प्रयागराज में भी गंगा नदी के किनारे शवों को रेत में भू-समाधि दिए जाने का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। संगम नगरी की सामने आई अलग-अलग दो तस्वीरों ने ये साबित कर दिया है कि गरीबी और मुफलिसी गरीबों का मौत के बाद भी भी पीछा नहीं छोड़ती। यही कारण है कि ऐसे लोगों को अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हो सका।
दरअसल पहली तस्वीर प्रयागराज के फाफामऊ घाट से सामने आई है। यहां गंगा की रेत में सैकड़ों शवों को दफन किया गया है। लोग ज़्यादा है, जिनके पास अंतिम संस्कार के पैसे नहीं थे। फाफामऊ घाट पर पिछले महीने एक दिन में तकरीबन 15 से 20 लाशों को भू-समाधि दी जाती थी। लेकिन अब इनकी संख्या बढ़ गई है। घाट के लोग बताते हैं कि पहले भी कुछ लाशों को भू-समाधि दी जाती थी लेकिन कोविड काल में बड़ी संख्या में शवों को रेत में दबाया जा चुका है। इन लोगों की मौत कैसे हुई है? अभी इसका कारण स्पष्ट नहीं हो सका है।
भगवान राम और निषादराज के गृह मिलन स्थली श्रृंगवेरपुर धाम में गंगा के किनारे बीते करीब डेढ़ महीने में कई शवों को गंगा नदी के किनारे रेत में दफन कर दिया गया है। शवों को दफन कर चारों ओर बांस की घेराबंदी कर दी गई है ताकि लोगों को पता चल सके कि यहां पर शव दबाया गया गया है। हालांकि यहां पर हमेशा से ही कुछ शव दबाते जाते हैं। दबाये गए शवों को किसी जानवरों की ओर से निकाले जाने की आशंका भी बनी हुई है।
शव दहन को लेकर शुरू हुई निःशुल्क व्यवस्था
जो लोग शवों का दाह संस्कार करने में सक्षम नहीं है। उन शवों का प्रशासन की ओर से अंतिम संस्कार कराए जाने के आदेश दिए गए थे। इसके बाद प्रयागराज में कोविड से हुई मौत का अंतिम संस्कार निशुल्क कराना शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रत्येक परिवार को चार हजार रुपये नगर निगम प्रयागराज दे रहा है। परिजनों को कोविड की वजह से मृत्यु होने की रिपोर्ट नगर निगम में जमा करना होता है।
घाटों और नदी किनारे पर बढ़ा दी गई पेट्रोलिंग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा नदी के किनारे शवों को दफनाए जाने को लेकर एसडीआरएफ और जल पुलिस को गंगा नदी के किनारे पेट्रोलिंग का भी निर्देश दिया है। इसके बाद निगरानी बढ़ा दी है। शमशान घाट पर पुलिस चौकी भी बनी है और बॉडी को कोई भू-समाधि न दे इसलिए पुलिस को सतर्क रहने के निर्देश भी है।