शिकोहपुर जमीन घोटाला: रॉबर्ट वाड्रा पर ED के आरोपपत्र में ₹58 करोड़ कमाई का रहस्य,हो सकती है 3 से 7 साल सजा
सारांश
सूत्रों का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय की गुरुग्राम जमीन सौदे से जुड़ी जांच में रॉबर्ट वाड्रा के दो बयान दर्ज किए गए हैं. सूत्रों के मुताबिक, वाड्रा ने अपना पहला बयान 15 अप्रैल और दूसरा बयान 16 अप्रैल को दर्ज हुए
नई दिल्ली 10 अगस्त 2025। ED ने रॉबर्ट वाड्रा समेत कई लोगों के खिलाफ PMLA में चार्जशीट दाखिल की है.स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने 3.5 एकड़ जमीन असली कीमत से आधी कीमत में खरीदी.इस सौदे से वाड्रा ने ₹58 करोड़ की अवैध कमाई की.
रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट में कई बातें पता चली हैं. शिकोहपुर जमीन घोटाले के मामले में ED ने PMLA में रॉबर्ट वाड्रा, सत्यानंद याजी, केवल सिंह विर्क और कई कंपनियों पर कार्रवाई में कोर्ट में आरोप-पत्र जमाकर दिया है. मामला हरियाणा के गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में जमीन की खरीद-बिक्री और लाइसेंस जारी करने में अनियमितता से जुड़ा है. 1 सितंबर 2018 को हरियाणा पुलिस ने गुरुग्राम के खेड़की दौला थाने में प्राथमिकी लिखी थी. इसमें रॉबर्ट वाड्रा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, डीएलएफ कंपनी और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड समेत अन्य पर धोखाधड़ी, षडयंत्र और भ्रष्टाचार के आरोप लगे.
3.5 एकड़ जमीन सिर्फ ₹7.50 करोड़ में
स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (SLHPL) ने बहुत कम पूंजी होकरोडपर भी 3.5 एकड़ जमीन सिर्फ 7.50 करोड़ ₹ में खरीदी, जबकि असली कीमत 15 करोड़ ₹ थी. सेल डीड में झूठा लिखा गया कि भुगतान चेक से हुआ जो चैक कभी कैश नहीं हुआ. करीब 45 लाख ₹ की स्टाम्प ड्यूटी बचाने को गलत जानकारी दी गई. आरोप है कि यह जमीन रॉबर्ट वाड्रा के प्रभाव में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज को तत्कालीन CM से हाउसिंग लाइसेंस दिलाने को दी गई. बाद में जमीन का कॉमर्शियल लाइसेंस लेकर, दबाव में फाइल में हेरफेर कर जारी किया गया और इसे 58 करोड़ ₹ में DLF को बेच दिया गया.
58 करोड़ ₹ की अवैध कमाई
लाइसेंस को आवेदन में 3.53 एकड़ जमीन दिखाई गई, जबकि कॉमर्शियल यूज़ को केवल 1.35 एकड़ ही जमीन थी. सेक्टर रोड वाली जमीन भी शामिल कर नियमों की अनदेखी की गई. वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव में लाइसेंस प्रक्रिया तेजी से पूरी की गयी. फाइल में तारीखें बदलने और नक्शे में फेरबदल के प्रमाण मिले. ईडी के अनुसार रॉबर्ट वाड्रा को इस सौदे से 58 करोड़ ₹ की अवैध कमाई हुई. 5 करोड़ ₹ ब्लू ब्रीज़ ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड के जरिए और 53 करोड़ ₹ स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड से. यह पैसा प्रॉपर्टी खरीदने, निवेश करने और अपनी कंपनियों के ऋण चुकाने में लगाया गया. ईडी ने PMLA की कई धाराओं के साथ आईपीसी की धारा 423 भी जोड़ी है. आरोप सिद्ध होने पर 3 से 7 साल की सज़ा और अवैध संपत्ति छीनी जा सकती है. अब तक ईडी ने 38.69 करोड़ ₹ मूल्य की 43 अचल संपत्तियां अस्थायी रूप से छीनी हैं, जिनमें बीकानेर, गुरुग्राम, मोहाली, अहमदाबाद, नोएडा और फरीदाबाद की जमीन, फ्लैट और वाणिज्यिक यूनिट्स हैं.
घटनाक्रम
2006–2008: जमीन खरीद, लाइसेंस को आवेदन, गलत जानकारी देकर फाइल पास कराना.
2008–2012: DLF से करोड़ों की पेमेंट, लाइसेंस जारी और नवीनीकरण, आखिर में जमीन 58 करोड़ ₹ में DLF को बेचना.
2013: ऑडिट में पूरी प्रक्रिया में गड़बड़ियों की पोल खुली. प्रपत्र नहीं दिखा सके वाड्रा
सूत्रों का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय की गुरुग्राम जमीन सौदे से जुड़ी जांच में रॉबर्ट वाड्रा के दो बयान दर्ज किए गए हैं. वाड्रा ने अपना पहला बयान 15 अप्रैल और दूसरा बयान 16 अप्रैल को कराया. सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में रॉबर्ट वाड्रा ने कई सवालों के जवाब में टालमटोल की और जिम्मेदारी तीन दिवंगत लोगों एच.एल. पाहवा, राजेश खुराना और महेश नागर पर डाल दी, यह कहते हुए कि ये लोग उनकी ओर से काम कर रहे थे.
जब ईडी अधिकारियों ने वाड्रा से इस दावे को सिद्ध करने को प्रमाण प्रपत्र मांगे, तो उनके पास कोई भी प्रपत्र नहीं था. ईडी सूत्रों ने आगे बताया कि रॉबर्ट वाड्रा ने अपनी कंपनियों स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड और BBTPL के जरिए अवैध गतिविधियों से भारी पैसा कमाया.

