वीर सावरकर के अपमान पर भड़की उद्धव सेना, कांग्रेस के डिनर का बहिष्कार

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सावरकर पर राहुल के बयान से सियासत तेज, खरगे के डिनर से उद्धव गुट का बायकॉट, दो धड़ों में बंटी MVA

उद्धव ठाकरे गुट ने किया कांग्रेस के डिनर का बायकॉट
उद्धव ठाकरे गुट ने सावरकर पर राहुल के बयान से खुलकर नाराजगी जाहिर की। उद्धव ठाकरे गुट ने सोमवार को कांग्रेस की बैठक और डिनर से भी दूरी बना ली। एक दिन पहले ही उद्धव ने कहा था कि सावरकर पर अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।

हाइलाइट्स
1-उद्धव गुट ने सावरकर पर राहुल के बयान से खुलकर नाराजगी जाहिर की
2-उद्धव गुट ने सोमवार को कांग्रेस की बैठक और डिनर से भी दूरी बना ली
3-उद्धव ठाकरे ने कहा था कि सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे

सावरकर के अपमान के मुद्दे से नाराज शिवसेना (उद्धव) पार्टी ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की बुलाई बैठक का बहिष्कार किया। सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणी को लेकर विरोध जताते हुए पार्टी का कोई सांसद या नेता विपक्ष के लिए आयोजित इस डिनर में शामिल नहीं हुआ। शिवसेना (उद्धव) गुट के सांसद अरविंद सावंत और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस बात की पुष्टि की है कि उनकी पार्टी विपक्षी एकता के लिए बुलाए गए इस आयोजन से दूर रही है।

पार्टी अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे रविवार को एक सभा में राहुल गांधी को इस बारे में सार्वजनिक चेतावनी दे चुके हैं। मालेगांव की सभा में उद्धव ने कहा था कि सावरकर हमारे देवता हैं, उनका अपमान हम कतई सहन नहीं करेंगे। वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने पत्रकारों को संकेत दिया है कि इस मुद्दे पर राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे के बीच मुलाकात हो सकती है।

पटोले ने कहा कि सावरकर के द्विराष्ट्र सिद्धांत को उनके समर्थन की वजह से देश का विभाजन हुआ और इससे पैदा विषाक्त वातावरण गांधीजी की हत्या का कारण बना । शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी केवल देश में लोकतंत्र संविधान बचाने की व्यापक लड़ाई को इकट्ठा आए हैं। इस मुद्दे पर भाजपा विपक्ष की एकता को तोड़ने की कोशिश कर रही है, पर वह सफल नहीं होगी।

प्रियंका चतुर्वेदी ने रखी बात

शिवसेना की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि ‘पार्टी ने भोज के बहिष्कार का फैसला किया है। सुबह विपक्ष की जो बैठक हुई थी, उसमें मैं अंतिम समय पहुंची। वहां मैंने सभी को शिवसेना के स्टैंड के बारे में बताया और यह भी सचेत किया कि सावरकर के मुद्दे का क्या असर हो सकता है।’

शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने कहा, ‘कांग्रेस जब तक सावरकर को लेकर अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं करती, तब तक उनके साथ हमारी (शिवसेना-उद्धव गुट) की मुलाकात उचित नहीं है। इसलिए हमने कांग्रेस की बुलाई बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है

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‘हिम्मत है तो एमवीए से बाहर निकल कर दिखाओ…’ सावरकर के अपमान पर शिंदे ने उद्धव को याद दिलाया बाल ठाकरे का किस्सा

महाराष्ट्र मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को बाल ठाकरे का किस्सा याद दिलाया है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे क्या वैसा कर पाएंगे जैसा बाल ठाकरे ने किया था। बाल ठाकरे ने सावरकर के अपमान पर मणिशंकर अय्यर के पुतले को जूतों से पीटा था।

हाइलाइट्स
1-एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को बाल ठाकरे का किस्सा याद दिलाया
2-उन्होंने कहा कि उद्धव क्या वैसा कर पाएंगे जैसा बाल ठाकरे ने किया था
3-शिंदे ने की महाराष्ट्र के हर जिले में सावरकर गौरव यात्रा निकालने की घोषणा

सावरकर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान से महाराष्ट्र में राजनीति गर्म है। कांग्रेस के सहयोगी उद्धव गुट ने भी राहुल के बयान पर नाराजगी जताई है। उधर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का एक वाकया याद दिलाकर उद्धव को ललकारा है। इसी के साथ उन्होंने महाराष्ट्र के हर जिले में सावरकर गौरव यात्रा निकालने का ऐलान किया है।

एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उद्धव ठाकरे से कई सवाल पूछे हैं। शिंदे ने कहा कि ‘ये (उद्धव) कह रहे हैं कि सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। मैं जानना चाहता हूं कि ये करेंगे क्या? जिस तरह से बालासाहेब ठाकरे ने मणिशंकर अय्यर के पुतले को जूतों से पीटा था, क्या वो भी वैसा ही करेंगे।’

मणिशंकर के पुतले को जूतों से पीटा था

जानकारी के लिए बता दें कि 2004 में तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री मणिशंकर अय्यर पर वीर सावरकर के अपमान करने का आरोप लगा था। तब बालासाहेब ठाकरे ने जूते मारो आंदोलन शुरू किया था। उनकी तरफ से भी अय्यर के पुतले पर जूता मारा गया था। अब उसी किस्से का जिक्र कर शिंदे, उद्धव से सवाल पूछ रहे हैं।

शिंदे ने आगे कहा, ‘हिम्मत है तो एमवीए से बाहर निकल कर दिखाएं।’ उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे की डबल भूमिका वाले इंसान की है। जिन्होंने सावरकर का अपमान किया, उनके साथ ठाकरे ने गठबंधन किया।

फडणवीस का उद्धव पर तंज

शिंदे ने कहा, ‘मैं वीर सावरकर पर राहुल गांधी के बयान की निंदा करता हूं। उन्होंने देश को आजादी दिलाने में महान भूमिका निभाई। ऐसे सेनानियों के योगदान से ही भारत को आजादी मिली। हम सावरकर गौरव यात्रा निकालने जा रहे हैं।’

फडणवीस ने भी इस मुद्दे पर उद्धव पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि ‘अगर विधानसभा में मेरे साथ थोड़ी देर चलकर उद्धव के विचार बदल गए, तो मैं कांग्रेस-एनसीबी के हर नेता के साथ चलने को तैयार हूं जिससे वे सावरकर जैसे राष्ट्रीय नेताओं का सम्मान करना सीख जाएं।’

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… सावरकर क्यों हैं महाराष्ट्र की कमजोर नस?

आइए बताते हैं कि क्यों वीर सावरकर महाराष्ट्र की राजनीति में राजनीतिक दलों के लिए एक कमजोर नस बने हुए हैं।

महाराष्ट्र में सावरकर को हिंदुत्व का प्रतीक माना जाता है
इस मामले में महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से जानने वाले डॉक्टर सुरेश माने ने  बताया कि मौजूदा समय में सावरकर हमारे बीच में नहीं हैं। इसलिए आज के समय में उनको टारगेट करने से राहुल गांधी को फायदा नहीं होगा। राहुल गांधी का सावरकर को बार-बार टारगेट करना ठीक नहीं है। अगर उन्हें मोदी को टारगेट करना है तो उन्हें सीधे मोदी पर हमला करना चाहिए। इसके अलावा अगर राहुल गांधी अगर आरएसएस को निशाना बनाना चाहते हैं तो सावरकर और आरएसएस का कोई आपसी संबंध नहीं था। सावरकर कभी भी आरएसएस का हिस्सा नहीं रहे हैं, हां यह बात सच है वो हिंदुत्व की विचारधारा वाले व्यक्ति थे उसको बढ़ाने वाले व्यक्ति थे। अकारण सावरकर को बीच में लेकर राहुल गांधी मजबूत होने की बजाय कमजोर होंगे।

‘गांधी माफ़ी नहीं मांगते’ इस सवाल पर माने ने कहा कि यह बातें आज के दौर में प्रासंगिक नहीं हैं। महात्मा गांधी भी भारत छोड़ो आंदोलन में पीछे हटे थे। ऐसे कई मौके थे जब महात्मा गांधी ने भी यह कदम उठाया था। इस वजह से कांग्रेस के कई नेता नाराज भी हुए थे। इसलिए इतिहास के गड़े मुर्दे उखाड़कर कुछ फायदा नहीं मिलेगा है। बेहतर होगा प्रधानमंत्री मोदी और उनकी पॉलिसी पर सवाल उठाकर आगे बढ़ें। सावरकर के मुद्दे पर भाजपा हो या शिवसेना कोई भी खामोश नहीं बैठ सकता क्योंकि इसकी राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हिंदुत्व है और महाराष्ट्र में सावरकर को हिंदुत्व का प्रतीक माना जाता है।

सावरकर का विरोध करना मतलब हिंदुत्व का विरोध

महाराष्ट्र के वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सचिन परब ने बताया कि यह बिलकुल सच है कि सावरकर हमेशा हिंदुत्व की आवाज बने थे। लेकिन यह भी सच है कि आरएसएस और सावरकर की हिंदू महासभा के बीच कभी नहीं बनी। हालांकि, दोनों ही हिंदुत्ववादी संगठन हैं। जिस तरह से हिंदुत्व के मुद्दे पर सावरकर मुखर थे। ऐसे में अगर भाजपा या शिवसेना उनका विरोध करेंगे तो वह लोग सीधे हिंदुत्व  विरोधी कहलायेंगे। जिस तरह से सावरकर ने विश्व स्तर हिंदुत्व का पहुंचाया, उसे देखते हुए आज के समय में सावरकर का विरोध करना मतलब हिंदुत्व का विरोध करना होगा। बालासाहेब से लेकर एनसीपी के शरद पवार भी सावरकर के हिंदुत्व की तारीफ कर चुके हैं।

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