सिख्स फार जस्टिस का किसान आंदोलन से क्या लेना-देना?

SFJ की भूमिका पर सवाल:26 जनवरी को खालिस्तानी झंडा फहराने के लिए इनाम घोषित करने वाले संगठन का किसान आंदोलन से क्या है कनेक्शन?

यह तस्वीर 2013 में ऑपरेशन ब्लू स्टार की 29वीं वर्षगांठ पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में खींची गई थी। (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील पीएस नरसिम्हा ने कोर्ट से कहा था कि SFJ किसानों के आंदोलन को फंड दे रहा है
किसान नेताओं का SFJ की इन अपीलों के बारे में कहना है, ‘विदेश में बैठ कर कोई क्या बोलता उससे हमें कोई लेना-देना नहीं’

सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन से जुड़ी एक पोस्ट इन दिनों वायरल हो रही है। इस पोस्ट में अपील की गई है कि 26 जनवरी के दिन जो भी इंडिया गेट पर खालिस्तानी झंडा फहराएगा, उसे ढाई लाख अमरीकी डॉलर (करीब 1.82 करोड़ रुपए) का इनाम दिया जाएगा। यह अपील प्रतिबंधित संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ यानी SFJ की ओर से की गई है। यह वही संगठन है जिसका जिक्र हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानूनों पर सुनवाई के दौरान हुआ था।

कृषि कानूनों पर सुनवाई के दौरान वकील पीएस नरसिम्हा ने कोर्ट से कहा था कि SFJ किसानों के आंदोलन को फंड दे रहा है और आंदोलन में इस संगठन की मौजूदगी बेहद खतरनाक है। अटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी कोर्ट में यह दावा किया कि हमें यह जानकारी मिली है कि आंदोलन में खालिस्तानी समर्थक घुस आए हैं और हम जल्द ही इंटेलिजेंस ब्यूरो के इनपुट के साथ यह बात शपथपत्र पर देने को तैयार हैं।

क्या है SFJ

SFJ एक अलगाववादी संगठन है जिसकी स्थापना 2007 में हुई थी। अमरीका स्थित इस संगठन का मकसद पंजाब में खालिस्तान नाम के एक स्वतंत्र और संप्रभु देश की स्थापना करना है। इस संगठन का सबसे प्रमुख चेहरा गुरपतवंत सिंह पन्नून हैं, जिन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की है। अब अमरीका में रहते हैं और SFJ के लीगल एडवाइजर भी हैं।

SFJ सबसे ज्यादा 2018 में सुर्खियों में आया, जब इसने लंदन में खालिस्तान के समर्थन में रैली निकाली और घोषणा की कि वह पंजाब को भारत से अलग करने के लिए एक जनमत संग्रह आयोजित करने जा रहा है। इस जनमत संग्रह को SFJ ने ‘रेफरेंडम 2020’ का नाम दिया था। संगठन ने घोषणा की थी कि पंजाब के साथ ही इस जनमत संग्रह में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले सिख भी हिस्सा लेंगे।

SFJ की गतिविधियां और जनाधार

इस वायरल पोस्ट में अपील की गई है कि आने वाली 26 जनवरी के दिन जो भी इंडिया गेट पर खालिस्तानी झंडा फहराएगा, उसे ढाई लाख अमरीकी डॉलर का इनाम दिया जाएगा।
इस वायरल पोस्ट में अपील की गई है कि आने वाली 26 जनवरी के दिन जो भी इंडिया गेट पर खालिस्तानी झंडा फहराएगा, उसे ढाई लाख अमरीकी डॉलर का इनाम दिया जाएगा।
सोशल मीडिया से इतर इस संगठन का कोई जनाधार नहीं है। सुर्खियों में बने रहने के लिए संगठन विवादास्पद अपील करता है और नए-नए तरीके निकालता रहता है। इसके संस्थापक गुरपतवंत सिंह खुद भी कई बार ऐसे ही तरीकों से सुर्खियां बटोर चुके हैं। वे 1984 के सिख विरोधी दंगों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ अमरीका में मुकदमा करके भी चर्चा में आ चुके हैं और 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी वे अमरीका में मुकदमा कर चुके हैं। फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन के खिलाफ भी वे मुकदमा कर चुके हैं और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को तो ऐसे ही मुकदमे के चलते 2016 में अपना कनाडा दौरा रद्द करना पड़ा था।

पिछले साल भी ऐसी ही अपील की थी

ऐसे में 26 जनवरी को खालिस्तानी झंडा फहराने की अपील करना इस संगठन के लिए कोई नई बात नहीं है। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर भी इस संगठन ने ऐसी ही एक अपील की थी, जिसके चलते पंजाब के कुछ इलाकों में लोगों ने डिप्टी कमिश्नर के ऑफिस में खालिस्तानी झंडा भी फहरा दिया था। इन लोगों के खिलाफ तब IPC की विभिन्न धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया था।

पंजाब के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने उस वक्त इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा था,‘SFJ का कोई जनाधार नहीं है। इसीलिए ये लोग पैसों का लालच देकर ऐसी देश विरोधी गतिविधियां करने के लिए गरीब लोगों को उकसाते हैं, जबकि खुद विदेशों में छिपकर बैठे हुए हैं। ऐसी कई हरकतें SFJ करता रहा है और इसके खिलाफ हम कार्रवाई कर रहे हैं।’

सिख स्कॉलर सुखप्रीत सिंह उधोके को खालिस्तानी बुक देते हुए रंजीत सिंह। पिछले दिनों किसान आंदोलन के दौरान सिंघु बॉर्डर से यह तस्वीर सामने आई थी।
सिख स्कॉलर सुखप्रीत सिंह उधोके को खालिस्तानी बुक देते हुए रंजीत सिंह। पिछले दिनों किसान आंदोलन के दौरान सिंघु बॉर्डर से यह तस्वीर सामने आई थी।

SFJ पर प्रतिबंध

2019 में भारत सरकार ने SFJ पर प्रतिबंध लगा दिया था। गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यानी UAPA के तहत इस संगठन से जुड़े 12 लोगों को सरकार ने आतंकवादी घोषित किया था, जिसमें गुरपतवंत सिंह पन्नून का नाम भी शामिल था। बीते साल NIA ने भी इस संगठन से जुड़े होने के आरोप में पंजाब के कुछ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि सिखों के लिए कथित जनमत संग्रह की आड़ में यह संगठन पंजाब में अलगाववाद और आतंकवादी मानसिकता को बढ़ावा दे रहा है। इस संगठन के तार पाकिस्तान से जुड़े होने के भी आरोप लगते रहे हैं।

पंजाब पुलिस ने अपनी जांच में यह भी पाया है कि ये संगठन कश्मीर में भी अलगाववाद को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है। संगठन पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले का पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी स्वागत किया था और कहा था कि यह देश को भारत-विरोधी और अलगाववादी ताकतों से बचाने की दिशा में पहला कदम है।

किसान आंदोलन में SFJ की भूमिका

यह पहला मौका नहीं है जब SFJ ने किसान आंदोलन में शामिल लोगों को पैसों का लालच देने की कोशिश की हो। बीते साल सितंबर में जब किसान आंदोलन पंजाब में मजबूत हो रहा था, तब भी SFJ ने यह घोषणा की थी कि उसकी ओर से आंदोलन में शामिल लोगों और पंजाब के किसानों को दस लाख अमरीकी डॉलर बांटे जाएंगे। SFJ ने किसानों से प्रधानमंत्री के घर का घेराव करने की अपील की थी। लेकिन इन तमाम अपीलों से आंदोलन में शामिल लोग इत्तेफाक नहीं रखते।

किसान नेताओं का SFJ की इन अपीलों के बारे में कहना है कि विदेश में बैठ कर कोई क्या बोलता उससे हमें कोई लेना-देना नहीं है। हम लोगों का आंदोलन जिस तरह से अब तक शांतिपूर्ण और कानून के दायरे में रहा है, वैसे ही आगे भी रहेगा। अगर कोई संगठन कोई भी देश-विरोधी अपील कर रहा है, तो सरकार को उसके खिलाफ कदम उठाना चाहिए और उसे गिरफ्तार करना चाहिए। उसकी आड़ में आंदोलन को बदनाम करना ठीक नहीं है।

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