खालिस्तानी एसएफजे के पीछे एनआईए ,दो पत्रकारों व 18 किसान नेताओं को समन
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सिख फॉर जस्टिस मामले में NIA सख्त, दो पत्रकारों समेत किसान नेताओं को किया तलब
एफआईआर में एनआईए ने आरोप लगाया है कि एक गैर-कानूनी संगठन एसएफजे और अन्य खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों ने भय और अराजकता का माहौल बनाने के लिए एक साजिश रची है। आरोप लगाया गया है कि ऐसे अलगाववादी संगठनों ने सरकार के खिलाफ विद्रोह के लिए लोगों को उकसाने का काम किया है।
हाइलाइट्स:
एनआईए ने जांच के सिलसिले में कई लोगों को नोटिस भेजा
किसान संगठन के नेता बलदेव सिंह सिरसा को भी पूछताछ के लिए बुलाया, उन्होंने पेश होने से किया इंकार
ये समूह आतंकवादी कार्रवाई करने के लिए युवाओं को उग्र और कट्टरपंथी बना रहे- एनआईए
नई दिल्ली 16 जनवरी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) मामले में दो दर्जन लोगों को नोटिस भेजे हैं, जिनमें दो पत्रकार और बाकी कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन से जुड़े किसान नेता और अन्य शामिल हैं। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
एनआईए की मारक प्रभान्विता कश्मीरी अलगाववादियों की कमर तोड़ने में उनकी वित्तीय सप्लाई तोड़ने में देश के सामने है। संभवतः उसी के दर्द में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने खालिस्तानियों को नोटिस जारी होने पर एक दर्दभरा ट्वीट करते हुए एन आई ऐ को सरकार की पालतू एजेंसी बताया है।
NIA ने भेजे नोटिस
एनआईए के एक अधिकारी ने कहा, ‘एनआईए ने जांच के सिलसिले में कई लोगों को नोटिस भेजा है।’ अधिकारी ने कहा कि मामले के कुछ विवरणों का पता लगाने के लिए उन्हें गवाह के रूप में बुलाया गया है। यह पूछे जाने पर कि पत्रकार के अलावा और किसे तलब किया गया है, इस पर अधिकारी ने कहा,’मैं विशेष रूप से उन व्यक्तियों के पेशे के बारे में नहीं कह सकता,जिन्हें जांच के लिए बुलाया गया है।’
एजेंसी ने गवाह के रूप में बुलाया
अधिकारी ने कहा कि एजेंसी ने कई लोगों को जांच के लिए गवाह के रूप में बुलाया है। अधिकारी ने कहा,’उन्हें जांच के लिए कुछ विवरणों की पड़ताल करने के लिए बुलाया गया है।’ राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आतंकी फंडिंग से जुड़े मामले में किसान संगठन के नेता बलदेव सिंह सिरसा को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी (एलबीआईडब्ल्यूएस) के अध्यक्ष सिरसा का संगठन उन किसान संगठनों में शामिल है,जो केंद्र के साथ बातचीत में शामिल है।
17 जनवरी को पूछताछ के लिए एजेंसी के सामने पेश
एनआईए के समन के अनुसार, बलदेव सिंह सिरसा को 17 जनवरी को पूछताछ के लिए एजेंसी के सामने पेश होना है। सिंह के अलावा सुरेंद्र सिंह, पलविंदर सिंह, प्रदीप सिंह, नोबेलजीत सिंह और करनैल सिंह को भी 17 और 18 जनवरी को एजेंसी के सामने पेश होने को कहा गया है। एनआईए ने पिछले साल 15 दिसंबर को आईपीसी की कई धाराओं सहित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) में एक मामला दर्ज किया था।
यह है आरोप
प्राथमिकी में यह भी कहा गया है कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और अन्य देशों में जमीनी स्तर पर अभियान तेज करने और प्रचार के लिए भारी मात्रा में धन भी एकत्र किया जा रहा है। इन अभियानों को नामित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू, परमजीत सिंह पम्मा, हरदीप सिंह निज्जर और अन्य द्वारा चलाया जा रहा है।
एनआईए ने लगाए ये आरोप
एनआईए की प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया गया कि इस साजिश में शामिल एसएफजे और अन्य खालिस्तानी समर्थक तत्व लगातार सोशल मीडिया अभियान और अन्य माध्यमों से भारत में अलगाववाद के बीज बो रहा है।
सिरसा बगावत के मूड में, नहीं होंगे पेश
किसान आंदोलन से जुड़े 20 लोगों को NIA का समन:इन पर खालिस्तानी समर्थक होने का आरोप, किसान नेता बोले- 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के डर से ऐसा कर रही सरकार
लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी (LBIWS) के प्रधान बलदेव सिंह सिरसा। फाइल फोटो
कृषि कानूनों पर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बात बनती नहीं नजर आ रही है। इस बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने किसान आंदोलन में सक्रिय 20 लोगों को समन भेजे हैं। यह समन 15 दिसंबर 2020 को सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के खिलाफ दर्ज एक मुकदमे के संबंध मे भेजे गए हैं। वहीं, किसान नेताओं का कहना है कि सरकार किसानों की 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड की घोषणा से घबराई हुई है, इसलिए हड़बड़ाहट में ऐसे कदम उठा रही है। किसान संगठन जल्द ही इस बारे में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर सकते हैं।
किन लोगों को भेजे गए हैं नोटिस
जिन लोगों को NIA के नोटिस मिले हैं, उनमें लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी (LBIWS) के प्रधान बलदेव सिंह सिरसा और उनके बेटे मेहताब सिंह सिरसा का भी नाम शामिल है। इन्हें 17 जनवरी को NIA के दिल्ली हेडक्वार्टर में पेश होने को कहा गया है। वहीं सिख यूथ फेडरेशन भिंडरावाला के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भाई रणजीत सिंह दमदमी टकसाल, मनदीप सिद्धू, अभिनेता दीप सिद्धू के भाई, नोहजीत सिंह बुलोवाल, प्रदीप सिंह लुधियाना, परमजीत सिंह अकाली, पलविंदर सिंह अमरकोट, गुरमत प्रचार सेवा लीहर के नेता सुरिंदर सिंह ठिक्रीवाला, केटीवी के पत्रकार जसवीर सिंह मुक्तसर, अकाल चैनल के पत्रकार तेजिंदरपाल सिंह, बंदी सिंह रिहाई मोर्चा के नेता मोजंग सिंह लुधियाना को भी NIA ने समन भेजे हैं। इन सबको 21 जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
FIR में कहा- खालिस्तानी समर्थकों को विदेशों से मिल रहा पैसा
NIA ने यह मुकदमा 15 दिसंबर को ही दर्ज कर लिया था। जिसकी FIR संख्या RC-40/2020/NIA/DELHI। है। इसमें सिख फॉर जस्टिस को एक गैरकानूनी संगठन बताया गया है। मामला UAPA,1967 के तहत दर्ज किया गया है। केंद्र सरकार में अंडर सेक्रेटरी राजीव कुमार की ओर से दर्ज कराई गई FIR के मुताबिक, ‘भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और कई देशों में भारतीय दूतावासों पर प्रदर्शन और प्रोपेगैंडा करने के लिए विदेशों में बड़ी मात्रा में पैसा इकट्ठा किया जा रहा है। इस पैसे को गैर सरकारी संगठनों के जरिए भारत में खालिस्तान समर्थकों को भेजा जा रहा है।
26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड से डरकर सरकार ऐसा कर रही
किसान आंदोलन में सक्रिय रणजीत सिंह दमदमी टकसाल को भी NIA का नोटिस मिला है। उन्होंने भास्कर से कहा, ‘केंद्र सरकार किसान आंदोलन को तोड़ने के लिए सिख युवाओं को समन भिजवाकर डर और दहशत फैलाना चाहती है। ताकि वे किसान आंदोलन से पीछे हट जाएं। सरकार 26 जनवरी की हमारी ट्रैक्टर परेड से घबरा गई है। इसलिए ऐसे हथकंडे अपना रही है।’
NIA की जया रॉय से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा, ‘ये केस सिख फॉर जस्टिस से संबंधित हैं। इसमें करीब 20 लोगों को पूछताछ के लिए समन भेजे गए हैं। इनको बतौर गवाह बुलाया गया है। इनका इसमें क्या रोल है ये कॉन्फिडेंशियल है। ऐसे में ज्यादा कुछ नहीं बता सकती हूं।’
बलदेव सिंह सिरसा बोले- नहीं होऊंगा NIA के सामने पेश
NIA के नोटिस पर बलदेव सिंह सिरसा ने कहा, ‘मुझे शुक्रवार को करीब 12 बजे वॉट्सऐप के जरिए NIA का समन मिला था। केंद्र सरकार किसान आंदोलन के सामने हार चुकी है। लेकिन, वो इसे मानने को तैयार नहीं है। पहले मंत्रियों को आगे करके वार्ता की, लेकिन बात नहीं बनी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट की मदद ली। सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी भी सफल नहीं हुई और उस पर उंगलियां उठ रही हैं।
अब सरकार NIA जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। लेकिन, हम हार नहीं मानेंगे। हम पहले भी किसान संघर्ष को समर्थन कर रहे थे, आगे भी करते रहेंगे। इसके साथ ही मैं ये कहना चाहता हूं कि किसान जत्थेबंदियों ने मुझे NIA के सामने पेश होने से मना किया है। इसलिए जो जत्थेबंदियां कहेंगी, वही मैं करुंगा। मैं NIA के सामने पेश नहीं होऊंगा।