बांबे हाईकोर्ट के ‘स्किन टू स्किन’फैसले पर सुको से रोक
विवादित फैसले पर सुनवाई:बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था- स्किन टू स्किन टच नहीं हुआ तो यह यौन अपराध नहीं; इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
नई दिल्ली 27 जनवरी ््। सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें उसने कहा था कि नाबालिग लड़की के ब्रेस्ट को कपड़े के ऊपर से छूना पॉक्सो एक्ट के तहत यौन हमला नहीं कहा जा सकता। इसके लिए स्किन टू स्किन टच होना जरूरी है। यूथ एसोसिएशन ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने आरोपी को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है।
39 साल के आरोपित ने 12 साल की किशोरी से की थी छेड़खानी
मामला नागपुर का है। वहां रहने वाली 16 साल की लड़की की ओर से यह केस दायर किया गया था। घटना के समय उसकी उम्र 12 साल और आरोपित की उम्र 39 साल थी। पीड़ित के मुताबिक, दिसंबर 2016 में आरोपित सतीश उसे खाने का सामान देने के बहाने अपने घर ले गया था। उसके ब्रेस्ट को छूने और निर्वस्त्र करने की कोशिश की थी। सेशन कोर्ट ने इस मामले में पॉक्सो एक्ट में तीन साल और IPC की धारा 354 में एक साल की सजा सुनाई थी। ये दोनों सजाएं एक साथ चलनी थीं।
HC की महिला जज ने फैसला बदला
मामला बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच की जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने 19 जनवरी को अपने आदेश में कहा था कि ब्रेस्ट को कपड़े के ऊपर से सिर्फ छूने भर को यौन हमला नहीं कहा जा सकता। जस्टिस गनेडीवाला ने सेशन कोर्ट के फैसले में संशोधन करते हुए दोषी को पॉक्सो एक्ट में दी गई सजा से बरी कर दिया था जबकि IPC की धारा 354 में सुनाई गई एक साल की कैद को बरकरार रखा था।
क्या है पॉक्सो एक्ट?
पॉक्सो एक्ट में, गलत नीयत से किसी बच्चे का सीना, जननांग छूना या फिर उससे ऐसा कराना। या ऐसी हरकत करना जिसमें फिजिकल कॉन्टैक्ट होता हो, ये सभी चीजें पॉक्सो एक्ट में यौन शोषण हैं।