त्रिवेंद्र मामले में एसएलपी वापस लेने से पीछे हटी धामी सरकार
DHAMI GOVERNMENT WILL NOT WITHDRAW SLP FROM SUPREME COURT
उत्तराखंड सरकार राजद्रोह मामले में वापस नहीं लेगी एसएलपी, विवाद के बाद बदला फैसला
सुप्रीम कोर्ट एसएलपी वापस लेने पर धामी सरकार ने यू टर्न (Dhami government U turn on SLP issue) ले लिया है. धामी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई एसएलपी को यथावत रखने का फैसला लिया है. बताया जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की नाराजगी के बाद धामी सरकार ने ये फैसला लिया है.
देहरादून 19 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस (Dhami government on SLP case) लिए जाने पर हुए राजनीतिक बवाल के बाद आखिरकार धामी सरकार ने कदम पीछे खींच लिए हैं. शासन ने अब हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई एसएलपी को यथावत रखने का फैसला (Decision to keep SLP intact) ले लिया है. जिसके लिए बकायदा शासन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को देख रहे एडवोकेट को पत्र भेज दिया गया है.
उत्तराखंड में पिछले 24 घंटों के दौरान राजनीतिक रूप से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार वर्सेस उत्तराखंड सरकार से जुड़ी वह याचिका चर्चाओं में रही जिसमें उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ना लड़ने का फैसला किया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेने की बात सामने आने के बाद से ही भाजपा के भीतर भारी द्वंद दिखाई दे रहा था.
सरकार की तरफ से एडवोकेट को भेजा गया पत्र.बता दें कि 2020 में उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई थी, जिसमें हाई कोर्ट ने उमेश कुमार से राजद्रोह का मामला हटाने और त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) से जुड़े एक मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. हालांकि, इस मामले में त्रिवेंद्र सिंह रावत निजी रूप से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगा चुके थे, लेकिन उस दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री होने के चलते उत्तराखंड सरकार ने भी इस पर एसएलपी लगाई थी.
खबर है कि अब धामी सरकार ने त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) पर सीबीआई जांच और उमेश कुमार से राजद्रोह हटाने के इस मामले में विवाद को बढ़ता देख कदम पीछे खींच लिए हैं. इस मामले पर बकायदा शासन ने सुप्रीम कोर्ट के सरकार के वकील को एसएलपी के यथावत रखे जाने का पत्र भी भेज दिया है. वहीं, त्रिवेंद्र सिंह रावत पिछले 2 दिनों से लगातार दिल्ली में हैं. बताया जा रहा है कि वह पुष्कर सिंह धामी सरकार के इस तरह खुद से जुड़े मामले पर याचिका वापस लेने से नाराज थे. ऐसे में भारी दबाव के बाद सरकार को अपने इस फैसले को वापस लेना पड़ा है.
त्रिवेंद्र मामले में एसएलपी वापस का निर्णय निरस्त, गृह विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में शासकीय अधिवक्ता को भेजा पत्र
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से जुड़े एसएलपी प्रकरण में सरकार ने कदम पीछे खींचे हैं।
सरकार ने इसी वर्ष सितंबर में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के सीबीआइ जांच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका को वापस लेने के लिए पत्र लिखा था जिसे अब निरस्त कर दिया गया है।
राजनीतिक गलियारों में पिछले चार दिन से चर्चा का विषय बने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से जुड़े एसएलपी प्रकरण में सरकार ने कदम पीछे खींचे हैं। शासन ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी वापस लेने संबंधी पत्र को निरस्त कर दिया है। सरकार ने इसी वर्ष सितंबर में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के सीबीआइ जांच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका को वापस लेने के लिए पत्र लिखा था, जिसे अब निरस्त कर दिया गया है।
उत्तराखंड में गर्मा गई थी राजनीति
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले में हाईकोर्ट के सीबीआइ जांच के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली एसएलपी वापस लेने की तैयारी की चर्चा से उत्तराखंड में राजनीति गर्मा गई थी। विपक्ष ने इसे लेकर सरकार व भाजपा संगठन की घेराबंदी शुरू कर दी थी। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में भी मामले का संज्ञान लिया। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दिल्ली दौरे को भी इससे जोड़कर देखा गया।
प्रदेश सरकार ने आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
मामले को तूल पकड़ता देख बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने इस पत्र को निरस्त कर दिया है। दरअसल, हाईकोर्ट ने 27 अक्टूबर 2020 को उमेश कुमार शर्मा व अन्य मामले में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआइ जांच का आदेश दिया था। प्रदेश सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। तब से यह वाद सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इस बीच बीती 26 सितंबर को प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड बनाम उमेश कुमार शर्मा व अन्य से संबंधित वाद को वापस लेने का निर्णय लिया। उमेश वर्तमान में हरिद्वार जिले की खानपुर सीट से निर्दलीय विधायक हैं।
मामला उछला तो विपक्ष ने भी मसले को लपक लिया
इस संबंध में गृह विभाग से पत्र भी जारी किया गया। इस पर सुप्रीम कोर्ट में वाद वापस लेने की कवायद शुरू हुई। इस बीच यह मामला सुर्खियां बना तो विपक्ष ने भी इस मसले को लपक लिया। इसे भाजपा की अंदरुनी राजनीति से जोड़कर देखा गया। अब सरकार ने इस पत्र को निरस्त करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में उप सचिव गृह अखिलेश मिश्रा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में तैनात एडवोकेट आन रिकार्ड वंशजा शुक्ला को पत्र लिखकर वाद वापस लिए जाने संबंधी पत्र को निरस्त करने की जानकारी दी है। इसके साथ ही शासन ने उनसे इस वाद पर पूर्व की भांति आवश्यक कार्यवाही करने को कहा है।