कथित पत्रकार सिद्दीक कप्पन ने दिये थे कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा की हत्या के आदेश
जाटों और गुर्जरों को एकजुट कर के रोक लिया था हिन्दुओं का नरसंहार, भड़के सिद्दीक कप्पन ने जारी किया था कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा की मौत का फरमान
PFI का सिद्दीक कप्पन (किनारे बड़ा फोटो) । ऊपर कपिल मिश्रा ,नीचे परवेश वर्मा
PFI के हिट दस्ते से कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा की हत्या करवाना चाहता था सिद्दीक कप्पन
नई दिल्ली 19 मार्च 2024। UAPA में 2 साल से ज्यादा समय तक जेल यात्री केरल के कथित पत्रकार सिद्दीक कप्पन के बारे में नई जानकारी आई है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सिद्दीक कप्पन ने आतंकी संगठन PFI को भाजपा नेता कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा की हत्या करने को कहा था। यह खुलासा NIA (राष्ट्रीय जाँच एजेंसी) की PFI कमांडर कमाल केपी से पूछताछ में हुआ है। UP ATS के गिरफ्तार कमाल केपी फिलहाल लखनऊ जेल में है।
केरल के एक स्थानीय मलयालम मीडिया आउटलेट जन्मभूमि ने मंगलवार (19 मार्च, 2024) को इस बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में 2020 के हिन्दू विरोधी दंगों में प्रतिबंधित आतंकी संगठन PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया) हिन्दुओं को बहुत बड़े स्तर पर नुकसान पहुँचाने में विफल रहा था। इसकी वजह सिद्दीक कप्पन भाजपा नेता कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा को मानता था। उसे लगता था कि कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा ने गुर्जरों और जाटों को हिंसक उपद्रवियों के खिलाफ एकजुट किया।
कप्पन को लगता था कि जाटों और गुर्जरों के कड़े प्रतिरोध से हिंसक भीड़ हिन्दुओं को उतना नुकसान नहीं पहुँचा सकी जितना साजिशकर्ता PFI का इरादा था। वह हिन्दुओं के इस प्रतिरोध का कारण कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा को मानता था। बताया जा रहा है कि सितंबर 2020 में केरल के मलप्पुरम की मंजरी नाम की जगह पर मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग में PFI की हिट स्क्वाड का कमांडर कमाल केपी अपने सहयोगियों बदरुद्दीन और फ़िरोज़ खान के साथ मौजूद था।
तब सिद्दीक कप्पन ने इन्हें सम्बोधित करते हुए कहा था कि जाटों और गुर्जरों को एकजुट कर कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा ने वो कर दिखाया जो दिल्ली पुलिस भी नहीं कर पाई। अंत में उसने PFI की हिट स्क्वायड को निर्देश दिया कि वो कपिल मिश्रा और परवेश वर्मां की हत्या कर दें। इस षड्यंत्र का अनावरण PFI के हिट स्क्वाड गैंग के कमांडर कमाल केपी से NIA की पूछताछ बाद हुआ। उस पर साल 2020 में हाथरस में दलित महिला की मौत के बाद हाथरस में अशांति फैलाने का आरोप है।
केरल के मलप्पुरम निवासी कमाल को उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने 3 मार्च 2023 को गिरफ्तार किया था। तब से वह लखनऊ जेल में बंद है। कमाल केपी PFI के हिट स्क्वायड के अन्य सदस्यों बदरुद्दीन और फ़िरोज़ खान का लीडर था। कमाल की तरह बदरुद्दीन और फ़िरोज़ भी गिरफ्तार किये जा चुके हैं। कमाल केपी पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) के टॉप 5 सदस्यों में से एक है। दावा यह भी है कि बदरुद्दीन और फ़िरोज़ खान सिद्दीक कप्पन के साथ दिल्ली भी आए थे। यहाँ ये तीनों एक साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन (NCHRO) के ऑफिस भी गए थे।
दिल्ली दंगों के मात्र कुछ ही दोनों बाद उत्तर प्रदेश में हाथरस की घटना हुई थी। तब सिद्दीक कप्पन एक कार से हाथरस जा रहा था। आरोप है कि इस कार में PFI की छात्र शाखा CFI (कैम्पस फ्रंट ऑफ़ इंडिया) के कुछ अन्य सदस्य भी थे। बदरुद्दीन और फ़िरोज़ को एक दूसरी कार से कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा को ठिकाने लगाने भेजा गया था। यह षड्यंत्र तब फेल हो गया जब 5 अक्टूबर 2020 को UP पुलिस ने हाथरस जाते समय कप्पन को गिरफ्तार कर लिया था।
कप्पन के पकड़े जाने की खबर सुन कर बदरुद्दीन और फिरोज खान डर गए। उन्होंने अपना प्लान कैंसिल कर दिया । हाथरस की घटना के चार महीने बाद फरवरी 2021 में UP ATS ने बदरुद्दीन और फ़िरोज़ खान को गिरफ्तार कर लिया। आरोप है कि ये दोनों लखनऊ और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में विस्फोट करने वाले थे। दोनों के पास से बंदूकें और विस्फोटक भी मिले थे। पूछताछ में इन दोनों ने अपने लीडर कमाल केपी का नाम लिया था। आखिरकार 2 साल तक भागे रहने के बाद 4 मार्च 2023 को कमाल केपी को भी UP ATS ने दबोच लिया। उसे लखनऊ जेल में रखा गया जहाँ NIA ने उस से पूछताछ की। दावा किया जा रहा है कि इसी पूछताछ में कमाल केपी ने कपिल मिश्रा और परवेश वर्मा की हत्या के षड्यंत्र का अनावरण किया।
बताया यह भी जा रहा है कि फ़िरोज़ खान और बदरुद्दीन ने भी मजिस्ट्रेटी बयान में यह स्वीकार किया है कि कमाल केपी की तरफ से उन्हें दोनों भाजपा नेताओं की हत्या के निर्देश थे। इसी बयान में इन दोनों आरोपितों ने आगे बताया था कि सिद्दीकी कप्पन ने PFI के इस हिट दस्ते को भाजपा नेताओं की हत्या को तैयार करने वाली मानसिक ट्रेनिंग दी थी। UP पुलिस की चार्जशीट में भी यह बताया गया है कि कप्पन प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) का सदस्य है।
कप्पन को 9 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने UAPA एक्ट में जमानत दे दी थी। जमानत का आधार उसके मीडिया में काम करने को बनाया गया था। हालाँकि अपने खिलाफ चल रहे धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के एक अन्य मुकदमे की वजह से वह जेल में ही रहा था। इस केस में भी उसे फरवरी 2023 में लखनऊ की सत्र अदालत से जमानत मिल गई थी। इसके बाद लगभग 26 माह तक जेल में रहे कप्पन की रिहाई हुई थी । फिरोज खान, कमाल केपी और अंशद बदरुद्दीन अभी भी लखनऊ जेल में हैं।
बताते चलें कि 24 और 25 फरवरी 2020 को भारत की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बड़े पैमाने पर हिंदू विरोधी दंगे हुए थे। ये दंगे लम्बे समय से शाहीन बाग और अन्य क्षेत्रों में चरमपंथियों की CAA को ले कर फैलाई गई नफरत की उपज थे। इन दंगों में शाहदरा,मौजपुर,भजनपुरा,ब्रह्मपुरी और पूर्वोत्तर दिल्ली के अन्य हिस्से सबसे अधिक प्रभावित हुए। इन दंगों में 53 लोगों की जान चली गई थी जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए। मृतकों और घायलों में दिल्ली पुलिस के स्टाफ भी शामिल हैं।
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