सोशल मीडिया: अफगानियों, जो बोया है,वो काटो
* जो बोए हो वो काटो..!!*
अफगानियों !
तुम्हारे पास अल्लाह ताला का मुकम्मल दीन है,
शरीया कानून है,
पांचों वक्त की नमाज है, पर्दा और बुर्का है,
ट्रिपल तलाक है,
4 निकाह और 84 मुताह है, हर रोज हलाला है,
कभी रजिया कभी मलाला है,
ऊपर वाले की गाज है,
कोढ़ में खाज है,
दूर-दूर तक कोई बुत या बुत परस्त नहीं है,
तुम्हारे अड़ोस-पड़ोस में कोई काफिर नहीं है जिससे तुम्हें डर लगे,
तुम्हारे कानों में मंदिर की आरती या गुरुद्वारे से गुरुवाणी नहीं पहुंचती, होली का हुड़दंग नहीं है, दिवाली की आतिशबाजी नहीं है,
शिवरात्रि पर दूध की बर्बादी नहीं है,
चकाचक पांचों वक्त गाय, भैंस, घोड़ा, गधा कुछ भी खा सकते हो,
चारों ओर सिर्फ तुम ही तुम हो,
तुम्हारा दीन पूरी दुनिया को अमन तथा भाईचारे का संदेश दे रहा है…
जो-जो तुम्हें चाहिए, वो सबकुछ तुम्हें वहां मयस्सर है..
फिर भी तुम्हारी क्यों बनी पड़ी है..?
अपना वतन, अपना मुल्क छोड़कर क्यों भागे जा रहे हो..?
दरअसल तुम इस धरती की वो नमक हराम नस्ल हो..
कि पेट भरते ही जिसने तुम्हें पाला है .. सबसे पहले उसी को काटोगे..
अमेरिका ने तुम्हें देख लिया, यूरोप ने भी तुम्हें देख लिया..
जैसे ही तुम्हारा पेट भरेगा, तुम फिर इसी शरिया कानून की मांग करोगे.. जिससे आज बचकर भाग रहे हो,
क्योंकि मदरसों में तुम्हारी प्रोग्रामिंग ही इसी तरह से की जाती है।
तुम्हारे दिमाग का सॉफ्टवेयर जानबूझकर करप्ट कर दिया जाता है।
आज जिनसे जान बचाकर तुम भाग रहे हो..
दूसरे मुल्क में बसते ही यही लोग तुमसे फिर संपर्क करेंगे..
और तुमसे वहां शरीया कानून की मांग कराएंगे। और तुम यह मांग खुशी-खुशी करोगे।
उस नए मुल्क में भी दंगा करोगे, फसाद करोगे..
वहां के झंडे जलाओगे,
वहीं के मूल नागरिकों से जलन रखोगे..
वहां की पुलिस और सेना पर पथराव करोगे…
फिर तुम उस देश को भी अफगानिस्तान बना दोगे..। जब वहां पर भी तुम्हारे काले तिरपाल वाले भाई जान शरिया कानून लागू कर देंगे..
तो उस शरिया से अपना पिछवाड़ा बचाने के लिए फिर से किसी नए मुल्क में पनाह लोगे..
यह दुष्चक्र अनंत काल तक चलता रहेगा..
क्योंकि तुम्हारे पास कोई ‘फिलोसॉफी आफ लाइफ’ ही नहीं है..
तुम्हारे पास सिर्फ ‘फिलोसॉफी आफ डेथ’ है.. सिर्फ मौत का फलसफा है।
यह तुम्हारे तथाकथित अल्लाह का तुम पर करम है..
कि अभी तक सारी दुनिया में तुम्हारी हुकूमत नहीं हुई है..
वरना सोच कर देखो..
अगर सारी दुनिया में तुम्हारी हुकूमत होती..
तो तुम खुद से, अपने मजहबी भाईजानों से भाग कर कहां जाते..?
इसलिए जहां हो, वहीं पड़े रहो।
गंदगी चारों ओर फैले, इससे बेहतर है कि जहां है, वहीं पड़ी रहे।
अब तुम्हारे आंसुओं के झांसे में आकर दुनिया का कोई भी देश तुम्हें “पनाह” नहीं देने वाला।
तुम्हें पनाह क्यों मिलेगी..?
तुमने आज तक दुनिया को नफरत, दंगा-फसाद, लड़ाई झगड़ा, कत्लो-गारद, खून-खराबा, लूट, हत्या, बलात्कार .. के अलावा दिया ही क्या है..?
अब तुम्हें कहीं भी पनाह नहीं मिलेगी..
इसलिए हमारी तरफ से तो खुदा हाफिज..!
जो बोए हो, वो काटो..!
@ गजेंद्र पंवार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड की फेसबुक से साभार