अध्ययन: सुपर स्टोर, मॉल और सेल तो है ही लूट खसोट को
बंपर छूट के नाम पर फालतू शॉपिंग:कैसे बेवकूफ बन रहे आप, मॉल का डिजाइन ही फंसाने के लिए बना है, समझिए कैसे
देहरादून 06 मार्च। फेस्टिव सीजन के नाम पर सेल सबको अट्रैक्ट करती है। त्योहारों के आने के पहले ही ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर सेल सेल सेल दिखाई देने लगती है।
वहीं बड़े-बड़े शॉपिंग मॉल, ब्रांड्स के रिटेल स्टोर्स में आए दिन सेल चलती रहती है।
इस समय ऑन लाइन और ऑफ लाइन होली सेल चल रही है। इसके बाद नवरात्रि स्पेशल चलने लगेगी।
आप भी इसे सुनहरा मौका समझकर शॉपिंग कर खुद को लकी समझेंगे।
ऐसे ही लोगों को बता दें कि हाल ही में फ्लोरिडा और केरोलिना यूनिवर्सिटी के शोध में सामने आया कि इस तरह रिटेलर्स कस्टमर्स का बेवकूफ बनाकर मुनाफा कमाते हैं।
सेल के नाम पर कस्टमर कैसे बेवकूफ बनाते हैं और किस तरह से आप खुद को सेल की मायाजाल से निकाल सकते हैं, समझते हैं जरूरत की खबर में………..
सवाल
क्या वाकई में शॉपिंग मॉल, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और बड़े रिटेल स्टोर्स पर ग्राहकों को बेवकूफ बनाया जा रहा है?
जवाब
शॉपिंग मॉल, ऑनलाइम प्लेटफॉर्म और बड़े रिटेल स्टोर्स में कस्टमर्स को ऐसे ठग रहे हैं…
शॉपिंग मॉल में जानबूझकर कौन सा सामान कहां रखा है इसका डायरेक्शन क्लियर नहीं होता। इससे यह होता है कि जो चीज आप खरीदने आएं हैं, उसे ढूंढते-ढूंढते आप कई ऐसी चीजों को देखकर खरीदने का प्लान करते हैं जो आपकी जरूरत की नहीं होती।
मॉल में ज्यादा खिड़कियां और दरवाजें नहीं बनाएं जाते। इससे ग्राहक बाहर की दुनिया से पूरी तरह कट जाते हैं। वो अंदर की चकाचौंध में फंसा रह जाता।
मॉल में हमेशा महंगे आइटम पर ऑफर लगते रहते हैं। साथ ही उसके पास सस्ते दामों वाले कई आइटम रखे जाते हैं। जिससे लोग महंगी ऑफर वाली चीजों को तो पसंद करते ही हैं, लेकिन पास रखी सस्ती चीज भी देखकर खुश हो जाते हैं और खरीदने का मन बना लेते हैं।
शॉपिंग मॉल को इस तरह डिजाइन किया जाता है कि लोग उनकी तरफ आकर्षित हो जाएं और वहां ज्यादा टाइम स्पेंड करें।
यहां मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) यानी अधिकतम खुदरा मूल्य बढ़ाकर उस पर डिस्काउंट देते हैं।
शॉपिंग मॉल में जब भी आप राइट टर्न लेंगे, आपको एक आकर्षक ऑफर दिखेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर लोग राइट साइड की चीजों की ओर जल्दी आकर्षित हो जाते हैं। इसलिए मॉल में ज्यादातर ऑफर राइट साइड पर ही लगाए जाते हैं।
सामानों पर ऐसी डील लगाते हैं कि कस्टमर्स को खूब सारा लेने का मन करने लगता है और ग्राहक ज्यादा से ज्यादा खरीद लगते हैं।
सवाल
हम समझ गए कि मॉल और सुपरमार्केट वाले किस तरह से हमें बेवकूफ बनाने की स्ट्रैटजी या रणनीति तय करते हैं, अब यह बताएं कि हम यानी कस्टमर्स कैसे उनके झांसे में फंसते हैं?
जवाब
इस तरह कस्टमर्स बन रहे हैं बेवकूफ…
सामानों की लालच और अपनी बचत करने के चक्कर में आम आदमी इनके जाल में फंस जाता है।
समय-समय पर पुराना माल बेचने के लिए सेल लगाकर प्रोडक्ट्स बेचने लगते हैं।
जब कहा जाता है कि ऑफर लिमिटेड टाइम के लिए है तो कस्टमर्स तुरंत उसका फायदा उठाना चाहते हैं।
शॉपिंग मॉल में हर महीने चीजों की जगह बदल दी जाती है।
महंगे प्रोडक्ट्स आंख के सामने रखे जाते हैं। ऑनलाइन स्टोर्स पर महंगी चीजें आसानी से ऑफर के साथ मिल जाती हैं।
हर जगह आपका मोबाइल नंबर और ईमेल मांगा जाता है। जिससे समय-समय पर कस्टमर्स को ऑफर्स के बारे में बताया जाता है।
ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म या शॉपिंग मॉल में भी ज्यादा खर्च करने पर फ्री शिपिंग का ऑफर दिया जाता है।
प्रोडक्ट्स पर 199, 99, 599 रुपए लिखा होता है। इससे आप ये सोचते हैं कि चलो 100 रुपए से कम का है या 600 से कम में पड़ा।
ऑफर होने के बाद भी दामों में कोई न कोई चार्ज लगाकर पैसे वसूल लेते हैं।
सवाल
क्या इस तरह की धोखाधड़ी के खिलाफ कोई कानून नहीं है?
जवाब
लखनऊ हाईकोर्ट के एडवोकेट, नवनीत मिश्रा कहते हैं, कोई कंपनी इस तरह का कोई लालच देती है जिससे किसी व्यक्ति के विधिक अधिकारों का हनन होता है और उसका समय, मेहनत, धन बर्बाद हुआ है तो वो कोर्ट जाकर उसके खिलाफ अपने नुकसान की मांग कर सकता है। यह भी याद रखें कि इस पर कोई अपराधिक मामला नहीं बनता है।
सवाल
आजकल इन सब जगहों पर सेल और डिस्काउंट भी काफी मिलता है। क्या इससे कंपनियों को कोई फायदा होता है?
जवाब
हां बिल्कुल। इससे सिर्फ कंपनियों का ही फायदा होता है। वो अपने प्रोडक्ट की MRP बढ़ाकर डिस्काउंट देने का दावा करती हैं। डिस्काउंट देखकर कस्टमर वो चीजें भी खरीद लेते हैं जिनकी उन्हें उस समय जरूरत नहीं होती। इस तरह डिस्काउंट कहकर कंपनियां अपनी सेल बढ़ा लेती हैं।
जैसे- कोई प्रोडक्ट 100 रुपए का है। तो पहले उसकी MRP 200 रुपए कर दी जाएगी। फिर उस पर 50 रुपए का डिस्काउंट मिलेगा। इस तरह कंपनी को न सिर्फ 50 रुपए का फायदा होगा बल्कि डिस्काउंट के चक्कर में ज्यादा लोग उस प्रोडक्ट को खरीदेंगे।
इसके अलावा सेल कहकर पुराना स्टॉक कंपनियां बेचती हैं। लोग उन्हें भी खुशी से खरीद लेते हैं। इस तरह कंपनियां ऑफर का झांसा देकर दोहरा लाभ कमाती हैं।
सवाल
इससे आम आदमी को किस तरह का नुकसान झेलना पड़ता है?
जवाब
इससे आम आदमी वो चीजें खरीद लेता है जिसकी उसे जरूरत नहीं होती। साथ ही फिजूल खर्ची अलग से हो जाती है। जिसकी वजह से बचत नही हो पाती है।
कई बार सेल से लोग ऐसी चीज खरीद लेते हैं जो कभी इस्तेमाल ही नहीं करते। फिर बाद में गिल्ट फील करते हैं।
सवाल
इनके जाल में फंसने से आम आदमी खुद को कैसे बचा सकता है?
जवाब
इस जालसाजी में फंसने से ऐसे बचा जा सकता है…
डिस्काउंट ऑफर पर प्रोडक्ट खरीदने से पहले उसके प्राइस को अलग-अलग वेबसाइट, दुकानदारों से चेक कर लें। प्रोडक्ट की प्राइस हिस्ट्री भी चेक करें।
डिस्काउंट ऑफर देखकर खरीदने की जल्दबाजी बिल्कुल न करें।
शॉपिंग मॉल में ऐसा होता है कि 1100 रुपए के एक प्रोडक्ट के पास एक 1000 रुपए का और एक 500 रुपए का प्रोडक्ट रखा होगा। ऐसे में कस्टमर 1000 रुपए का प्रोडक्ट खरीदकर सोचते हैं कि उन्हें एक अच्छी डील मिली है। लेकिन ऐसा न करें।
अगर कम चीजें खरीदनी हैं तो शॉपिंग कार्ट या ट्रॉली न लें। जब आप सामान हाथ में रखेंगे तो कम चीजें ही खरीद सकेंगे।
ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं या ऑनलाइन प्रोडक्ट्स देख रहे हैं तो इन्कॉग्निटो मोड पर करें। साथ ही पुरानी कुकीज और हिस्ट्री डिलीट कर दें। ऐसा इसलिए क्योंकि जब आप एक साइट पर ज्यादा समय बिताते हैं तो आपको महंगे प्रोडक्ट्स दिखने लगेंगे। जबकि कम समय बिताने वाले लोगों को सस्ते प्रोडक्ट्स दिखेंगे।
शॉपिंग मॉल में आई लेवल से ऊपर और नीचे के प्रोडक्ट्स पर भी ध्यान दें। वहां आपको बेहतर प्राइस मिलेगा।
डिस्काउंट ट्रैप्स में न फंसे। इससे आप बिना काम की चीजों को खरीदने से बचे रहेंगे।
रिटेल आउटलेट या मॉल के काउंटर पर ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है। इन ऐप को डाउनलोड न करें।
अब समझिए कैसे आपको ऑनलाइन सेल की तरफ आकर्षित किया जाता है…
सवाल
बिना डिस्काउंट वाले प्रोडक्ट्स तक आप कैसे पहुंचते हैं?
जवाब
इसे नीचे लिखे पॉइंट से समझें…
आप जैसे ही किसी ऑनलाइन साइट पर जाते हैं आपके सामने एक बंपर डिस्काउंट वाले प्रोडक्ट का विज्ञापन आता है।
आप तुरंत आकर्षित होकर उस लिंक पर क्लिक करते हैं, लेकिन बाद में प्रोडक्ट को देखने के बाद निराशा ही आपके हाथ लगती है।
एक बार क्लिक करके उस वेबसाइट पर जाने के बाद आपको दूसरे प्रोडक्ट्स भी दिखाई देते हैं, जिसमें किसी तरह का डिस्काउंट नहीं होता है।
ऐसे में अब आप बिना डिस्काउंट वाले प्रोडक्ट्स भी देखने लगते हैं और देखते-देखते कई बार उन्हें खरीदने का मन बना लेते हैं।
ऐसे प्रोडक्ट्स पर छूट, जिन्हें बेचना जरूरी है
ज्यादातर दुकानदार सिर्फ उन चीजों पर भारी छूट देते हैंं, जिनकी बिक्री कम होती है।
ऐसे छूट सिर्फ त्योहारी सीजन में ही देखने को मिलती है। क्योंकि इस वक्त लोग सामान खरीदना पसंद करते हैं।
बंपर छूट का समय फिक्स कर दिया जाता है ताकि लोग इसे खरीदने में देरी न करें। जैसे- किसी सामान में छूट होली तक ही रहेगी उसके बाद इसकी कीमत बढ़ जाएगी।
ऐसा करने पर लोग तय तारीख तक उस सामान को खरीद लेते हैं।
आपको बार-बार मैसेज किए जाते हैं
जब आप ऑफलाइन शॉपिंग के लिए किसी मार्ट में जाते हैं तो वहां आपसे आपका मोबाइल नंबर ले लिया जाता है।
ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्त भी आपका नंबर रजिस्टर्ड हो जाता है।
ऐसे में ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही साइड से आपको फेस्टिवल सीजन में मैसेज आने शुरू हो जाते हैं।
आप इनकी भारी भरकम छूट को देखकर आकर्षित हो जाते हैं और जो सामान आपके काम का नहीं है उसे भी खरीदने का मन बना लेते हैँ।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
कई बार कुछ इस तरह के ऑफर दिए जाते हैं- ‘2 खरीदें 1 मुफ़्त पाएं’ या , ‘1 खरीदें और दूसरे आइटम पर 50% छूट पाएं’। इंडियन कस्टमर इस तरह के ऑफर से आकर्षित होते हैं। स्वतंत्र कंसलटेंट हरीश एचवी के अनुसार, इंडियन कस्टमर को इस तरह के छूट की आदत हो गई हैं।
टेक्नोपैक एडवाइजर्स के चेयरमैन और एमडी अरविंद सिंघल के अनुसार, डिस्काउंट का ऑफर ग्राहकों के दिमाग पर असर डालता है। ग्राहक ये जानता है कि वो जिस सामान को खरीदना चाहते हैं उसकी कीमत और छूट वाले सामान की कीमत एक ही है। फिर भी वो डिस्काउंट देखकर आकर्षित हो जाते हैं। कॉम्बो ऑफर देने का उद्देश्य होता है ज्यादा से ज्यादा मात्रा में सामान बेचना। अगर दुकानदार हर एक सामान पर छूट देंगे तो ग्राहक सिर्फ एक सामान खरीदेगा, लेकिन अगर वो कॉम्बो ऑफर देते हैं तो अपने फायदे को ग्राहक एक की जगह कॉम्बो ऑफर का सामान खरीदेगा।