दामाद के खिलाफ दरगाह,धामी के खिलाफ खड़े सैय्यद आसिफ़ पद मुक्त

राजनीति की सजा : दामाद के खिलाफ दरगाह का बड़ा कदम, राजनीति में जाने पर सभी पदों से किया मुक्त
आसिफ मियां उत्तराखंड की खटीमा सीट से मुख्यमंत्री के खिलाफ लड़ रहे हैं चुनाव।
आसिफ मियां

आला हजरत दरगाह के प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खां उर्फ सुब्हानी मियां के दामाद सैय्यद आसिफ मियां के खिलाफ दरगाह की ओर से बड़ा कदम उठाया गया है। उन्हें दरगाह के सभी पदों से मुक्त कर दिया गया है। साथ ही उन्हें दरगाह के किसी भी पद का इस्तेमाल न करने की हिदायत भी दी गई है।

दरगाह से जुड़े रहकर सियासत में सीधे तौर पर कदम रखने से दरगाह के जिम्मेदार उनसे बेहद नाराज हैं। वह दो दिन पहले उत्तराखंड की विधानसभा खटीमा से एआईएमआईएम की ओर से चुनाव मैदान में उतरे हैं। इसी बात को लेकर दरगाह की ओर से भारी नाराजगी जताई गई है। इस मामले में दरगाह के सज्जादा नशीन मुफ्ती हसन रजा खां कादरी की ओर से आसिफ मियां को एक पत्र जारी किया गया है।

इस पत्र में कहा गया है कि आसिफ मियां को दरगाह आला हजरत के प्रमुख और अधिकृत दीनी मजहबी और सामाजिक संगठन तहरीके तहफ्फुजे सुन्नियत (टीटीएस) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद और दरगाह आला हजरत की समस्त जिम्मेदारियों और पदों से तत्काल प्रभाव से पद मुक्त किया जाता है। साथ ही यह भी आगाह किया गया है कि वह दरगाह आला हजरत अथवा पीटीएस से संबंधित किसी भी पद का उल्लेख कदापि न करें।

दरगाह आला हजरत और तहरीके तहफ्फुजे सुन्नियत (टीटीएस) का सियासत से कोई ताल्लुक नहीं है। आसिफ मियां का चुनाव लड़ने का फैसला उनका अपना फैसला था। दरगाह हमेशा मजहबी काम को अंजाम देती रही है। लिहाजा सियासत से कोई वास्ता न रखते हुए आसिफ मियां के मुद्दे पर ऐसा फैसला लिया गया है।

– मुफ्ती अहसन रजा खां कादरी, सज्जदानशीन दरगाह आला हजरत एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष, टीटीएस

 

हम तो अहले सुन्नत वल जमात को मानने वाले हैं। सभी खानकाहों और बुजुर्गों की इज्जत करते हैं। हमें ज्यादा राजनीति आती नहीं। कौम के लिए काम कर रहे हैं और करते रहेंगे। दरगाह से जो भी हुआ हमारे लिए बेहतर है। हमारा दिल बहुत बड़ा है। हुजूर अहसन मियां ने जो फैसला लिया हम उस फैसले का खैरमखदम करते हैं। उनका फैसला मेरे सिर आंखों पर है।
– सैय्यद आसिफ मियां (दामाद मौलाना सुब्हानी मियां)

 

 

 धामी को टक्कर देंगे दरगाह प्रमुख के दामाद, ओवैसी की पार्टी से लड़ेंगे चुनाव

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चुनाव में मुस्लिमों के हर वर्ग को जोड़ने की जद्दोजहद तेज हो गई है। सियासत से दूर आला हजरत खानदान से जुड़े लोग अब चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने दरगाह आला हजरत प्रमुख सुब्हानी मियां के दामाद सय्यद आसिफ मियां को उत्तराखंड की खटीमा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। सैय्यद आसिफ मियां ने उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी के सामने खटीमा विधानसभा सीट से नामांकन किया है। आला हजरत दरगाह के प्रमुख सुब्हानी मियां के दामाद सैय्यद आसिफ मियां बरेली में रहते हैं। उत्तराखंड के खटीमा में भी उनका मकान है। आसिफ मियां आला हजरत के उर्स में प्रभारी भी रहते हैं। पर्चा दाखिल करते ही आसिफ मियां चर्चाओं में आ गए। आसिफ मियां का कहना है कि बहुत से लोग दरगाह के नाम को बदनाम कर रहे हैं। मैंने दरगाह के नाम का इस्तेमाल सियासत में कभी नहीं किया।

दरगाह से राजनीतिक की पहल पहली नहीं

दरगाह आला हजरत खानदान के सदस्य हो या उनसे जुड़े लोग सियासत में अपने दांप पेंच दिखाते रहे हैं। 1975 में दरगाह आला हजरत से नसबंदी के खिलाफ आवाज बुलंद हुई थी, बाद में दरगाह के सज्जादानशीन मौलाना रेहान रजा खां को कांग्रेस सरकार ने एमएलसी बनाया था। मौलाना तौकीर रजा खां ने सात अक्टूबर 2001 को आईएमसी तैयार का राजनीति की शुरुआत की थी। 2004 में आईएमसी सियासी मैदान में उतर आई और 2009 के लोकसभा चुनाव में आईएमसी ने कांग्रेस का साथ दिया था। 2012 के चुनाव में आईएमसी ने मंडल में प्रत्याशी उतारे थे। 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में आला हजरत खानदान के सदस्य मौलाना मन्नानी मियां ने बरेली सीट से चुनाव लड़ा था।

दरगाह के दो लोगों को मिल चुके पद

2007 में बसपा सरकार के दौरान आला हजरत दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा खां को मदरसा बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था। उस वक्त उन्हें सरकार ने लाल बत्ती दी थी। 2012 की सपा की सरकार में दरगाह प्रमुख के निजी सचिव रहे आबिद रजा को आयोग का सदस्य बनाया गया था। तौकीर मियां को भी दर्जा राज्य मंत्री बनाया था।

मौलाना तौकीर के ड्राइवर रईस मियां ने भरा पर्चा

बरेली की शहर विधानसभा सीट से मौलाना तौकीर मियां के ड्राईवर रहे चुके अब खादिम के रूप में लगे रईस मियां और आईएमसी से जुड़े नेता मखदूम बैग ने भी निर्दलीय के रूप में नामांकन किया है।

 

 

 

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