अपने नेता तो संभल नहीं रहे, सोनिया चली विपक्ष संभालने

अपने नेताओं को तो रोक नहीं पाई, विपक्षी दलों को एकजुट करने चली कांग्रेस… सोनिया की बैठक पर लोगों ने मारे ताने

अगले लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को कड़ी चुनौती पेश करने के लिए कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस सहित 19 विपक्षी दलों की बैठक बुलाई। इस दौरान विपक्ष से एकजुट होने की अपील की गई। बैठक में आप, बसपा और सपा नहीं थे।

नई दिल्ली 20 अगस्त।कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को अपनी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की। यह मीटिंग वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये हुई। बैठक का मकसद मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करना था। हालांकि, बैठक के बाद कुछ ही समय में सोशल मीडिया पर सोनिया गांधी ट्रेंड होने लगीं। लोगों ने उन पर तानें मारने शुरू कर दिए। उन्‍होंने कहा कि अपनी पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं को साथ रख पाने में नाकाम कांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने में लगी है। क्‍या विडंबना है।श्कि्क्ि

 

जाने-माने फिल्‍ममेकर और प्रोड्यूसर अशोक पंडित, लेखक व डायरेक्‍टर रवि राय सहित तमाम लोगों ने इस बैठक का मजाक बनाया। अशोक पंडित ने ट्वीट करते हुए लिखा अपने सीनियर कांग्रेस लीडर्स को साथ रखने में विफल रहने वाली सोनिया गांधी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश कर रही हैं। इससे बड़ी विडंबना क्‍या होगी।

 

रवि राय ने लिखा कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी दल कितनी बार एकजुट होंगे? कितनी बार सोनिया गांधी अलग-अलग नामों के साथ विपक्ष के इन मोर्चों का नेतृत्‍व करेंगी?

उधर, भाजपा ने भी सोनिया गांधी की बैठक की खिल्‍ली उड़ाई। पार्टी के प्रवक्‍ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस सिकुड़कर ‘वर्चुअल पार्टी’ रह गई है। वह न केवल सिर्फ वर्चुअल मीटिंग आयोजित करती है, बल्कि उसका अस्तित्‍व भी सिर्फ वर्चुअल प्‍लेटफॉर्मों तक रह गया है। कांग्रेस ने देश का विश्‍वास खो दिया है। उसका खुद पर से भी भरोसा उठ गया है। यही कारण है कि उसने सहयोगियों की तलाश शुरू कर दी है।

सोनिया गांधी की बैठक में 19 विपक्षी दल

सोनिया गांधी ने शुक्रवार को अपनी पार्टी समेत 19 विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ डिजिटल बैठक की। आह्वान किया कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट हों और देश के संवैधानिक प्रावधानों व स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों में विश्वास रखने वाली सरकार के गठन के लिए अपनी विवशताओं से ऊपर उठें। इस समय विपक्षी दलों की एकजुटता राष्ट्रहित की मांग है और कांग्रेस अपनी ओर से कोई कमी नहीं रखेगी।

कौन-कौन हुए शामिल?

इस डिजिटल बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमत्री व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री व द्रमुक नेता एम. के. स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री व झामुमो नेता हेमंत सोरेन शामिल हुए। इसके अलावा भाकपा, माकपा, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, राजद, एआईयूडीएफ, वीसीके, जनता दल (एस), राष्ट्रीय लोक दल, लोकतांत्रिक जनता दल, आरएसपी, केरल कांग्रेस (एम) और आईयूएमएल के नेताओं ने भी शिरकत की।स्प्स्ट्स््प्स्ट्स्प्स्ट्स्््प्स्

कौन नहीं आए?

मुख्‍य विपक्षी दल जो इस बैठक में शरीक नहीं थे, उनमें बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और आम आदमी पार्टी (आप) शामिल हैं। सपा के इस बैठक से अनुपस्थित रहने के कारणों के बारे में फिलहाल पता नहीं चल पाया है। हालांकि, पहले इसके शामिल होने की संभावना थी।

बैठक का क्‍या था मकसद?

विपक्षी दल राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के वास्ते एकजुट होने के लिए प्रयासरत हैं। इसका मकसद 2024 में होने वाले अगले लोकसभा चुनाव में विपक्ष की ओर से कड़ी चुनौती पेश करना है। हाल ही में संपन्न हुए संसद के मॉनसून सत्र के दौरान पेगासस जासूसी विवाद, किसान आंदोलन और महंगाई के मुद्दों पर सरकार के खिलाफ विपक्षी एकजुटता देखने को मिली थी। इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्षी एकजुटता की पूरी कवायद के केंद्र बिंदु में नजर आए  थेे।

 

 

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