सपा ने रामचरित मानस की पक्षपाती दो महिला नेत्रियों का किया निष्कासन

समाजवादी पार्टी ने श्रीरामचरितमानस के अपमान का विरोध करने वाली अपनी दो नेताओं को पार्टी से हटाया
लखनऊ 20 फरवरी।उत्तर प्रदेश में हालांकि अभी चुनाव दूर हैं, परन्तु ऐसा प्रतीत होता है जैसे समाजवादी पार्टी ने यह निश्चित कर लिया है कि किस लाइन पर उसे चुनाव लड़ना है। और वह है श्रीरामचरित मानस के बहाने जातीय भावनाएं भड़काकर! यही कारण है कि स्वामी प्रसाद मौर्य को जहां इस बात को लेकर रोका नहीं जा रहा है कि वह श्रीरामचरित मानस के बहाने नित्य ही अपमानजनक टिप्पणियाँ कर रहे हैं तो वहीं उन्हें चुप कराया जा रहा है जो श्रीरामचरितमानस के पक्ष में बोल रहे हैं।

यही कारण है कि समाजवादी पार्टी ने अपनी दो तेजतर्रार, वफादार एवं युवा नेताओं को पार्टी से हटा दिया है। ये दोनों ही नेत्रियाँ इस बात को लेकर मुखर थीं कि आखिर क्यों समाजवादी पार्टी इस प्रकार की गन्दी हरकत कर रही है।

ये दो नेत्रियाँ हैं प्रयागराज से इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पूर्व छात्र संघ की अध्यक्ष डॉ ऋचा सिंह तथा दूसरी हैं डॉ रोली तिवारी मिश्रा। रोली उस समय से ही स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा श्री रामचरित मानस के अपमान पर आवाज उठाती आ रही हैं, जिस दिन से पहली बार स्वामीप्रसाद मौर्य ने इस प्रकार की हरकतें की थीं। रोली ने तभी से स्वामी प्रसाद मौर्य का विरोध करना आरम्भ कर दिया था।

यह चर्चाएँ होने लगी थीं कि पार्टी आखिर क्या करेगी? स्वामी प्रसाद मौर्य के मार्ग पर चलेगी या फिर रोली तिवारी को भी स्पेस मिलता रहेगा। परन्तु समाजवादी पार्टी में अब जैसे यह निर्धारित हो गया है कि आगे उन्हें किस सोच पर जाना है और यह कई और नेत्रियों एवं नेताओं के सोशल मीडिया को देखकर लगने लगा है कि समाजवादी पार्टी वह वामपंथी विमर्श आगे लेकर जाना चाहती है, जिसे आज तक इस प्रदेश की जनता ने स्वीकारा नहीं है।

वैसे भी पूर्व सपा सुप्रीमो स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव पर यह दाग रहा ही कि उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवाई थीं, और जनता उनसे इस बात को लेकर कई वर्षों तक भी नाराज है, परन्तु फिर भी यह बात अखिलेश यादव को समझ नहीं आ रही है कि उत्तर प्रदेश की जनता इस प्रकार की राजनीति को स्वीकार नहीं करती है।

वह प्रदेश जहां पर प्रभु श्री राम ने जन्म लिया और जहाँ पर आदरणीय तुलसीदासजी ने श्री रामचरित मानस की रचना की, वह ग्रन्थ जो आज तक हिन्दुओं के लिए आदर्श बना हुआ है, उसे लेकर अपमानजनक बयानबाजी शायद ही कोई सकारात्मक भाव से ले, वहां पर अखिलेश यादव यह कदम उठा रहे हैं, तो यह कहा जा सकता है कि वह पूरी तरह से वामपंथी विमर्श की कैद में हैं।

हालांकि डॉ ऋचा सिंह और डॉ रोली तिवारी मिश्रा इस बात को लेकर अडिग हैं कि उन्होंने सही काम किया है, उन्होंने कुछ गक्त नहीं किया है। डॉ रोली तिवारी ने लिखा कि प्रभु श्री राम, श्रीरामचरित मानस के सम्मान के लिए ऐसे हजारों निष्कासन स्वीकार हैं

वहीं समाजवादी पार्टी द्वारा इस प्रकार निष्कासन पर डॉ ऋचा सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उन्हें बिना कारण बताओ नोटिस के हटा दिया गया है और उन्होंने यह भी कहा श्री रामचरित मानस इस देश की आत्मा है और किसी को भी इस प्रकार अपमान करने का अधिकार नहीं है

डॉ ऋचा ने संविधान की मूल प्रति का चित्र भी साझा करते हुए लिखा कि

संविधान की मूल प्रति पर उपस्थित मर्यादा पुरुषोत्तम की तस्वीर यह साफ करती है कि राम राज्य के सारे मूल्यों का समायोजन संविधान में किया गया है।

प्रभु श्रीराम जी की प्रभु सत्ता को कहाँ कहाँ से मिटाने का प्रयास करियेगा।

संभव नहीं है इस देश में।

इन दोनों नेताओं के निष्कासन एवं इन दोनों को ही मिलने वाली जातिसूचक टिप्पणियों ने एक बात स्पष्ट कर दी है कि अब समाजवादी पार्टी की राजनीतिक दिशा और भी अधिक श्रीराम विरोधी हो गयी है।

कई वरिष्ठ पत्रकार भी, ये कहते हुए ट्वीट कर रहे हैं कि अच्छा है कि अखिलेश यादव ने अपनी राजनीति तय कर ली है

इस निर्णय के विरोध में सोशल मीडिया पर टिप्पणियाँ हो रही हैं और सपा के लिए यही कहा जा रहा है कि पार्टी को प्रभु श्री राम सद्बुद्धि दें!

 

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