सहारनपुर की गज़ब राजनीति:भाई के सामने सगा भाई,साले के सामने जीजा
जीजा से लड़ रहा साला, भाई के सामने भाई:सहारनपुर की गजब सियासत, पाकिस्तान में जन्मा भी प्रत्याशी; घर बनाम बाहरी का मुद्दा गर्म
सहारनपुर13 फरवरी। राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता, ना रिश्ते-नाते और ना ही यार दोस्त। सहारनपुर में 14 फरवरी को वोटिंग होनी है। सातों सीटों पर मुकाबला रोचक है। यहां भाई-भाई को और साला-जीजा को हराने को पूरी कोशिश कर रहा है। किसी को पैराशूट प्रत्याशी बताया जा रहा है, तो किसी को पाकिस्तान में जन्मा। ऐसे ही सातों सीटों को रोचक मुकाबलों की पड़ताल की अजीबो-गरीब जानकारियां सामने आई हैं..
गंगोह में भाई-भाई का दुश्मन
नोमान मसूद बसपा प्रत्याशी हैं तो उनके सगे भाई इमरान मसूद सपा प्रत्याशी की मदद कर रहे हैं।
गंगोह विधानसभा स्वर्गीय चौधरी यशपाल सिंह और स्वर्गीय रशीद मसूद की कर्मभूमि रही है। दोनों ही परिवार एक-दूसरे के राजनीतिक दुश्मन माने जाते हैं। लेकिन अब चुनावी मंच पर खड़ा एक भाई दूसरे भाई का दुश्मन बन गया है। बात कर रहे हैं काजी परिवार की। काजी परिवार के इमरान मसूद और नोमान मसूद दोनों सगे जुड़वा भाई हैं। नोमान मसूद BSP के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं चौधरी परिवार के इंद्रसेन सपा से। इंद्रसेन को जीत का सेहरा पहनाने के लिए हाल ही में सपा में शामिल हुए पूर्व विधायक इमरान मसूद ने अपने भाई नोमान के खिलाफ प्रचार किया।
साला-जीजा को हराने में लगा
रामपुर मनिहारान सीट से जीजा और साले आमने-सामने हैं प्रत्याशी
रामपुर मनिहारान (सुरक्षित सीट) पर जीजा-साला अलग-अलग पार्टियों से चुनाव लड़ रहे हैं। गठबंधन के प्रत्याशी विवेककांत रिश्ते में अपने साले भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र निम को हराने में लगे हैं। देवेंद्र निम 2017 में भाजपा से विधायक बने थे। इस बार भी भाजपा ने देवेंद्र निम पर विश्वास जताया है। वहीं बसपा से भाजपा में और अब भाजपा से बसपा में आए रविंद्र मोल्हू बसपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। जीजा-साले की टक्कर में रविंद्र मोल्हू की स्थिति मजबूत बताई जा रही है।
पैराशूट और पाकिस्तान में जन्मा प्रत्याशी मैदान में
बसपा प्रत्याशी रईस मलिक
प्रदेश की बेहट विधानसभा नंबर एक पर आती है। जिसमें त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा, सपा और बसपा के प्रत्याशियों की टक्कर भले ही बताई जा रही है। लेकिन, चुनावी मंचों के भाषणों में एक दूसरे पर बाहरी और लोकल की बात भी सामने आ रही है। बसपा प्रत्याशी रईस मलिक को पैराशूट प्रत्याशी बताया जा रहा है, तो सपा प्रत्याशी उमर अली खान को पाकिस्तान में जन्मा। दोनों ही प्रत्याशियों की जुबानजोरी भाजपा के प्रत्याशी नरेश सैनी के लिए सुखद एहसास दिला रही है।
साइकिल पर बैठा भाजपा छोड़ने वाला
सपा प्रत्याशी उमर अली
नकुड़ विधानसभा में भी रोचक मुकाबला है। इमरान मसूद के करीबी रहे भाजपा प्रत्याशी मुकेश चौधरी एक-दूसरे के धुर विरोधी हैं। दो बार चुनाव में पटखनी देने वाले सपा प्रत्याशी डाक्टर धर्म सिंह सैनी को जीताने का बीड़ा इमरान मसूद ने उठा रखा है। यह वही धर्म सिंह सैनी हैं, जो भाजपा सरकार में आयुष मंत्री रहे हैं। वहीं सपा के खेमे से निकलकर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले साहिल खान भी सपा से मिले धोखे की दुहाई दे रहे हैं। भाजपा से निकले धर्म सिंह सैनी अब मुस्लिम वोटरों के सहारे जीत का सेहरा पहनना चाहते हैं, जिसके लिए उन्होंने जान फूंक दी है।
देवबंद में भी पैराशूट प्रत्याशी
बसपा प्रत्याशी राजेंद्र चौधरी
भाजपा प्रत्याशी कुंवर बृजेश सिंह भाजपा के सिटिंग MLA हैं। भाजपा ने 2022 में उन पर विश्वास जताया है। वहीं सपा ने पूर्व मंत्री स्वर्गीय राजेंद्र राणा के बेटे कार्तिकेय राणा को मैदान में उतारा है। बसपा से देहरादून में रहने वाले राजेंद्र चौधरी के चुनाव मैदान में उतरने से दोनों प्रत्याशियों की परेशानी बढ़ गई है।
बसपा का पंजाबी-मुस्लिम और दलित कार्ड
सहारनपुर नगर में बसपा ने पंजाबी समाज के मनीष अरोड़ा को चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा ने दलित-पंजाबी और मुस्लिम वोटरों के कारण जीत का गणित बैठाया है। ऐसे में भाजपा प्रत्याशी राजीव गुंबर और सपा प्रत्याशी संजय गर्ग की मुश्किल बढ़ाई है। वहीं कांग्रेस ने भी सिख कार्ड खेलते हुए पूर्व पार्षद सुखविंदर कौर को टिकट देकर परेशानी खड़ी की है।
देहात सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबला
देहात सीट पर बसपा से तीन बार के विधायक जगपाल सिंह भाजपा से चुनाव लड़ रहे हैं। दलित समाज में अच्छी पैठ होने के कारण यूपी में सामान्य सीट पर भाजपा ने दलित को उतारकर सबको चौंकाया है। वहीं बसपा ने अजब सिंह पर दलित कार्ड खेला है। वहीं सपा ने मोदीनगर के रहने वाले आशु मलिक पर विश्वास दिखाया है। सभी सीटों पर मुकाबला रोचक है। लेकिन खास बात है कि राजनीति रिश्तों पर भारी पड़ती दिख रही है।