मनु भाकर के निशानेबाजी में कांस्य के पीछे है तपस्या
पेरिस ओलंपिक में मनु भाकर ने भारत के लिए जीता पहला मेडल, बनाया नया रिकॉर्ड, क्या बोले माता-पिता?
मनु भाकर
भारतीय निशानेबाज़ मनु भाकर पेरिस ओलंपिक में रविवार को 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग के महिला वर्ग के फ़ाइनल में तीसरे स्थान पर रही हैं.
उन्हें कांस्य पदक मिला है. इसी के साथ पेरिस ओलंपिक में भारत को अपना पहला पदक मिल गया है.
उन्हें मुक़ाबले में 221.7 प्वाइंट हासिल हुए हैं.
इस मुक़ाबले में पहला और दूसरा स्थान पर दक्षिण कोरिया की खिलाड़ियों को मिला.
243.2 अंकों के साथ पहले स्थान पर रहीं ओ ये जिन और 241.3 अंकों के साथ दूसरा स्थान किम येजी को मिला.
उम्मीद की जा रही थी कि वो भारत के लिए पेरिस ओलंपिक का पहला मेडल जीतने में क़ामयाब होंगी, और उन्होंने ये ऐतिहासिक कारनामा कर दिखाया.
साथ ही वो ओलंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली पहली महिला शूटर बन गई हैं.
साल 2021 में मनु भाकर ने ‘बीबीसी इमर्जिंग इंडियन स्पोर्ट्सवुमेन ऑफ़ द ईयर 2020’ अवॉर्ड जीता था.
‘बीबीसी इंडियन स्पोर्टसवुमन ऑफ़ द ईयर’ में ‘बीबीसी इमर्जिंग इंडियन स्पोर्ट्सवुमेन ऑफ़ द ईयर 2020’ अवार्ड कैटेगरी में उभरती महिला खिलाड़ियों का सम्मान किया जाता है.
पेरिस ओलंपिक 2024: पदक तालिका यहां देखें
मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में भारत को दिलाया पहला मेडल
बेटी की जीत पर क्या बोले माता-पिता?
मनु भाकर की जीत के बाद हरियाणा के झज्जर ज़िले के गोरिया गांव में उनके घर पर जश्न का माहौल है.
मनु भाकर की मां सुमेधा भाकर ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “मेरी मनु से कभी कोई उम्मीद नहीं रही. मैं बस इतना चाहती हूं कि मेरी बेटी जहां जाए खुश होकर आए, उसका दिल न टूटे.”
उनके पिता राम किशन भाकर ने मीडिया से कहा, “मुझसे ज़्यादा यहां पड़ोसी खुश हैं. मनु ने पेरिस ओलंपिक में मेडल की शुरुआत की है और पूरा देश खुश है. इसके लिए मैं सभी देश वासियों का धन्यवाद करता हूं. ”
“मनु को उपकरणों आदि में हर जगह से मदद मिली है, खेल मंत्रालय और फ़ेडरेशन से भी.जसपाल राणा के साथ जुड़ने के बाद मनु का हौसला बहुत बढ़ा हुआ है.”
मनु भाकर अपने पिता राम किशन भाकर के साथ
मनु भाकर के पिता राम किशन ने कहा, “मनु 2016 में जब 10वीं में थीं तबसे ही वो शूटिंग की प्रैक्टिस कर रही हैं. बीच में मनु इस खेल से हट कर कुछ और करने की सोचने लगी थी. यह मनु की पुरानी आदत है जैसा उसने कराटे में नेशनल जीतने के बाद बताया कि मैं अब ये गेम नहीं खेलूंगी. उसी तरह हमने इस मामले को भी सामान्य तौर पर लिया था.”
“शूटिंग के लिए यह सफलता बहुत ज़्यादा ज़रूरी थी, क्योंकि इसमें क़रीब 20 हज़ार बच्चे अभ्यास कर रहे हैं, इसमें हरियाणा के बहुत सारे शूटर हैं. इससे खिलाड़ियों को बहुत अधिक बूस्ट मिलेगा और यह गेम अपनी नई ऊंचाईयों पर जाएगा.”
“मनु ने 10वीं तक बहुत सारे गेम बदले हैं. कराटे में उसने नेशनल में सिल्वर मेडल जीता था. इसके अलावा स्केटिंग और बॉक्सिंग भी किया है.”
उनका कहना है कि अभी भी मनु भाकर के दो इवेंट बाक़ी हैं, मुझे उम्मीद है कि वो अच्छा प्रदर्शन करेंगी.
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने दी बधाई
ओ ये जिन और किम येजी के साथ मनु भाकर
मनु भाकर के पदक जीतने पर मनु भाकर को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने उन्हें बधाई दी.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा, “वो शूटिंग प्रतियोगिता में ओलंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं. भारत को मनु भाकर पर गर्व है.”
मनु भाकर की इस सफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक्स अकाउंट से पोस्ट करते हुए लिखा, “एक ऐतिहासिक पदक! बहुत बढ़िया मनु भाकर पेरिस ओलंपिक में भारत का पहला पदक जीतने के लिए.”
प्रधानमंत्री ने मनु को बधाई देते हुए लिखा, “कांस्य पदक के लिए बधाई.यह सफलता और भी खास है क्योंकि वह भारत के लिए निशानेबाजी में पदक जीतने वाली पहली महिला बन गई हैं. एक अविश्वसनीय उपलब्धि!”
खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने मनु भाकर के ब्रॉन्ज़ मेडल जीतने को गर्व का पल बताया है.
उन्होेंने लिखा, “बधाई हो मनु, आपने अपना कौशल और समर्पण दिखाया है, आप भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला शूटर बन गई हैं.”
वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा, “आपकी उपलब्धि आपके असाधारण कौशल और दृढ़ता का सबूत है.हमें आप पर बेहद गर्व है! यह महत्वपूर्ण अवसर अनगिनत युवा एथलीटों को उत्कृष्टता के प्रयास को प्रेरित करेगा.”
मनु भाकर
ओलंपिक में शनिवार को क्वालिफ़िकेशन राउंड में मनु भाकर ने 580 अंक के साथ तीसरे स्थान पर रहकर फ़ाइनल में अपने लिए जगह बनाई थी.
टोक्यो ओलंपिक 2020 में मनु भाकर इसी इवेंट में 12वें स्थान पर रही थीं.
भाकर ने इनर 10 में 27 बार शॉट लगाए, जो क्वालिफ़िकेशन में किसी भी अन्य शूटर से ज़्यादा हैं.
इससे पहले 10 मीटर एयर शूटिंग की मिश्रित प्रतिस्पर्धा में भारतीय खिलाड़ी अर्जुन और रमिता की जोड़ी क्वालिफ़िकेशन राउंड में छठे स्थान पर रही थी.
रमिता और अर्जुन ने तीन राउंड में कुल 628.7 अंक हासिल किए थे.
16 साल की उम्र में दो गोल्ड मेडल जीते
मनु हरियाणा के झज्जर ज़िले के गोरिया गांव की रहने वाली है. उनकी मां स्कूल में पढ़ाती हैं, जबकि पिता मरीन इंजीनियर रहे हैं.
साल 2018 में मेक्सिको में इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन (ISSF) में भारत के लिए मनु भाकर ने दो गोल्ड मेडल जीते थे.
पहला गोल्ड मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल (महिला) कैटेगरी में जीता और दूसरा गोल्ड 10 मीटर एयर पिस्टल (मिक्स इवेंट) में हासिल किया था.
एक दिन में शूटिंग में दो गोल्ड जीत कर 16 साल की मनु ने नया रिकॉर्ड बनाया था. ऐसा करने वाली वो सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी थीं.
इस इवेंट के बाद मनु भाकर के पिता राम किशन भाकर ने बताया था कि वो मरीन इंजीनियर थे और उन्होंने नौकरी छोड़ दी.
उनके मुताबिक, मुन ने कई खेलों पर हाथ आज़माने के बाद 2016 में शूटिंग यानी निशानेबाज़ी करने का फ़ैसला किया.
बेटी के लिए छोड़ दी नौकरी
मनु भाकर के पिता राम किशन भाकर ने बताया कि पहली बार में ही स्कूल में जब एक इवेंट में मनु ने हिस्सा लिया, तो निशाना इतना सटीक लगाया कि स्कूल के टीचर दंग रह गए.
फिर थोड़ी प्रैक्टिस और ट्रेनिंग के बाद जगह-जगह आयोजित प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने का सिलसिला शुरू हुआ.
लेकिन समस्या ये थी कि मनु लाइसेंसी पिस्टल के साथ सार्वजनिक तौर पर बसों में सफ़र नहीं कर सकती थी. और बालिग़ नहीं होने की वजह से वो खुद भी गाड़ी चलाकर शूटिंग इवेंट में हिस्सा लेने नहीं जा सकती थी.
इसलिए बेटी के सपनों को साकार करने के लिए राम किशन ने अपनी नौकरी छोड़ दी.
नौकरी छोड़ने के बाद वो बेटी को साथ लेकर शूटिंग इवेंट में जाते थे.
राम किशन भाकर ने बताया था, “शूटिंग बहुत मंहगा इवेंट है. एक-एक पिस्टल दो-दो लाख की आती है. अब तक मनु के लिए तीन पिस्टल हम खरीद चुके हैं. साल में तक़रीबन 10 लाख रुपए हम केवल मुन के गेम पर खर्च करते हैं.”
पिस्टल के लाइसेंस के लिए जद्दोजहद
बहुत कम लोग जानते हैं कि जिस पिस्टल से निशाना साधकर मनु ने भारत के लिए दो गोल्ड मेडल जीते थे, उसके लिए लाइसेंस लेने के लिए उन्हें ढाई महीने लंबा इंतज़ार करना पड़ा था.
आम तौर पर ये लाइसेंस खिलाड़ियों को एक हफ्ते में मिल जाता है.
उस घटना को याद करने हुए राम किशन भाकर कहते हैं, “2017 में मई के महीने में मैंने विदेश से पिस्टल मंगवाने के लिए अर्जी दी थी. लेकिन झज्जर ज़िला प्रशासन की तरफ से मेरा आवेदन रद्द कर दिया गया था.”
फिर मामला मीडिया में आया और उसके बाद पता चला कि आवेदन करते वक्त लाइसेंस के लिए वजह में ‘सेल्फ डिफेंस’ लिख दिया गया था.
फिर ज़िला प्रशासन की तरफ से मामले में फौरन जांच कराई गई, जिसके बाद सात दिन के भीतर लाइसेंस जारी कर दिया गया.
मनु को स्कूल में उनके साथी ‘ऑलराउंडर’ कहकर पुकारा करते थे. ऐसा इसलिए क्योंकि मनु ने बॉक्सिंग, एथलेटिक्स, स्केटिंग, जूडो कराटे जैसे कई खेलों में हाथ आज़माया है.