भारतीय सौर मिशन आदित्य L1 के लक्ष्य संधान पर नासा भी गदगद
Nasa Scientist Lauds Isro For Solar Mission Aditya L1 Mission Success Read Full Details
इसरो के पहले सौर मिशन की सफलता पर गदगद हुए NASA के वैज्ञानिक, दिल खोलकर प्रशंसा
इसरो के पहले सौर मिशन को आज शनिवार शाम 4 बजे सफलता मिल गई। आदित्य एल1 सूरज के और करीब पहुंचने में सफल रहा। वह इस समय पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर लैग्रेंज पॉइंट एल 1 में है। इसरो की इस सफलता पर नासा के वैज्ञानिक ने पीठ थपथपाई है।
मुख्य बिंदु
इसरो के पहले सौर मिशन की सफलता पर गदगद हुआ नासा
नासा के वैज्ञानिक ने इसरो के इस कीर्तिमान पर थपथपाई पीठ
कहा- इसरो ने 20 सालों में गजब की प्रगति की है
नई दिल्ली छह जनवरी 2024: चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो ने शनिवार यानी आज एक और कीर्तिमान रचते हुए सौर मिशन में भी सफलता हासिल कर ली है। आदित्य एल1 शाम 4 बजे सफलतापूर्वक हेलो ऑर्बिट में प्रवेश कर गया है। इसरो की इस सफलता पर पूरा देश खुशी से झूम रहा है। प्रधानमंत्री मोदी समेत कई राजनेताओं ने भी इसरो को बधाई दी। अब बधाई देने वालों की सूची में नासा के एक भारतीय मूल के वैज्ञानिक का नाम भी जुड़ गया है। नासा के वैज्ञानिक अमिताभ घोष ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को इस सफलता पर दिल खोलकर बधाई दी और सराहना भी की। घोष ने कहा कि भारत अभी अधिकांश क्षेत्रों में है जहां यह वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण है।
आदित्य एल1 ने रचा इतिहास, फूले नहीं समा रहे नासा के वैज्ञानिक
नासा के वैज्ञानिक अमिताभ घोष ने सौर मिशन की तारीफ करते हुए कहा कि भारत अभी अधिकांश क्षेत्रों में है जहां यह वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण है। और फिर ‘गगनयान’ है, जो मानव अंतरिक्ष उड़ान का हिस्सा है, जिस पर अभी काम चल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इसरो के लिए पिछले 20 वर्ष जबरदस्त प्रगति वाले रहे हैं। ग्रह विज्ञान कार्यक्रम ने होने से लेकर आज हम जहां खड़े हैं,और विशेष रूप से आदित्य की सफलता के बाद,यह एक बहुत ही उल्लेखनीय यात्रा रही है।
नए साल में एक और मील का पत्थर
इसरो ने आज शनिवार को अपने सौर मिशन में आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान को अपनी अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह उन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने इस उपलब्धि की सराहना की। आदित्य-एल 1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर लैग्रेंज पॉइंट एल 1 तक पहुंच गया है। आदित्य-एल 1 ऑर्बिटर को ले जाने वाले पीएसएलवी-सी 57.1 रॉकेट को पिछले साल 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पहले सौर मिशन का सफल लॉन्च ऐतिहासिक चंद्र लैंडिंग मिशन-चंद्रयान-3 के बाद हुआ था।
आदित्य एल1 में सूर्य का डिटेल में अध्ययन करने को 7 अलग-अलग पेलोड हैं, जिनमें से 4 सूर्य के प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और अन्य तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगें। आदित्य-एल1 पर सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौतीपूर्ण पेलोड विजिबल एमिशन लाइन कोरोनग्राफ या वीईएलसी है। वीईएलसी को इसरो के सहयोग से होसाकोटे में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के क्रेस्ट (विज्ञान प्रौद्योगिकी में अनुसंधान और शिक्षा केंद्र) परिसर में एकीकृत, परीक्षण और कैलिब्रेट किया गया था। यह रणनीतिक स्थान आदित्य-एल1 को ग्रहण या गुप्तता से बाधित हुए बिना सूर्य का लगातार निरीक्षण करने में सक्षम बनाएगा, जिससे वैज्ञानिक सौर गतिविधियों और वास्तविक समय में अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन कर सकेंगें।